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30 जून तक बदल लें पुराने नोट

अगर आपके पास वर्ष 2005 से पहले के नोट हैं तो उन्हें बैंक जाकर बदल लें। इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की समय सीमा 30 जून को समाप्त हो रही है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2015 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2015 10:27 PM (IST)

लखनऊ (काजी शकेब) । अगर आपके पास वर्ष 2005 से पहले के नोट हैं तो उन्हें बैंक जाकर बदल लें। इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की समय सीमा 30 जून को समाप्त हो रही है। इसके बाद वर्ष 2005 के पहले के नोट वैध तो रहेंगे, लेकिन परिचालन से बाहर हो जाएंगे।

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आरबीआइ ने जाली नोटों पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2005 से पहले के नोटों का परिचालन बंद करने का निर्णय किया है। दरअसल, केंद्रीय बैंक ने 2005 से नोटों में जारी होने का वर्ष छापना शुरू किया था। यह नोट के दूसरी तरफ सबसे छोटे अक्षर में छपा होता है। इन नोटों में सुरक्षा फीचर भी पहले के नोटों के मुकाबले बेहतर हैं, जिनकी नकल करना मुश्किल है।

न हों परेशान

नोट बदलने को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर आरबीआइ समय सीमा को नहीं बढ़ाता है तो भी पुराने नोट वैध बनेंगे। ये सिर्फ परिचालन से ही बाहर होंगे। ऐसे में कोई दुकानदार तो ऐसे नोट लेने से इन्कार कर सकता है, लेकिन बैंकों को इन्हें बदलना होगा। हालांकि 30 जून के बाद 500 और 1000 रुपये के दस से ज्यादा नोट बदलने पर आपको पहचान और पते का प्रमाण बैंकों को उपलब्ध कराना पड़ सकता है।

पुराने नोट बदलने के लिए अभी समयसीमा 30 जून ही है। इस संबंध में केंद्रीय बैंक एक सर्वे भी करा रहा है। इसके पूरा होने के बाद ही अंतिम निर्णय किया जाएगा। हालांकि लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। बैंकों में इन्हें कभी भी बदला जा सकता है।

अल्पना किल्लावाला, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, आरबीआइ

'..नोट बन जाएगा कागज' ने छुड़ाया पसीना

आरबीआइ क्लीन नोट पॉलिसी पर बेहद संजीदगी से काम कर रहा है। इस बाबत बैंकों को निर्देश जारी करने के साथ लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है। इस बारे में अक्सर कई तरह की अफवाहें भी उड़ती हैं। बुधवार को भी वाट्सएप पर एक मैसेज तेजी से वायरल हुआ, जिसे लेकर पूरा दिन चर्चा होती रही। कई लोग तो पसीना पोछते हुए बैंक भी जा पहुंचे। मैसेज में भारतीय स्टेट बैंक के नोटिस बोर्ड को दिखाया गया है।

इसके मुताबिक, '30 जून 2015 से नोट पर कुछ भी लिखा तो ऐसे नोट की कीमत कागज के टुकड़े के बराबर हो जाएगी। यह बाजार में नहीं चलेगा और न ही बैंक स्वीकार करेगा।' इस संबंध में आरबीआइ की प्रधान मुख्य महाप्रबंधक अल्पना किल्लावाला का कहना है कि यह भ्रम फैलाने वाला मैसेज है। ऐसा कोई भी निर्णय नहीं हुआ है। आरबीआइ की यह कोशिश जरूर है कि लोग नोटों को गंदा न करें और उन पर लिखने की आदत छोड़ें।


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