छह साल तक भारत के हाथों में रहेगी ब्रिक्स विकास बैंक की कमान
फोर्तालेजा। पहले छह सालों के लिए 100 अरब डॉलर के ब्रिक्स विकास बैंक की कमान भारत के हाथों में रहेगी। बुधवार को इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गई। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में मंगलवार को पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने नए बैंक के गठन पर अपनी-अपनी रजामंदी दे दी
फोर्तालेजा। पहले छह सालों के लिए 100 अरब डॉलर के ब्रिक्स विकास बैंक की कमान भारत के हाथों में रहेगी। बुधवार को इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गई। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में मंगलवार को पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने नए बैंक के गठन पर अपनी-अपनी रजामंदी दे दी।
नया विकास बैंक चीन की वित्तीय राजधानी शंघाई में बनेगा। यह दो साल में काम करना शुरू कर देगा। भारत के बाद इसकी अध्यक्षता ब्राजील और रूस के पास जाएगी। दोनों पांच-पांच साल तक इसकी कमान संभालेंगे। गहन बातचीत के बाद पांचों ब्रिक्स देशों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका-की इस पर सहमति बनी है।
बैंक के साथ 100 अरब डॉलर के आपात कोष सीआरए के बारे में छठे ब्रिक्स सम्मेलन के समापन पर घोषणा की गई। ये दोनों, सदस्य देशों की अल्पकालिक नकदी संकट की समस्या का सामना करने में मदद करेंगे। सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी के शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ ने शिरकत की।
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि भारत को छोड़ सभी संबंधित देशों को समझौते को अपनी संसद से मंजूरी देने के लिए छह माह का समय दिया गया है। भारत को ऐसी संसदीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। सीआरए के लिए चीन सर्वाधिक 41 अरब डॉलर का अंशदान करेगा। बाकी का अंशदान कम होगा।
सम्मेलन के निर्णय का स्वागत करते हुए मोदी ने कहा, 'दो साल पहले दिल्ली में नए विकास बैंक की परिकल्पना ने फोर्तालेजा में मूर्त रूप ले लिया है। यह ब्रिक्स देशों के लिए फायदेमंद होगा। अन्य विकासशील देशों को भी इसका लाभ मिलेगा।' आपात कोष पर प्रधानमंत्री का कहना था कि इससे सदस्य देशों को आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अस्थिरता के बीच यह महत्वपूर्ण पहल है। बैंक के गठन को लेकर घोषणा करते हुए रोसेफ ने कहा, 'यह समय का संकेत है, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) में सुधार की मांग करता है।'