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अनिल अंबानी की कंपनियों ने किया शर्तो का उल्लंघन

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने खुलासा किया है कि अनिल अंबानी समूह की दूरसंचार कंपनियों ने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लीगेशन फंड (यूएसओएफ) की शर्तो का उल्लंघन किया है। इसके चलते देश के दूरदराज के कई इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों को सस्ती मोबाइल सेवा का लाभ नहीं मिल सका। लोकसभा में शुक्रव

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 10:08 PM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 10:08 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने खुलासा किया है कि अनिल अंबानी समूह की दूरसंचार कंपनियों ने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लीगेशन फंड (यूएसओएफ) की शर्तो का उल्लंघन किया है। इसके चलते देश के दूरदराज के कई इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों को सस्ती मोबाइल सेवा का लाभ नहीं मिल सका। लोकसभा में शुक्रवार को कैग की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से संबंधित ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई।

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इसमें कहा गया है कि अनिल की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) व रिलायंस टेलीकॉम (आरटीएल) ने यूएसओएफ और यूएएसएल समझौतों का उल्लंघन किया। यूएसओएफ के तहत निजी कपंनियों को दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल सेवा मुहैया करानी थीं। इसके लिए सरकार इन कंपनियों को यूएसओएफ फंड से वित्तीय मदद देती है।

कैग के मुताबिक आरकॉम व आरटीएल ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए क्रमश: 1,191 और 228 टावर (बीटीएस) 22 नवंबर, 2010 से बंद कर दिए। कंपनियों का कहना था कि इन जगहों पर बिजली की उपलब्धता नहीं थी, इसलिए इन्हें बंद किया गया। साथ ही ढांचागत सुविधा देने वाली कंपनी ने भी अपना काम पूरा नहीं किया।

कैग का कहना है कि आरकॉम और आरटीएल द्वारा बीटीएस बंद करने की वजह को मंत्रालय ने भी स्वीकार नहीं किया। मंत्रालय ने इन दोनों कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। आरकॉम और आरटीएल ने बीटीएस बंद करके दोनों यूएसओएफ और यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस समझौतों का उल्लंघन किया। इन दोनों ही समझौतों के तहत मोबाइल सेवा बंद नहीं की जा सकती।

कैग ने इस मामले में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की खिंचाई की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय ने इस मामले को सिर्फ यूएसओएफ समझौते की शर्तो का उल्लंघन माना। इससे यूएएसएल समझौते की शर्तो का भी उल्लंघन हुआ था, मगर उसे स्वीकार नहीं किया गया। दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को उपभोक्ताओं का शत प्रतिशत सत्यापन करने की जरूरत है, लेकिन सातों दूरसंचार कंपनियों ने ऐसा नहीं किया। इन कंपनियों से 2,116.95 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूलना चाहिए था, लेकिन अब तक यह लंबित है।

पढ़ें : अनिल अंबानी को देनी होगी गवाही


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