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आतंकवादी संगठन आॅनलाइन

मुंबई से ‘इस्लामिक स्टेट’ में शामिल होने के लिए गए एक मुस्लिम युवक के सीरिया में एक आत्मघाती हमले के ठीक पहले की तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई थी।

By MMI TeamEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2015 10:13 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2016 11:57 AM (IST)
आतंकवादी संगठन आॅनलाइन

मुंबई से ‘इस्लामिक स्टेट’ में शामिल होने के लिए गए एक मुस्लिम युवक के सीरिया में एक आत्मघाती हमले के ठीक पहले की तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई थी। सोशल मीडिया पर इस प्रकार की तस्वीर अपलोड होने के बाद ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ ने जांच शुरू कर दी है। मुंबई के ठाणे इलाके से सीरिया पहुंचे युवक साहिम टांकी की यह तस्वीरें ‘इस्लामिक स्टेट’ द्वारा अपलोड की गई थीं। टांकी के परिजनों ने ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’(एनआईए) को बताया था कि उनके पास इस आशय का समाचार फोन द्वारा दिया गया था कि एक आत्मघाती बम धमाके में टांकी की मौत हो गई थी। आतंकी संगठन में शामिल होने के बाद परिजनों ने टांकी से कोई भी संपर्क नहीं होने का दावा किया है। ‘एनआईए’ के पास इस आशय के संकेत मिले थे कि सीरिया के अल-हस्का में हुए आत्मघाती हमले में साहित टांकी का हाथ था। ‘आईएस’ ने टांकी का आखिरी बयान भी जारी करने का दावा किया था, जिसमें वह कह रहा था कि ‘‘भारत में इस्लाम के माध्यम से जेहादी बनने का नहीं, बल्कि धैर्य रखने का पाठ पढ़ाया जाता है।’’ मसरूर मेहंदी और मजीद के बाद साहिम टांकी के प्रकरण ने ‘एनआईए’ को भी सकते में डाल दिया है। ‘एनआईए’ को आशंका है कि ‘आईएस’ द्वारा देश के युवाओं को आकर्षित करने के लिए गोपनीय तौर पर अभियान संचालित किया जा रहा है।
आतंकी संगठन ‘आईएस’ सोशल मीडिया तथा इंटरनेट के माध्यम से अपना विस्तार क्षेत्र तथा दायरा निरंतर बढ़ाता जा रहा है। वैश्विक संगठनों द्वारा इस तथ्य का आंकलन किया गया है कि इस्लामिक स्टेट के 50 हजार से अधिक एकाउंट विश्वभर में सक्रिय हैं। पिछले कुछ महीनों में ट्विटर द्वारा आईएस के लिए कार्य कर रहे हजारों एकाउंट्स को निष्क्रिय किया जा चुका है। आतंकी संगठन सूचना तकनीक के स्तर पर काफी प्रयास कर रहे हैं। तमाम आतंकी संगठनों में सोशल मीडिया पर सक्रियता के मामले में सबसे अधिक सफलता ‘आईएस’ को ही मिली है। ‘आईएस’ सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा कट्टरपंथी युवाओं को तैयार कर रहा है और युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें आतंकी की दुनिया में प्रवेश करने के लिए दिमागी तौर पर विकसित कर रहा है। ट्विटर द्वारा ‘आईएस’ के अकाउंट्स को निष्क्रिय करने के बाद ‘आईएस’ ने ट्विटर के सह संस्थापक जैक डोर्से तथा अन्य सहयोगी कर्मचारियों को हत्या की धमकी दी है। अमेरिका सरकार द्वारा इसे संज्ञान में लेते हुए इसकी जांच की जा रही है।
अमेरिकी आॅनलाइन न्यूज मीडिया कंपनी ‘बजफीड’ व ‘एनबीसी’ के अनुसार अपनी एक आॅनलाइन पोस्ट में ‘इस्लामिक स्टेट’ ने ट्विटर के संचालकों व उसके सहयोगियों के विरुद्ध जानलेवा हमले की धमकी दी है। उल्लेखनीय है कि ‘आईएस’ द्वारा इराक और सीरिया में हजारों नागरिकों को अगवा किया जा चुका है और उनकी निर्ममतापूर्वक हत्या की जा चुकी है। इन हत्याओं के वीडियो समय-समय पर ट्विटर और यू-ट्यूब तथा सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइटों पर डाले जाते रहे हैं। इनकी व्यापक आलोचनाओं के बाद ट्विटर ने ऐसे सैकड़ों एकाउंट्स को खोजकर बंद कर दिया था, जिससे नाराज होकर ‘आईएस’ ने ट्विटर को धमकी दी है।
आतंकी संगठनों द्वारा सोशल मीडिया का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया जा रहा है। खुफिया एजेंसियों की जांच से यह बात जाहिर हुई है कि आतंकी संगठनों द्वारा नई पीढ़ी को गुमराह करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। जब इस्लामिक कट्टरपंथ से प्रभावित होकर युवा पीढ़ी का ब्रेन वॉश कर दिया जाता है, तब युवाओं को संगठन से जुड़ने के संदर्भ में आवश्यक सूचनाएं भी प्रेषित की जाने लगती हैं। एनआईए की जांच में पता चला था कि मजीद द्वारा ‘आईएस’ में शामिल होने का निर्णय करने के बाद उसने ‘आईएस’ का पता खोजने की कोशिश की। फेसबुक पर ही उसकी यह तलाश पूरी हुई और उसे ‘आईएस’ से जुड़ने के लिए एक फोन नंबर दिया गया, जिस पर कॉल करने के बाद उसे तत्काल बुला लिया गया और वह बगदाद पहुंच गया। जांच में यह भी पता चला है कि सोशल मीडिया पर लगभग तीन हजार पन्नों की सामग्री डाली गई है और उसका लक्ष्य पढ़े-लिखे तथा तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं को बहकाकर आतंकी संगठन से जोड़ना है।
पढ़े-लिखे युवाओं को जेहाद के नाम पर आतंकी हिंसा में शामिल होने का आह्वान किया जाता है। आतंकी संगठनों द्वारा बहुत शातिर ढंग से युवाओं को फंसाने के लिए लड़कियों का प्रयोग किया जा रहा है। फर्जी एकाउंट्स के द्वारा लड़कियों के नाम से प्रेमजाल में फंसाने के बाद उन्हें धोखा दिलाया जाता है। फिलिस्तीन और सीरिया की लड़कियों के अकाउंट्स से प्रेमालाप के बाद युवाओं को मिलने वाला धोखा और हताशा उन्हें आसानी से आतंक की दुनिया में प्रवेश करा देती है। ‘आईएस’ द्वारा बहुत शातिर ढंग से इस तरीके का प्रयोग किया जा रहा है। जांच में एक तथ्य यह भी सामने आया है कि ‘आईएस’ में शामिल होने के लिए अधिकांश युवक ‘आईएस’ हेडक्वार्टर जाने से पूर्व सिंगापुर जाते हैं। यह जांच की जा रही है कि क्या सिंगापुर में ‘आईएस’ का कोई कार्यालय या काउंसिलिंग सेंटर तो कार्यरत नहीं है। स्पष्ट है कि डिजिटल दुनिया में बहुत तेजी से आतंकी संगठनों ने अपनी पैठ बना ली है।
आतंकवादी संगठन आॅनलाइन तरीके से ही हमलों की योजना भी तैयार कर लेते हैं। डिजिटल तकनीक का लाभ उठाने के लिए ही आतंकी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर पढ़े-लिखे युवाओं को बरगलाकर आतंकी संगठनों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। प्रायरू हताश और निराश बेरोजगार युवा अपमानित महसूस करते हैं और अपने जीवन को एक ऊर्जा और आत्मविश्वास देने के लिए वह बिना विचारे ही आतंकी संगठनों से जुड़ जाते हैं। भारत लंबे समय तक यह मानकर चलता रहा है कि भारत में ‘अलकायदा’ और‘इस्लामिक स्टेट’जैसे कट्टरपंथी आतंकी संगठनों का कहीं कोई नेटवर्क नहीं है, परंतु हाल की घटनाओं से यह सिद्ध हो गया है कि यह सत्य नहीं है। भारत में कतिपय सरकारी वेबसाइटों को‘इस्लामिक स्टेट’द्वारा हैक करने के समाचार सामने आए हैं। कुछ भारतीय नौजवान‘इस्लामिक स्टेट’के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अकांउट संचालित करते पाए गए हैं।
आतंकी संगठनों द्वारा इंटरनेट तथा सोशल नेटवर्किंग साइट्स का किया जा रहा दुरुपयोग संपूर्ण विश्व के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने इस संदर्भ में कुछ कठोर कदम उठाने का निश्चय किया है। फेसबुक द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि फेसबुक से हिंसा, आतंकवाद तथा यौन उत्पीड़न से जुड़ी सामग्रियों को हटाया जाएगा। इसके साथ ही आत्महत्या के लिए उकसाने अथवा विभिन्न रूपों में नागरिकों में खौफ और दहशत पैदा करने वाली सामग्री को भी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाएगा। फेसबुक द्वारा अनेक आतंकी संगठनों के अकाउंट को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब इसके द्वारा इन आतंकी संगठनों को समर्थन को प्रोत्साहन देने वाले अन्य अकाउंट्स पर भी प्रतिबंध लगाए जाने का निर्णय लिया गया है।
फेसबुक द्वारा अपने प्रयोगकर्ताओं को एक गाइडलाइन जारी कर यह बताया गया है कि इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर किस प्रकार की सामग्री स्वीकार की जाएगी तथा किस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। ट्विटर द्वारा भी कुछ इसी प्रकार के सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया गया है। वास्तव में यह एक उचित कदम है। यह आवश्यक है कि सूचना एवं संचार माध्यमों तथा उन्नत तकनीकी का प्रयोग मानव सभ्यता के विकास के लिए होना चाहिए, न कि इसके पतन के लिए। संचार माध्यमों तथा सूचना तकनीकी का प्रयोग नकारात्मक ढंग से सनसनी एवं दहशत पैदा करने के लिए किया जाना कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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लेखक परिचय

नाम- पंकज के. सिंह


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