होली आई रे....
होली का नाम आते ही मन खुशी और उल्लास से भर जाता है। आइए जानते हैं ग्लैमर जगत से जुड़े कुछ सितारों की यादगार होली के बारे में...
होली का नाम आते ही मन खुशी और उल्लास से भर जाता है। आइए जानते हैं ग्लैमर जगत से जुड़े कुछ सितारों की यादगार होली के बारे में...
टमाटर से खेलती थी होली
श्रद्धा आर्या
होली के रंग हमारे उत्साह को दोगुना करते हैं। स्कूली दिनों में मैं और मेरे दोस्त टमाटर और मिट्टी घुले पानी से होली खेलते थे। इनसे हम भूत जैसे बन जाते थे। हमारे पैरेंट्स गुब्बारे खरीद कर नहीं देते थे। सो होली के दो हफ्ते पहले हम गुब्बारे एकत्र करना शुरू कर देते थे और उन्हें किताबों में छिपा देते थे। यह होली मेरे लिए खास होने वाली है, क्योंकि मैं चंडीगढ़ में होली मनाऊंगी। मैं वहां पर होने वाले वल्र्ड होली फेस्ट में परफॉर्म करूंगी।
बच्चा पार्टी संग मच गया धमाल
अदिति सजवान
छोटे-छोटे बच्चे मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। उनकी हंसी, उनकी मस्ती, निराले अंदाज मन को ताजगी से भर देते हैं। मेरी यादगार होली भी उनके संग ही जुड़ी है। बात तब की जब मेरे छोटे भाई का जन्म हुआ था। जिस दिन होली थी उसका अन्नप्रासन संस्कार था। घर में बहुत लोग आए थे, उनसे ज्यादा बच्चे थे। सुबह हम सबने तैयार होकर पूजा की। इसके बाद पूरा दिन होली के नाम। अंदाजा नहीं था कि बच्चों की वजह से इतनी बड़ी होली मन जाएगी। खुशियों के रंग में सब नहाए हुए थे। लाल, पीला, हरा, गुलाबी हर तरफ रंग ही रंग थे। दोपहर गुजर गई, पर होली खेलते रहने की ख्वाहिश खत्म नहीं हुई।
सूखे रंगों में भी है आनंद
परिधि शर्मा
जब मैं छोटी थी और पड़ोसी मुझ पर रंग डाल देते थे तो मैं खूब नाराज होती थी। उस समय होली मनाने के असल कारणों से परिचित नहीं थी। जैसे-जैसे बड़ी होती गई मुझे इसका महत्व समझ आने लगा। मैं इस त्योहार को एंजॉय करने लगी। साथ ही यह भी लगा कि पर्यावरण को ताक पर रखकर मौज-मस्ती करना जायज नहीं है। मैंने पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने का प्रण लिया। वही होली मेरी सबसे यादगार हो गई। मैं इस मौके पर पानी बर्बाद नहीं करती। मेरा मानना है कि सूखे रंगों से भी होली खेली जा सकती है। इसमें भी उतना ही आनंद आता है जितना गीले रंगों को खेलने पर आता है।
नहीं छूटा बालों का रंग
सुजाना बर्नेट
जुहू में मनाई गई होली मुझे हमेशा याद रहेगी। वहां पर मैं अपने पति अखिल के साथ गई थी। जैसे ही मैं अंदर पहुंची मुझे स्वीमिंग पूल में धक्का दे दिया गया। पूल में रंगों को घोला गया था। रंग बहुत पक्के थे। सो चढ़ना ही था। होली की पार्टी के बाद मुझे बालों की आइलिंग करने की महत्ता समझ में आई। दरअसल मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि होली खेलने से पहले खासतौर पर बालों में तेल लगाने की जरूरत होती है। इससे बाल खराब नहीं होते और रंग भी नहीं चढ़ता। उस दिन मेरे बालों में चढ़ा हरा रंग मेरे लिए कई दिनों तक सिरदर्द बना रहा। बालों का रंग साफ होने में कई दिन लग गए थे।
सादे पानी से खेलती हूं
विवाना सिंह
इस त्योहार की परंपरा बेहद खूबसूरत है। होली नाचने, गाने और मस्ती करने का मौका देती है। मैं भी अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ होली का पूरा लुत्फ लेती हूं। मेरे लिए हर होली यादगार होती है। होली पर खासतौर पर बनने वाले पकवान का स्वाद हमेशा जुबान पर रह जाता है। वैसे यह पकवान कभी भी बन सकते हैं, पर होली पर इन्हें खाने का मजा ही अलग होता है। मुझे रंगों से डर लगता है, इसलिए मैं सादे पानी से होली खेलना पसंद करती हूं।
हर होली होती है खास
राधिका मदान, अभिनेत्री
मेरे लिए हर होली खास होती है। होली को मैं अपने करीबियों के साथ मनाती हूं। हम खूब मस्ती करते हैं। रंगों का त्योहार है तो एक-दूसरे को रंग लगाने से बाज नहीं आते। होली के दिन खाना भी स्पेशल बनता है। गुझिया और कई अन्य मीठी चीजें खूब बनती हैं। हम उनका खूब लुत्फ उठाते हैं। इस साल भी शूटिंग से छुट्टी लेकर मैं अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ होली मनाने को बेकरार हूं। मुझे लगता है कि इस बार की होली फिर यादगार होगी।
दो दिन नहीं उतरी थकान
तोरल रासपूत्रा
जब मैं बारह साल की थी तब की होली काफी यादगार है। मैं अपने चाचा के घर गई थी। वहां हम सब होली का त्योहार मनाने के लिए एकत्र हुए थे। होली में हम सब भाई-बहनों ने खूब मस्ती की थी। दरअसल हम सब भाई बहन अलग-अलग शहरों में रहते हैं। एकत्र होने का मौका त्योहारों पर ही मिल पाता है। उस होली में हमने इतना हुड़दंग मचाया था कि अगले दो दिनों तक थकान नहीं उतरी थी। होली के बाद दो दिन तक हम सब खूब सोए।
रंग बरसे पर जब सब थिरके
जयाप्रदा
होली का त्योहार हमेशा से मेरा पसंदीदा त्योहार रहा है। मुझे उत्तर प्रदेश की एक होली कभी नहीं भूलेगी। होली के दिन यहां खूब धूम-धड़ाका होता है। नाच-गाने के लिए ढोल-मंजीरे से लेकर डीजे तक सबका इंतजाम होता है। मुझे याद है कि एक होली पर अमिताभ बच्चन के लोकप्रिय गाने रंग बरसे पर लोग जमकर खूब नाचे थे। उन्हें बार-बार उस गाने पर नाचने में आनंद आ रहा था। उस दौरान उनकी भाव-भंगिमाएं देखने योग्य थीं। इसी तरह राकेश रोशन की फिल्म कामचोर के होली के गाने मल दे गुलाल मोहे भी यादगार है। दरअसल, उस गाने की शूटिंग के वक्त होली नहीं थी, पर सेट पर माहौल से लग रहा था वाकई होली है।
स्मिता श्रीवास्तव