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साध्वी प्रज्ञा समेत 6 को क्लीन चिट, नहीं मिले पर्याप्त सबूत

एनआईए ने वर्ष 2008 धमाके की मुख्य आरोपी मानी जानेवाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित छह आरोपियों को एक तरह से आरोप मुक्त कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 15 May 2016 05:24 AM (IST)Updated: Sun, 15 May 2016 05:30 AM (IST)
साध्वी प्रज्ञा समेत 6 को क्लीन चिट, नहीं मिले पर्याप्त सबूत

मुंबईमालेगांव बम धमाके की जांच के बाद आरोपपत्र दायर करनेवाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) शुक्रवार को अपने रुख से पूरी तरह बदली नजर आई। एनआईए ने वर्ष 2008 धमाके की मुख्य आरोपी मानी जानेवाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित छह आरोपियों को एक तरह से आरोप मुक्त कर दिया है। एनआई ने न्यायाधीश एसडी टेकले के सामने दूसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया।

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इसमें साफ किया है कि उन्हें जांच के दौरान आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर व पांच अन्य के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले । वहीं एनआईए ने प्रकरण के अन्य आरोपियों के खिलाफ मकाेका के तहत लगाए गए आरोपों को भी हटा दिया है।

एनआआईए के इस रुख का फायदा मामले के दूसरे आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित व बाकियों को भी मिलने के आसार हैं। गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके में सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हो गए थे।

दाे अदालत से भी बरी

साध्वी के अलावा एनआईए ने जिन पांच आरोपियों को आरोप मुक्त किया है, उनके नाम- शिव नारायण कालसागरा, श्याम भवरलाल साहु, प्रवीण टकलकी, लोकेश शर्मा व धान सिंह चौधरी हैं। इसी बीच शुक्रवार को ही अदालत ने इनमें से दो- लोकेश शर्मा व धान सिंह चौधरी को बरी कर दिया।

भाजपा ने किया स्वागत

साध्वी प्रज्ञा को क्लीनचिट दिए जाने का प्रदेश भाजपा ने स्वागत किया है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा कि 2009 के चुनाव के समय आघाडी सरकार ने हिंदू आतंकवाद का हौवा खड़ा करने के लिए प्रज्ञा को गिरफ्तार करवाया था। निर्दोष होने के बावजूद आघाडी सरकार ने साध्वी को इसलिए आरोपी बना दिया, क्योंकि वह भगवाधारी साध्वी थी।


2009 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए ऐसा किया गया। पिछली सरकार की तरह यह सरकार जांच प्रक्रिया में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर रही है।

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सरकारी वकील नाराज

मामले की पैरवी के लिए नियुक्त किए गए सरकारी वकील अविनाश रसल ने एनआईए के इस रुख पर हैरानी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि एनआईए आरोपपत्र दायर करने वाली है, इसकी उन्हें पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई। इससे वे काफी आहत है। इसलिए उन्होंने खुद को अलग करने का निर्णय किया है।


उन्होंने कहा कि वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इससे पहले सरकारी वकील रोहणी सालियन ने भी खुद को इस मामले से अलग कर लिया था। सालियन ने एनआईए अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे।

पत्रकारों से बातचीत में एनआईए डीजी शरद कुमार ने बताया कि मामले की जांच में कोई घालमेल नहीं हुआ है। जब तक हमारी जांच पूरी नहीं हुई थी हम एटीएस की जांच को सही मान रहे थे। अब हमारी जांच पूरी हो चुकी है और हमने अपनी निर्णनायक रिपोर्ट अदालत को अब सौंप दी है।


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