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छेड़छाड़ रोकने के लिए मुंबई के कॉलेज ने लड़कियों के लिए कैंटीन का किया बंटवारा

लड़कियों के साथ बढ़ती छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए मुंबई के एक कॉलेज ने लड़कियों के लिए कैंटीन का ही बंटवारा कर दिया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 09 Feb 2017 04:07 AM (IST)Updated: Thu, 09 Feb 2017 04:16 AM (IST)
छेड़छाड़ रोकने के लिए मुंबई के कॉलेज ने लड़कियों के लिए कैंटीन का किया बंटवारा
छेड़छाड़ रोकने के लिए मुंबई के कॉलेज ने लड़कियों के लिए कैंटीन का किया बंटवारा

मुंबई। चाहे इसे आप बढ़ता कन्जर्वेटिज्म कहें या सुरक्षा को लेकर बढ़ती गलत धारणा जिसके चलते मुंबई के एक पॉलिटेक्नीक कॉलेज ने एक बड़ा कदम उठाया है। कॉलेजों में लड़कियों के साथ बढ़ती छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए मुंबई के एक कॉलेज ने लड़कियों के लिए कैंटीन का ही बंटवारा कर दिया है।

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अधिकारियों ने एक रस्सी की मदद से कैंटीन के दो हिस्से कर दिए हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती, कॉलेज ने लड़कियों के लिए एक ड्रेस कोड भी लाने की तैयारी कर ली है। फिलहाल लड़कियां कॉलेज के लड़कों की ही तरह सफेद शर्ट और काला पेंट पहनती हैं। कॉलेज की प्रिंसिपल स्वाति देशपांडे के अनुसार उनकी इच्छा है कि लड़कियां सलवार कमीज पहनें जो उनके सायकोलॉजिकल मेक-अप के साथ जाएगा।

देशपांडे के अनुसार मैंने सुना है कि लड़कियां अगर पेंट शर्ट जैसे कपड़े पहनती हैं तो कम उम्र में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोंम (पीएसओडी) की शिकार हो जातीं हैं। जब वो लड़कों की तरह कपड़े पहनती हैं तो वो लड़कों की तरह सोचने लगती हैं। उनके दिमाग में जेंडर रोल रिवर्सल होता है। इसके चलते कम उम्र में ही उनमें बदलाव आने लगते हैं और वो पीएसओडी की शिकार हो जाती हैं।

एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार हालांकि गायनेकोलॉजिस्ट इनके इस तर्क को खारिज करते हैं। देशपांडे ने ड्रेस कोड के अलावा लड़कियों के लिए यह लिस्ट भी तैयार की है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं और इसे अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने की तैयारी भी की जा रही है। इस बीच शनिवार को जैसे ही स्टूडेंट्स कैंटीन में पहुंचे तो वहां लगा नोटिस देखकर चौंक गए।

उनका कहना है कि हम क्लास में लड़कियों के साथ पढ़ते हैं लेकिन कैंटीन में यह नोटिस हमें अलग बैठने के लिए कहता है। हमें कहा गया है कि अगर कोई लड़का इस नियम को तोड़ते हुए पकड़ा गया तो उसे दंड दिया जाएगा। प्रिंसिपल बेहद कठोर है इसके चलते किसी ने भी इसका विरोध करने की हिम्मत नहीं की।

देशपांडे आगे कहती हैं कि उन्होंने यह कदम कुछ लड़कियों से बात करने के बाद ही उठाया है। उनके अनुसार कुछ पुराने छात्र कैंटीन में आते हैं और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। यहां तक की इस तरह की एक घटना अक्टूबर में पुलिस तक पहुंच गई थी।


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