Move to Jagran APP

पहली बार होगा आलू का आयात

प्याज संकट के बाद अब आलू की किल्लत की आशंका से सरकार के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। खुदरा और थोक बाजार में महंगाई अभी काबू में आई ही है कि सरकार के लिए आलू नई चुनौती बन गया है। हुदहुद की चक्रवाती बारिश और अगैती फसल की बुवाई में देरी के चलते अगले एक महीने तक आलू का संकट बना रहने का अनुमान है। इसका असर आलू कीमतों पर अभी से दिखने लगा है।

By Murari sharanEdited By: Published: Thu, 16 Oct 2014 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 16 Oct 2014 09:11 PM (IST)
पहली बार होगा आलू का आयात

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्याज संकट के बाद अब आलू की किल्लत की आशंका से सरकार के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। खुदरा और थोक बाजार में महंगाई अभी काबू में आई ही है कि सरकार के लिए आलू नई चुनौती बन गया है। हुदहुद की चक्रवाती बारिश और अगैती फसल की बुवाई में देरी के चलते अगले एक महीने तक आलू का संकट बना रहने का अनुमान है। इसका असर आलू कीमतों पर अभी से दिखने लगा है।

loksabha election banner

हालांकि सरकार ने इस आशंका को भांपते हुए घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए आलू आयात करने का फैसला कर लिया है। यह पहला मौका है जब आलू की कमी होने के चलते विदेश से आलू मंगाने की जरूरत पड़ रही है। आलू की किल्लत हुदहुद चक्रवात के चलते आलू उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश ने पैदा की है। आलू की अगैती खेती के पानी में डूब जाने से बीज सड़ गए हैं। बाकी बुवाई में भी देरी होने के आसार हैं। इससे जिंस बाजार में आलू महंगा हो गया है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि आलू की महंगाई रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आलू 35 से 40 रुपये किलो के भाव बिकने लगा है। इसे देखते हुए कृषि मंत्री के निर्देश पर मंत्रालय के आला अफसरों की गुरुवार को एक आपात बैठक हुई। इसमें आलू के मौजूदा स्टॉक और नई फसल के आने तक की जरूरतों की समीक्षा की गई। बैठक में आलू बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए आयात करने का फैसला लिया गया। पिछले एक सप्ताह के भीतर आलू के मूल्य में तेजी वृद्धि दर्ज की गई है। जुलाई में प्याज की कीमतें 80-90 रुपये प्रति किलो तक चली गई थीं।

आयात को जारी होगा टेंडर

बैठक के बाद कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने कहा कि आलू आयात के लिए सहकारी संस्था नैफेड की ओर से जल्दी ही वैश्विक टेंडर जारी किया जाएगा। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह तक टेंडर के जारी होने की संभावना है। इससे आलू की पहली खेप के नवंबर तक पहुंच जाएगी। यूरोप और पड़ोसी पाकिस्तान से आलू आयात की संभावना अधिक है। घरेलू बाजार में आलू की पर्याप्त आपूर्ति होने तक आयात जारी रहेगा। आलू आयात के लिए कुछ अन्य एजेंसियों से संभावनाएं तलाशने को कहा गया है।

आलू का मौजूदा स्टॉक

जून में ही आलू की मांग और आपूर्ति के अंतर को भांपकर सरकार ने आलू निर्यात रोकने के लिहाज से न्यूनतम निर्यात मूल्य [एमईपी] 450 डॉलर प्रति टन कर दिया था। आलू आयात पर फिलहाल 30 फीसद आयात शुल्क लागू है। कोल्ड स्टोर में रखा आलू का स्टॉक खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। इसी के मद्देनजर सरकार ने नई फसल के आने तक आलू का आयात करेगी। वर्ष 2013-14 में देश में कुल 4.43 करोड़ टन आलू की पैदावार हुई थी। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले लगभग ढाई फीसद कम था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.