डेबिट कार्ड डेटा चोरी मामले में बैंकों पर लग सकती है पेनल्टी, वित्त मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
देश के 32 लाख एटीएम डेटा चोरी होने के बाद वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक सतर्क हो गए हैं
नई दिल्ली: देश के 32 लाख एटीएम डेटा चोरी होने के बाद वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक सतर्क हो गए हैं। इन दोनों ने बैंकों से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वो यह बताएं कि कितने खाता धारकों का डेटा चोरी हुआ है और उनमे से कितने पैसे निकाले गए हैं। मंत्रालय ने आरबीआई और नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से डेबिट कार्ड का डेटा चोरी होने के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है। वहीं इस घटना के बाद बैंकों की फंक्शनिंग एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है।
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बैंकों पर लग सकती है पेनल्टी:
हालांकि कितने खाताधारकों के एटीएम के डेटा चुराए गए हैं अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन यह बताया जा रहा है कि बैंकों को इसकी जानकारी छह हफ्ते पहले ही मिल गई थी। कुछ ग्राहकों ने ग्राहकों ने विदेशों से अपने कार्ड से अवैध ट्रांजैक्शिन होने की शिकायत दर्ज कराई थी।
क्या कहा एनपीसीआई ने:
एनपीसीआई ने बताया कि 19 बैंकों के कार्ड और 641 कस्ट मर्स की तरफ से ही धोखाधड़ी की शिकायतें आई हैं। सभी बैंकों ने इस मामले में 1.3 करोड़ रुपए शामिल होने की रिपोर्ट दी है। वहीं दूसरी तरफ कुछ बैंकों, एनपीसीआई, वीजा और मास्ट र कार्ड का कहना है कि उनके सिस्टुम की सुरक्षा में सेंध नहीं लगी है।
पैसा गंवाने वाले कस्टमर्स को पैसा लौटा सकते हैं बैंक!
एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक और यस बैंक अपने ऐसे कस्टमर्स या दूसरे बैंकों को पैसा रिफंड करने पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें बैंक के डेटा में साइबर सेंध लगने से नुकसान हुआ हो।
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक साइबर सेंध से प्रभावित एक बैंक के बैंकर ने बताया, 'हो सकता है कि किसी ने बैंक ए का डेबिट कार्ड बैंक बी के एटीएम से पैसा निकालने में किया हो। हम पैसा गंवाने वाले कस्टमर्स को हफ्ते भर में रीइंबर्स करेंगे। हम दूसरे बैंकों से भी बात कर रहे हैं कि उनसे किस तरह रीइंबर्स कराया जा सकता है।'