ब्याज दरों को तार्किक बनाने को किया फैसला: अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कटौती के फैसले से पीछे नहीं हटने का संकेत देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कटौती के फैसले से पीछे नहीं हटने का संकेत देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। जेटली ने कहा कि छोटी बचत योजनाओं का एक पुराना फॉर्मूला है और यह कई वर्षों से चला आ रहा है। पिछली सरकार भी इसी आधार पर ब्याज दर तय करती थी।
उन्होंने कहा कि ब्याज दर बाजार तय करता है और सरकार इसमें थोड़ी बहुत सब्सिडी देती है। पहले यह सालाना आधार पर तय होती थी लेकिन अब तिमाही आधार पर होती हैं। उन्होंने कहा कि बीच में ब्याज दरें बढ़ी तो सरकार पर बोझ पड़ा। बैंकों की ऋण दर में कमी आई है और वे जमा राशि पर अधिक ब्याज कैसे दे सकते हैं। अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। अब भी लघु बचत योजनाओं में ब्याज दर दुनिया में सर्वाधिक है।
जेटली ने कहा है कि लघु बचत स्कीमों की ब्याज दरों में कमी अर्थव्यवस्था के मौजूदा परिदृश्य में दरों को तार्किक बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि कर्ज की दरों में कमी लाने के लिए यह जरूरी है कि जमा दरों को भी नीचे लाया जाए।
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि अर्थशास्त्र के नियम के मुताबिक समय समय पर कर्ज और जमा दरों के बीच तालमेल बिठाना जरूरी होता है। लघु बचत स्कीमों पर मिलने वाली ब्याज दर में कमी का फैसला नया नहीं है। ऐसा पहले भी कई बार हुआ है। अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात के मुताबिक ये फैसले लिए जाते हैं।
जेटली ने कहा कि अभी ब्याज दरों में नरमी का दौर है। कर्ज की दरें कम हो रही हैं। लिहाजा बैंकों को जमा दरें भी कम करनी पड़ेंगी। बाजार दरों के साथ तालमेल बिठाने के लिए सरकार को भी लघु बचत स्कीमों में ब्याज दर को घटाना अनिवार्य हो गया है। भविष्य में जब कर्ज की दरों में वृद्धि का दौर आएगा तो जमा दरों में भी खुद ब खुद वृद्धि का सिलसिला शुरु हो जाएगा।
गौरतलब है कि कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कटौती करने पर सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए इसे गरीबों, किसानों और मध्य वर्ग पर कड़ा प्रहार बताया और इसे वापस लेने की मांग की है। खुद भाजपा से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है।
जेटली ने बताया कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी माहौल अब सकारात्मक दिख रहा है। विपक्ष और सरकार के बीच मतभिन्नता कम हो रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद में जीएसटी के पारित होने की संभावनाएं बन रही हैं। जीएसटी को लेकर कांग्रेस मुख्य तौर पर विरोध कर रही है। जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर प्रस्तावों को सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है। कांग्रेस का भी एक बड़ा वर्ग यह स्वीकार कर रहा है कि जीएसटी का पारित होना देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए होगा।
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