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मिस्त्री को टाटा संस से विदाई, पालोनजी ग्रुप जाएगा कोर्ट; जानें- 10 खास बातें

सायरस मिस्त्री को इस तरह से हटाए जाने का कदम काफी चौकाने वाला है। जानिए टाटा के इस कदम से जुड़ी 10 खास बातें।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 01:36 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 10:32 AM (IST)
मिस्त्री को टाटा संस से विदाई, पालोनजी ग्रुप जाएगा कोर्ट; जानें- 10 खास बातें

नई दिल्ली: रतन टाटा ने टाटा सन्स के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को उनके पद से हटाकर बतौर अंतरिम चेयरमैन पदभार संभाल लिया है। आपको बता दें कि 78 साल के चेयरमैन रतन टाटा सिर्फ 4 महीने के लिए ही अंतरिम चेयरमैन रहेंगे। इसके साथ ही टाटा का अगला चेयरमैन कौन होगा इसके लिए एक सर्च पैनल भी बना दिया गया है। सायरस मिस्त्री को इस तरह से हटाए जाने का कदम काफी चौकाने वाला है। जानिए टाटा के इस कदम से जुड़ी 10 खास बातें।

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  1. कौन हैं साइरस मिस्त्री?: साइरस मिस्त्री दिसंबर 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा ग्रुप के छठे चेयरमैन बने थे। मिस्त्री 2006 से कंपनी के बोर्ड में डायरेक्टर हैं। वो उस वक्त रतन टाटा के करीबी माने जाते थे। साइरस मिस्त्रीे इससे पहले शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी थे। मिस्त्री ने 1990 में इंपीरियल कॉलेज, लंदन से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की डिग्री ली है। साल 1997 में मिस्त्री ने लंदन बिजनेस स्कूमल से मैनेजमेंट में एमएससी किया। मिस्त्री इंडिया-यूएस सीईओ फोरम और इंडिया-यूके सीईओ फोरम में को-चेयर के रूप में काम कर चुके हैं।
  2. क्यों नाखुश रहे टाटा: अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रतन टाटा को लगता था कि साइरस का पूरा फोकस टाटा कंसल्टेंसी सर्विस यानी टीसीएस पर ही है। जबकि ये कंपनी पहले ही प्रॉफिट में थी और यह सबसे ज्यादा स्थापित है। साइरस उन कंपनियां के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं जो काफी समय से दिक्कतों का सामना कर रही हैं।
  3. सर्च कमेटी का गठन: पांच सदस्यीय सर्च कमेटी का गठन कर दिया गया है, जिसका काम ग्रुप के नए चेयरमैन का चुनाव करना होगा। इस कमेटी को यह काम फरवरी 2017 से पहले पूरा करना होगा। इस सर्च कमेटी में रतन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और सुशांत कुमार भट्टाचार्या होंगे। ये सभी टाटा ग्रुप के बाहर और भीतर के विकल्पों को देखते हुए टाटा ग्रुप के अगले चेयरमैन का चुनाव करेंगे।
  4. अंतिरम चेयरमैन का चयन: सायरस मिस्त्री को उनके पद से हटाए जाने और नए चेयरमैन के मिलने तक रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन रहेंगे। रतन टाटा चार महीने तक यह जिम्मेदारी संभालेंगे। फरवरी में ग्रुप को नया चेयरमैन मिल जाएगा। यूके में हाउस ऑफ लार्ड्स और सर्चिंग कमेटी के सदस्य सुशांत भट्टाचार्या जिन्होंने साल 2012 में सायरस मिस्त्री का चयन किया था, ने उन्हें उज्ज्वल और निस्वार्थ बताया था।
  5. टाटा ने कर्मचारियों और पीएम मोदी को दी जानकारी: अंतरिम चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा ने कंपनी कर्मचारियों को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि ग्रुप के स्थायित्व (स्टेबिलिटी) और लोगों का ग्रुप में फिर से भरोसा जताने के लिए वो फिर से चेयरमैन बन रहे हैं। इसके अलावा टाटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर बताया कि टाटा ग्रुप के टॉप मैनेजमेंट में क्या बदलाव किया गया है।
  6. क्या कहा शापूरजी एंड पालोनजी ग्रुप ने: शापूरजी एंड पालोनजी ग्रुप ने एक बयान में कहा कि मिस्त्री को हटाने का फैसला सबकी सहमति से नहीं लिया गया है। ग्रुप के मुताबिक, 8 बोर्ड मेंबर्स मीटिंग में थे जिसमे से 6 ने मिस्त्री हटाने के फेवर में वोट किया जबकि दो इससे दूर रहे। मिस्त्री को हटाने से पहले 15 दिन का नोटिस दिया जाना था, जो कि नहीं दिया गया। वहीं खबरें यह भी आ रही हैं कि टाटा ग्रुप को यह लग रहा था कि मिस्त्री को हटाने के फैसले को कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है। इसलिए ग्रुप ने हरीश साल्वे और अभिषेक मनु सिंघवी को पहले ही हायर कर लिया है। कुछ रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आर.वी. रविंद्रन, सीनियर लॉयर पी. चिदंबरम और मोहन पाराशरन से ग्रुप ने फैसले के पहले एडवाइज ली थी। ग्रुप ने कहा है कि वह इस मामले को हाईकोर्ट में चैलेंज करेगा।
  7. कम होता कंपनी का टर्न ओवर: सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने की प्रमुख वजह कंपनी का लगातार कम होता टर्न ओवर भी बताया जा रहा है। वित्त वर्ष 2014-15 में टाटा ग्रुप का टर्नओवर 108 अरब डॉलर रहा था जो कि वित्त वर्ष 2015-16 में घटकर 103 अरब डॉलर रह गया। वहीं ग्रुप का कुल कर्ज/देनदारी मार्च 2015 में जहां 23.4 अरब डॉलर थी, वह मार्च 2016 में बढ़कर 24.5 अरब डॉलर हो गई।
  8. मुश्किल वक्त के बीच ब्रैग्जिट: टाटा संस बीते कुछ सालों में मुश्किल दौर से गुजरी है। साल 2016 की पहली तिमाही में टाटा स्टील को 3 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। ब्रिटेन जैसे ही यूरोपियन यूनियन से बाहर हुआ, टाटा स्टील पर संकट मंडराने लगा। इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि यूरोप में टाटा स्टील पहले ही नुकसान में थी।
  9. डोकोमो भी रही वजह: जापान की कंपनी डोकोमो टाटा टेलिसर्विसेस से अलग हो गई, जिसके कारण टाटा टेलीसर्विस को भी नुकसान उठाना पड़ा। डोकोमो ने टाटा से 1.2 बिलियन डॉलर का हर्जाना मांगा है और ऐसा ना होने पर टाटा की ब्रिटिश प्रॉपर्टीज पर मालिकाना हक दिए जाने की मांग भी की है।
  10. वादे नहीं किए पूरे: कार्यभार संभालने के दौरान मिस्त्री ने वादा किया था कि वो हर साल टाटा के लिए दो नई लॉन्चिंग करेंगे। हालांकि टाटा मोटर्स की दो नई लॉन्च जीका (बाद में टियागो हो गई) और बोल्ड घरेलू बाजार में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम दिखीं। वहीं ब्रिटिश यूनिट में जगुआर और लैंड रोवर जैसे ब्रांड्स पर ब्रेक्जिट का असर हुआ।

कंपनी से जुड़ी अन्य बातें:

  • टाटा ग्रुप पर एक नजर:बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से टाटा ग्रुप देश का सबसे बड़ा ग्रुप है। इस ग्रुप की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनी है। फिलहाल टीसीएस का टोटल मार्केट कैप करीब 4.8 लाख करोड़ रुपए है। वहीं टाटा मोटर्स का कुल मार्केट कैप करीब 1.6 लाख करोड़ रुपए है। साथ ही ग्रुप की टोटल 18 कंपनियां लिस्टेड हैं। इनकी कुल बाजार हिस्सेदारी करीब 8.2 लाख करोड़ रुपए है।
  • रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा: आपको बता दें कि रतन टाटा साल 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा संस के चेयरमैन रहे थे। रतन, टाटा की बड़ी कंपनियों टाटा मोटर्स, टाटा स्टीरल, टाटा कंसल्टेंेसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा ग्लोेबल बेवरेजेज, टाटा केमिकल्से, इंडियन होटल्सड और टाटा टेलिसर्विसेज के भी चेयरमैन रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में ग्रुप का रेवेन्यूज कई गुना बढ़ा। 2011-12 में ग्रुप का कुल रेवेन्यूर 100 अरब डॉलर से अधिक हो गया था।

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