जय सिंह ने 31 साल बाद देखी घर की दहलीज
जय सिंह 1986 में नौकरी की तलाश में दुबई गए थे। काम तो मिल गया पर तकदीर रूठ गई।
मुंबई, मिड डे। 67 साल के जय सिंह की दास्तान किसी दर्दभरी फिल्म जैसी है। नौकरी की तलाश में दुबई गए इस व्यक्ति के साथ इतने ज्यादा नाटकीय घटनाक्रम हुए कि वह 31 साल तक अपने घर की दहलीज नहीं देख सका।
जय सिंह 1986 में नौकरी की तलाश में दुबई गए थे। काम तो मिल गया पर तकदीर रूठ गई। नौकरी गई तो जय सिंह ने कारोबार में हाथ आजमाए, लेकिन वहां भी निराशा का सामना करना पड़ा। थक हारकर वह मजदूरी करने के साथ अखबार बेचने लगे। कुछ पैसे जुटाकर वह घर लौटना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जय सिंह की याददाश्त कमजोर होने लगी। इस बीच जहां वह रहते थे, वहां कुछ गुंडों के बीच झगड़ा हुआ। पुलिस ने कार्रवाई की तो जय सिंह भी उनके हत्थे चढ़ गए। जय अपने घर के बारे में पुलिस को कुछ नहीं बता पाए और लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा।
कैदी ने दिया साथ
जय सिंह की जेल में उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक अन्य कैदी से मुलाकात हुई। वह कैदी जेल से छूटा और मुंबई जाकर मीरा रोड पर जय सिंह के भाई भगत से मिला। भगत ने भारतीय दूतावास में इस बारे में खबर दी। इसके बाद जय सिंह की रिहाई का इंतजाम हो सका। जय सिंह का कहना है कि जेल में उनके साथ सामान्य व्यवहार किया गया। उनका कहना है कि जिस कंपनी के जरिये वह दुबई गए थे, उसने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया। लेकिन दूतावास के अधिकारी राजेश रंजन का कहना है कि काम की तलाश में यहां-वहां भटकने से पासपोर्ट खोया।
पाकिस्तान ने कहा, नानक उसकी जेल में नहीं
अमृतसर के अजनाला के एक गांव का पांच वर्षीय बच्चा नानक सिंह 33 वर्ष पहले 1984 में अपने पशुओं को चराते हुए गलती से पाकिस्तान चला था। अब पाकिस्तान सरकार उसे अपनी जेल में होने इन्कार कर दिया है। बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्य पाल जैन ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि नानक के पाकिस्तान में जहां होने की जानकारी याचिककर्ता ने हाईकोर्ट को दी थी। इस बारे में पाकिस्तान की ओर से मई में सूचित किया गया है कि नानक सिंह लाहौर की कोट लखपत जेल में नहीं है।
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