आइपीओ के मूल्य दायरे का देना होगा पूरा ब्योरा
आइपीओ का मूल्य दायरा तय करने का आधार बताना कंपनियों और निवेश बैंकरों के लिए अब अनिवार्य हो सकता है। उन्हें इस बारे में विस्तार से बताना होगा कि आखिर कैसे उन्होंने इश्यू की कीमत तय की है। पूंजी बाजार नियामक सेबी जल्द ही इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इसका मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करना और पब्लिक
नई दिल्ली। आइपीओ का मूल्य दायरा तय करने का आधार बताना कंपनियों और निवेश बैंकरों के लिए अब अनिवार्य हो सकता है। उन्हें इस बारे में विस्तार से बताना होगा कि आखिर कैसे उन्होंने इश्यू की कीमत तय की है। पूंजी बाजार नियामक सेबी जल्द ही इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इसका मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करना और पब्लिक इश्यू की जरूरत से ज्यादा कीमत पर अंकुश लगाना है।
अभी तमाम कंपनियां अपने आरंभिक सार्वजनिक निगर्म [आइपीओ] की कीमत बढ़ाचढ़ा कर तय करती हैं। निवेश बैंकरों और लीड मैनेजरों की सलाह पर ही कीमत-दायरा तय किया जाता है। कंपनी के कारोबारी प्रदर्शन से इसका कोई लेनादेना नहीं होता है। ऐसे में सूचीबद्धता के बाद शेयर भाव लुढ़कने पर निवेशकों को खासा नुकसान होता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी प्रमोटर और निवेश बैंकर साठगांठ कर निवेशकों को चूना लगाते हैं। इसे रोकने के लिए नियामक ने हाल ही में कई कदम उठाए हैं। मूल्य दायरा तय करने का विस्तृत ब्योरा देना भी इसी कदम का हिस्सा है।
सेबी यह भी चाहता है कि कंपनियां आइपीओ खुलने की तारीख से पांच कार्यदिवस पहले मूल्य दायरे के बारे में विज्ञापन प्रकाशित करें और इसमें इसे तय करने का विस्तृत आधार बताए। अभी कंपनियां आइपीओ खुलने से दो-तीन दिन पहले मूल्य दायरे की जानकारी सार्वजनिक करती हैं। साथ ही शेयर बाजारों के वेबसाइट पर भी इश्यू खुलने के विज्ञापन जारी करना कंपनियों के लिए अनिवार्य किया जा सकता है। हाल के वर्षो में सेबी को आइपीओ में गड़बड़ी की कई शिकायतें मिली हैं। इसे देखते हुए ही नियामक आइपीओ नियमों में सुधार पर जोर दे रहा है। इसी कड़ी में छोटे निवेशकों के लिए आइपीओ में निवेश के एक हिस्से की सुरक्षित वापसी की गारंटी देने की भी तैयारी की जा रही है।
तेरह भाषाओं में निवेशकों को जानकारी देगा सेबी
निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेबी जल्द ही अपने वेबसाइट पर 13 भारतीय भाषाओं में जानकारी मुहैया कराएगा। अभी सिर्फ अंग्रेजी में ही यह उपलब्ध है।नियामक ने यह फैसला बहुत पहले किया था मगर अभी तक इसकी शुरुआत नहीं की जा सकी है। अब इसे लेकर सेबी गंभीर है। इसके लिए एक ऐसी एजेंसी की तलाश की जा रही है जो स्थानीय भाषाओं में निवेश संबंधी जानकारी का अनुवाद कर सके। इन भाषाओं में हिंदी, असमी, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, उर्दू और कश्मीरी शामिल हैं।
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