Move to Jagran APP

विकास के साथ जान-माल की हिफाजत पर जोर दे बजट

आम बजट में अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने, महंगाई को काबू में रखने और विकास दर को ऊपर ले जाने के साथ ही सरकार जान-माल की हिफाजत सुनिश्चित करने के उपायों पर भी जोर दे। इसके लिए उद्योग जगत ने सरकार से बम और विस्फोटक निरोधक उपकरणों सहित विभिन्न सुरक्षा उपकरणों

By Murari sharanEdited By: Published: Thu, 22 Jan 2015 07:25 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jan 2015 08:51 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो] । आम बजट में अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने, महंगाई को काबू में रखने और विकास दर को ऊपर ले जाने के साथ ही सरकार जान-माल की हिफाजत सुनिश्चित करने के उपायों पर भी जोर दे। इसके लिए उद्योग जगत ने सरकार से बम और विस्फोटक निरोधक उपकरणों सहित विभिन्न सुरक्षा उपकरणों पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के करों में कटौती की मांग की है। देश में बढ़ती आतंकी वारदातों व उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में बढ़ती आपराधिक घटनाओं के मद्देनजर उद्योग जगत की यह मांग वाजिब है।

loksabha election banner

उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने यह मांग हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चर्चा के दौरान रखी। उद्योग संगठन सीआइआइ ने कहा कि एक व्यक्ति से लेकर बड़े उद्योगों तक हर किसी के लिए सुरक्षा चिंता का विषय है। एक व्यक्ति जहां खुद को और अपने परिजनों को महफूज रखना चाहता है वहीं बड़े औद्योगिक और ढांचागत प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बेहद जरूरी है।

यही वजह है कि आज सीसीटीवी और मेटल डिटेक्टर सहित विभिन्न प्रकार के सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए वित्त वर्ष 2015-16 के आम बजट में चोरी रोकने वाले अलार्म, फायर अलार्म और अन्य तरह के सुरक्षा उपकरणों पर मौजूदा आयात शुल्क की दर 10 फीसद से घटाकर साढ़े सात फीसद किया जाए।

उद्योग जगत ने सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र में सुरक्षा उपकरणों की खरीद पर अलग-अलग दर से लगने वाले टैक्स की मौजूदा विसंगति को भी दूर करने की मांग की है। सीआइआइ ने कहा कि एक्स रे बैगेज इंस्पेक्शन मशीन का आयात अगर सरकारी एजेंसियों के लिए होता है तो उस पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता लेकिन निजी क्षेत्र की कंपनियों के उपयोग के लिए इनका इस्तेमाल करने पर आयात शुल्क लगता है। बीते कुछ वर्षो में देश में कई हवाई अड्डे पीपीपी आधार पर बने हैं।

निजी कंपनियां ही इन हवाई अड्डों का परिचालन और प्रबंधन कर रही हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसियों को मिलने वाली यही छूट निजी क्षेत्र को भी मिले। इसके लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों को नागर विमानन मंत्रालय से इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर आयात शुल्क में छूट का यह लाभ मिलना चाहिए।

इसके साथ ही उद्योग जगत ने सुरक्षा और सेफ्टी उपकरणों पर उत्पाद शुल्क की दर 12 फीसद से घटाकर 10 फीसद करने व छूट को बढ़ाकर 31 मार्च 2015 तक जारी रखने की मांग की है। सरकार ने यह छूट 17 फरवरी 2014 को दी थी और यह सिर्फ 31 दिसंबर 2014 तक मान्य थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.