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सेबी की आलोचना पर सहारा को चेतावनी

बाजार नियामक सेबी को 'सरकारी गुंडा' बताने वाले सहारा के विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट ने समूह को कड़ी चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि सहारा समूह धैर्य खोने पर अदालत को मजबूर न करे। सेबी एक वैधानिक निकाय है और वह केवल अपनी ड्यूटी निभा रहा है। अदालत ने समूह को उसी समाचार पत्र में क्षमापत्र प्रकाशित कराने को भी कहा है, जिस

By Edited By: Published: Thu, 12 Dec 2013 05:14 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सेबी की आलोचना पर सहारा को चेतावनी

नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी को 'सरकारी गुंडा' बताने वाले सहारा के विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट ने समूह को कड़ी चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि सहारा समूह धैर्य खोने पर अदालत को मजबूर न करे। सेबी एक वैधानिक निकाय है और वह केवल अपनी ड्यूटी निभा रहा है। अदालत ने समूह को उसी समाचार पत्र में क्षमापत्र प्रकाशित कराने को भी कहा है, जिसमें उसने यह विज्ञापन जारी किया है।

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निवेशकों के 20,000 करोड़ रुपये वापस कराने के लिए कोर्ट के आदेश को लागू कराने में जुटे सेबी के खिलाफ सहारा समूह की ओर से प्रकाशित कराए गए विज्ञापन में कहा गया था कि सेबी सरकारी गुंडा है और उसे अपना शिकार बना रहा है।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की पीठ ने इस विज्ञापन पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है। समूह हमें धीरज तोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है। इससे समूह को कोई लाभ नहीं होगा। उसे समझना चाहिए कि उस पर अवमानना का मामला चल रहा है। इस तरह की गतिविधियों से मामला और बिगड़ेगा।

अदालत की इस टिप्पणी के बाद सहारा के वकील ने तुरंत माफी मांग ली। साथ ही, समूह निवेशकों की रकम लौटाने के लिए अपनी 71 संपत्तियों के दस्तावेज सेबी को सौंपने पर सहमत हुआ। समूह ने इनकी कीमत 20,000 करोड़ रुपये बताई है।

पीठ ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को विदेश जाने की इजाजत देने की मांग करने वाली याचिका पर भी सुनवाई से इन्कार कर दिया।


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