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बेमौसम बारिश से ऑटो उद्योग सशंकित

बेमौसम बारिश की वजह से रबी फसल के बड़े पैमाने पर खराब होने की खबर से ऑटो उद्योग संशकित है। खास तौर पर ग्रामीण बाजार पर दांव लगाने वाली ऑटो कंपनियों को लगातार दूसरे वर्ष खराब मौसम की मार झेलनी पड़ सकती है। प्राकृतिक आपदा से ग्रामीण इलाकों में लोगों

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2015 12:43 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2015 07:26 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बेमौसम बारिश की वजह से रबी फसल के बड़े पैमाने पर खराब होने की खबर से ऑटो उद्योग संशकित है। खास तौर पर ग्रामीण बाजार पर दांव लगाने वाली ऑटो कंपनियों को लगातार दूसरे वर्ष खराब मौसम की मार झेलनी पड़ सकती है। प्राकृतिक आपदा से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आमदनी प्रभावित होगी। इसकी वजह से वे नए वाहन नहीं खरीद पाएंगे।

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वाहन कंपनियों के शीर्ष संगठन सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के महानिदेशक विष्णु माथुर का कहना है कि ग्रामीण बाजार वाहनों के लिए काफी अहम हो गया है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आय में कमी होती है तो उसका सीधा असर बिक्री पर पड़ता है। पिछले वर्ष मानसून ठीक नहीं रहा। इसकी वजह से ग्रामीण मांग में खास इजाफा नहीं हुआ। इस वर्ष बेमौसम बारिश का खतरा है।

सियाम की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़े बताते हैं कि कुल मिलाकर बीते वित्त वर्ष 2014-15 में मोटरसाइकिलों की बिक्री में 2.50 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन पिछले पांच महीनों से बाइकों की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। इसके उलट शहरों की वजह से स्कूटरों की बिक्री में 25 फीसद से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

पिछले वित्त वर्ष के 11 माह में पैसेंजर कारों की बिक्री में पांच फीसद की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन छोटी कारों की बिक्री में आठ फीसद की गिरावट हुई है। माना जाता है कि देश की 50 फीसद मोटरसाइकिलों और 20 फीसद छोटी कारों (1000 सीसी क्षमता से कम) की बिक्री ग्रामीण बाजार में होती है। बेमौसम बारिश के अलावा ऑटो कंपनियों को मनरेगा को लेकर सरकार के कड़े तेवर की मार भी झेलनी पड़ रही है।

सियाम के अधिकारी बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष के उतरा‌र्द्ध में मनरेगा के लिए फंड जारी होने की रफ्तार पर लगाम लगाया गया तो उसके बाद से मोटरसाइकिलों की बिक्री की रफ्तार भी धीमी होती चली गई। मनरेगा के तहत ग्रामीण युवाओं को मिल रहे रोजगार को कई विशेषज्ञों ने सीधे तौर पर वाहनों की बिक्री से जोड़ कर देखा था।

छोटी कारों के बाजार में देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि ग्रामीण बाजार में बिक्री घटी है। लेकिन वह मान रहे हैं कि आगे चलकर देश के ग्रामीण बाजार में कारों की खूब बिक्री होगी। वैसे गांवों में मारुति की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार अल्टो की बिक्री पिछले वर्ष 2.4 फीसद घटी है।

कुल मिलाकर अच्छा रहा साल

नई दिल्ली : समग्र तौर पर देखें तो बीता वित्त वर्ष भारतीय ऑटो उद्योग के लिए इसके पिछले दो सालों के मुकाबले बेहतर रहा है। सियाम के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 में पैसेंजर कारों की बिक्री पांच फीसद और दोपहिया वाहनों की बिक्री में आठ फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

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