जांच चाहते हैं लापता कालसंगरा और डांगे के परिजन
मालेगांव विस्फोट कांड के दो आरोपियों रामचंद्र कालसंगरा और संदीप डांगे के परिजनों ने दोनों की गुमशुदगी की जांच की मांग की है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। मालेगांव विस्फोट कांड के दो आरोपियों रामचंद्र कालसंगरा और संदीप डांगे के परिजनों ने दोनों की गुमशुदगी की जांच की मांग की है। महाराष्ट्र के निलंबित एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर के बयान के बाद से कालसंगरा और डांगे का नाम पिछले चार दिनों से चर्चा में है। मुजावर ने दावा किया है कि उक्त दोनों आरोपियों की आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की हिरासत में ही मौत हो चुकी है।
रामचंद्र कालसंगरा की पत्नी लक्ष्मीबाई ने मंगलवार को मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस से इस मामले की गहराई से जांच कराने की मांग की। अपने पुत्र देवव्रत एवं देवर शिवनारायण के साथ मुंबई आई लक्ष्मीबाई ने कहा कि पिछले नौ साल से पति की गुमशुदगी का दर्द झेल रहे हैं। लक्ष्मीबाई ने आशंका जताई कि इस मामले के चश्मदीद गवाह दिलीप पाटीदार के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। लक्ष्मीबाई जल्दी ही मुख्यमंत्री फडऩवीस से मिलकर उन्हें अपना ज्ञापन सौंपेंगी। डांगे के पिता प्रोफेसर वीके डांगे भी दो दिन पहले इस मामले की जांच की मांग कर चुके हैं।
पिछले कई साल से निलंबित चल रहे एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि रामचंद्र कालसंगरा एवं संदीप डांगे को 26 नवंबर, 2008 को ही मुंबई के कालाचौकी स्थित एटीएस कार्यालय में मार दिया गया था। बाद में उनके शव छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन पर फेंक दिए गए। ताकि उन्हें 26/11 हमले का शिकार हुए लोगों में मान लिया जाए। बता दें कि पाकिस्तानी आतंकियों कसाब और इस्माइल ने मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन पर दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
कालसंगरा और डांगे 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के भीकू चौक पर हुए विस्फोट के मामले में आरोपी हैं। विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 घायल हुए थे। इस बहुचर्चित विस्फोट कांड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। हालांकि जांच एजेंसी एनआइए साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे चुकी है।