एक साल में लगे 37 मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट : प्रसाद
प्रसाद बोले कि देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मैन्यूफैक्चरिंग के अलावा प्रोडक्ट डिजाइनिंग भी महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, प्रेट्र : देश में बीते एक साल के दौरान 37 नए मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगे। इनसे 40 हजार प्रत्यक्ष रोजगार मिले। जबकि सवा लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां तैयार हुई। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी।
शनिवार को प्रसाद ने यहां सरकारी फंड से बने 'इलेक्ट्रोप्रेन्योर पार्क' का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत को इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग का बड़ा केंद्र बनाने का फैसला किया है। बीते एक साल में 11 करोड़ मोबाइल फोन देश में बने। इससे पहले छह करोड़ फोन बनते थे।
जियोनी और शाओमी जैसी चीन की कंपनियां आंध्र प्रदेश में फॉक्सकॉन प्लांट में अपने हैंडसेट बना रही हैं। जबकि कार्बन, लावा, माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, जिवी, आइटेल और एमटेक जैसी कंपनियों ने भी अपने मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट देश में लगाए हैं। सूत्रों के मुताबिक, चीन की कंपनी लेइको भी मंगलवार से मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर देगी।
प्रसाद बोले कि देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मैन्यूफैक्चरिंग के अलावा प्रोडक्ट डिजाइनिंग भी महत्वपूर्ण है। इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में नए उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट फंड के तहत दस हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस में इस दिन शुरू हुआ इलेक्ट्रोप्रेन्योर पार्क इंक्यूबेशन सेंटर है।
इसे करीब 21 करोड़ रुपये के सरकारी फंड से बनाया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐसी छह स्टार्टअप फर्मो को चुना है जो इस इंक्यूबेशन सेंटर में उत्पादों को विकसित करेंगी। सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि भारत तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं का आयात करता है। 2020 तक सरकार ने आयात को शून्य पर लाने का लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में बढ़ते हुए ही नए इलेक्ट्रोप्रेन्योर पार्क को शुरू किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय पंचाट में मिले अधिक हिस्सेदारी
केंद्रीय कानून व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ताज्जुब जताया है कि अंतरराष्ट्रीय विवाद निपटान तंत्र में गैर-पश्चिमी देशों के आर्बिट्रेटर्स (पंचों) की संख्या क्यों बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय पंचाट की पक्षपातपूर्ण प्रकृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस तंत्र में भारतीय प्रतिनिधित्व मामूली है। कुछ विकसित देशों ने वहां कब्जा जमाया हुआ है। भारतीय न्यायापालिका ने कुछ सर्वोच्च न्यायाधीश दिए हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय पंचाट में क्यों उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। यहां 'इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन इन ब्रिक्स' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन के दौरान प्रसाद बोले रहे थे।