बैंकिंग सेक्टर के एनपीए में भारी बढ़ोतरी, सरकारी बैंकों के डूबे कर्ज हुए दोगुने
केयर रेटिंग्स के मुताबिक सरकारी बैंकों के एनपीए में हुई बढ़ोतरी की वजह से पूरे बैंकिंग सेक्टर के एनपीए करीब दोगुने होकर 8.5 फीसदी के करीब पहुंच गए हैं।
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में बैंकों के में डूबे हुए कर्ज (NPA) में भारी बढ़ोतीर हुई है। केयर रेटिंग्स के मुताबिक सरकारी बैंकों के एनपीए में हुई बढ़ोतरी की वजह से पूरे बैंकिंग सेक्टर के एनपीए करीब दोगुने होकर 8.5 फीसदी के करीब पहुंच गए हैं।
जून तिमाही में बैंकिंग सेक्टर के कुल एनपीए कुल 8.5 फीसदी तक पहुंच गए, जबकि पिछले साल इसी दौरान एनपीए कुल 4.6 फीसदी के करीब थे। एनपीए में हुई इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण सरकारी बैंकों के एनपीए में आई तेजी है। 2016 की जून तिमाही में सरकारी बैंक के एनपीए 10.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गए जो जून 2015 में 5.3 फीसदी के स्तर पर थे। वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए जून तिमाही में 3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गए जो पिछले साल 2.1 फीसदी पर थे। हांलाकि रेटिंग एजेंसी डूबे हुए कर्जों का कोई निश्चित आंकड़ों नहीं दे सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि सरकारी बैंक डूबे हुए कर्जों की पहचान करने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। अगसे एक से दो तिमाही में यह स्थिति सुधरती दिखेगी। रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि बढ़ते हुए एनपीए के लिए लगातार प्रोविजनिंग करना एक चिंता का विषय है जो बैंकों के मुनाफे पर असर डालेगा। हाल में आए तिमाही नतीजों में बहुत सारे सरकारी बैंकों को नुकसान हुआ है। वहीं देश के सबसे बड़े SBI की आय में 32 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं निजी बैंकों की कुल आय में 2.6 फीसदी की गिरावट आई है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक बैंकों के मुनाफे में यह गिरावट सरकार की बैंक हिस्सेदारी बेच पैसा जुटाने योजना के लिए दिक्कत की बात है।