जीएसटी की राह में लगा कारोबारी सीमा का अड़ंगा
बहुप्रतीक्षित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) की राह में अड़चनें बनी बनी हुई हैं। जीएसटी के विभिन्न प्रावधानों को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। राज्यों की मांग है कि इसे लागू करने के लिए सालाना कारोबार की सीमा 10 लाख रुपये रखी जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) की राह में अड़चनें बनी बनी हुई हैं। जीएसटी के विभिन्न प्रावधानों को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। राज्यों की मांग है कि इसे लागू करने के लिए सालाना कारोबार की सीमा 10 लाख रुपये रखी जाए। पेट्रो उत्पादों को इसके दायरे से बाहर रखा जाए। राज्यों के अपने रुख पर कायम रहने के चलते जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने की उम्मीद को झटका लग सकता है। हालांकि राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने जीएसटी एक अप्रैल, 2016 से लागू होने की उम्मीद जताई है।
समिति के प्रमुख व जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथेर ने मंगलवार को कहा कि केंद्र ने उन्हें पत्र लिखकर जीएसटी लागू करने की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का सुझाव दिया है। राज्यों ने अगस्त में यह तय किया था कि जीएसटी के लिए कारोबार की सीमा 10 लाख रुपये रखी जाए। राज्यों ने इस संबंध में अपने फैसले से केंद्र को अवगत भी करा दिया था। इसके बाद केंद्र ने सितंबर में एक पत्र लिखकर कहा कि जीएसटी लागू करने की सीमा के संबंध में राज्यों के फैसले की समीक्षा की जाए।
यह भी सुझाव दिया कि अगर यह सीमा 25 लाख रुपये नहीं हो सकती तो कम से कम इतना किया जाए कि इसे 10 लाख रुपये से थोड़ा ऊपर कर दिया जाए। राथेर ने कहा कि अंतत: राज्यों ने तय किया है कि जीएसटी लागू होने की सीमा 10 लाख रुपये ही रखी जाए। राज्य पहले कह चुके हैं कि पेट्रोलियम उत्पाद, अल्कोहल और तंबाकू उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा जाए। राज्यों को अब तक संशोधित विधेयक का मसौदा नहीं मिला है। जैसे ही उन्हें यह मसौदा मिलेगा वे उस पर अपनी टिप्पणी देंगे।
जीएसटी लागू होने पर केंद्रीय स्तर पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा राज्यों के स्तर पर वैट, चुंगी सहित कई अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने 2011 में जीएसटी संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया था। लेकिन पंद्रहवीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के कारण यह विधेयक खत्म हो गया ।
इसलिए राजग सरकार को अब यह विधेयक फिर से पेश करना पड़ेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल में कहा है कि राज्यों के साथ उनकी बातचीत जारी है। जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश हो जाएगा। संसद का शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरू हो रहा है।