वापस ली गई फर्ग्यूसन कॉलेज में की गई नारेबाजी की शिकायत
शहर के फर्ग्यूसन कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई नारेबाजी के खिलाफ की गई शिकायत को कॉलेज के प्रिंसिपल ने वापस ले लिया है।
पुणे। शहर के फर्ग्यूसन कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई नारेबाजी के खिलाफ की गई शिकायत को कॉलेज के प्रिंसिपल ने वापस ले लिया है। प्रिंसिपल ने कहा है कि उनकी ओर से जो शिकायत दी गई थी उसमें गलती से 'देश विरोधी' नारेबाजी लिख दिया गया था। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
- मंगलवार को फर्ग्यूसन कॉलेज में जेएनयू में ABVP के अध्यक्ष आलोक सिंह का कार्यक्रम चल रहा था।
- इसी दौरान एक दर्जन वामपंथी छात्र वहां पहुंचे और कन्हैया कुमार के समर्थन में नारेबाजी करने लगे।
- इस बात से नाराज ABVP कार्यकर्ता उनसे भीड़ गए और वे कन्हैया के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
- वामपंथी छात्र आलोक के उस बयान से नाराज थे जिसमें उन्होंने कन्हैया कुमार को आंदोलन का अग्रणी बताया था।
- दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की नौबत तक आ गई। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों के कई छात्रों को हिरासत में लिया है।
प्रिंसिपल ने दर्ज करवाई शिकायत
- कॉलेज के प्रिंसिपल ने डेक्कन पुलिस स्टेशन में बुधवार को एक लिखित शिकायत दर्ज करवाई।
- शिकायत में कहा गया है कि कार्यक्रम के दौरान कुछ छात्रों ने देश विरोधी नारे लगाए। हालांकि पत्र में इस बात का जिक्र नहीं है कि कैंपस में कौन से नारे लगाए गए हैं।
- मामले के तूल पकड़ने के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी शिकायत में गलती से 'एंटी नेशनल' लिख गया था।
- पुलिस अब पूरे मामले की फिर से जांच कर रही है।
क्या कहा था आलोक ने ..
- जेएनयू में 9 फरवरी को दी गई देशविरोधी नारेबाजी की पृष्ठभूमि पर सोमवार को पुणे में आलोक सिंह और उनके सहयोगी प्रशांत साठे और राम सातपुते ने प्रेस कांफ्रेंस की।
- इस दौरान उन्होंने बताया कि, 9 फरवरी को हुई घटना की शुरूआत 2 फरवरी को ही हुई थी।
- "अफजल तेरे अरमान हम पूरा करेंगे" यह लिखी हुई चिट्ठियां जेएनयू में बांटी गई।
- उन्हें अफजल का स्मृति दिन मनाना था। हमनें उपकुलपति को यह सब रोकने के लिए कहा था लेकिन ऐसा नहीं हु्आ और 9 फरवरी को भारत के टुकड़े होंगे जैसी 32 नारेबाजी की गई।
- देश के विरोध में मोर्चा निकाला गया। हमनें उनसे अनुरोध किया था कि मोर्चा ना निकाले लेकिन उन्होंने नहीं सुना।
- उसके बाद हमनें पुलिस को सूचना दी। 10 फरवरी को फिर एक पत्रक निकाला गया जिसमें लिखा था कि हमनें भारत तोड़ने की घोषणाएं सफलतापूर्वक की।
- इसका भी एबीवीपी ने विरोध किया था। जेएनयू के वामपंथी विचारों के छात्र वहां का वातावरण खराब कर रहे हैं।
- राजनीतिक दलों ने भी इसकी राजनीति की। इससे विश्वविद्यालय का नाम खराब हुआ।