खाद्य पदार्थों की महंगाई ने बढ़ाई आरबीआई की परेशानी
देश में बहुत से खाने-पीने की चीजों की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। इस साल अच्छे मॉनसून की संभावना और हाल के दिनों में हुई अच्छी बारिश के बावजूद कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही। एक तरफ इस महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख
नई दिल्ली। देश में बहुत से खाने-पीने की चीजों की कीमतें लगातार बढ़ी हुई है। इस साल अच्छे मॉनसून की संभावना और हाल के दिनों में हुई अच्छी बारिश के बावजूद कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही। एक तरफ इस महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है तो दूसरी तरफ थोक बिक्रेताओं के लिए यह अप्रत्याशित वरदान है। इसिलिए केंद्रीय बैंक और सरकार के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन अर्थव्यवस्था में वृद्धि को रफ्तार देने के लिए इस साल ब्याज दरों में तीन बार कटौती कर चुके हैं। लेकिन उन्होंने चेताया है कि अगर कमजोर बारिश से कीमतों में बढ़ोतरी होती है और महंगाई उनके लक्ष्य से ऊपर जाती है तो वह दरों में कटौती नहीं करेंगे। इसके चलते मुंबई में बॉन्ड और स्टॉक ट्रेडर लगातार मौसम के पूर्वानुमानों पर नजर जमाए हुए हैं।
लेकिन इस वित्तीय राजधानी से पूर्व में 330 किलोमीटर दूर स्थित औरंगाबाद के भीड़भाड़ वाले बाजार में एक थोक विक्रेता शेख शरीफ को मॉनसून पर नजर रखने की कोई जरूरत नहीं है। वह कहते हैं कि भले ही बारिश कैसी रहे, कीमतें ऊंची रहेंगी। उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में बेमौसम बारिश और उसके बाद लू से फसलों को नुकसान पहुंचा है और किसान इस कमी की तत्काल भरपाई की स्थिति में नहीं होंगे। उन्होंने कहा, 'कम आपूर्ति के कारण अच्छे मॉनसून के बावजूद सब्जियों की कीमतें बढ़ेंगी।' शरीफ ने कहा, 'अगर मॉनसून खराब रहा तो कीमतों और ज्यादा उछाल आएगी।'
भारत के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में दालों, सब्जियों और चिकन का हिस्सा 12 फीसद है। इसका मतलब है कि कीमतों में भारी बढ़ोतरी से आरबीआई के सामने बड़ी चुनौती पैदा हो जाएगी। आरबीआई ने उपभोक्ता कीमत बढ़ोतरी 2 से 6 फीसद के बीच रखते हुए इस साल देश का पहला महंगाई लक्ष्य जारी किया है। इस साल महंगाई इन स्तरों के बीच रहने से राजन ने ब्याज दरें कुल 75 आधार अंक कम की हैं।