प्रमाणपत्र पर शिक्षामंत्री के चित्र से बवाल
महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री विनोद तावड़े माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई रुझान परीक्षा (एप्टीट्यूड टेस्ट) के प्रमाणपत्र पर अपना फोटो छपवाकर आलोचना का शिकार हो रहे हैं।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री विनोद तावड़े माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई रुझान परीक्षा (एप्टीट्यूड टेस्ट) के प्रमाणपत्र पर अपना फोटो छपवाकर आलोचना का शिकार हो रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि उन्होंने अपने प्रचार के लिए यह तरीका अपनाया है।
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्रालय ने इस बार दसवीं की परीक्षा के साथ ही विद्यार्थियों की रुझान परीक्षा भी ली है। ताकि दसवीं में फेल होनेवाले छात्रों का उनकी रुचि एवं रुझान के अनुसार ही कौशल विकास किया जा सके। दसवीं के अंकपत्र के साथ ही छात्रों को दिए गए इस रुझान परीक्षा के प्रमाणपत्र पर शिक्षामंत्री विनोद तावड़े के चित्र के साथ उनका एक संदेश छापा गया है, जिसे लेकर विपक्ष उनपर हमलावर हो रहा है। जबकि तावड़े का कहना है कि यह छात्रों से सीधा संवाद करने का उनका तरीका है। महाराष्ट्र में पहली बार ली गई रुझान परीक्षा एक अच्छा कदम है, जो छात्रों को सही दिशा देने में मददगार सिद्ध हो सकती है। अब तक की कांग्रेसशासित सरकारों ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। यह खेद का विषय है कि अब उठाए गए एक अच्छे कदम की तारीफ करने के बजाय वे विवाद खड़ा करना चाहती हैं।बता दें कि महाराष्ट्र में करीब 13 छात्रों ने दसवीं की परीक्षा दी है। इनमें 96 फीसद छात्र पास हुए हैं। शिक्षामंत्री तावड़े का मानना है कि असफल रहे चार फीसद छात्रों का उनकी रुचि एवं रुझान के अनुसार कौशल विकास कर उन्हें रोजगार की ओर मोड़ा जा सके। सफल रहे छात्र भी अपने रुझान प्रमाणपत्र से मदद ले सकते हैं। लेकिन अगली कक्षा में प्रवेश के लिए इस रुझान प्रमाणपत्र को पेश करना कोई बाध्यता नहीं होगी।
लेकिन विपक्ष को तावड़े की इस नीति को उनकी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी करार दे रहा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत कहते हैं कि भाजपा के सभी नेताओं को लगने लगा है कि दुबारा उनकी सत्ता नहीं आनेवाली। इसलिए भाजपा का हर नेता सरकारी खर्च से अपने-अपने प्रचार में लगा है। शिक्षण संस्थानों से जुड़े लोग एवं अभिभावक मानते हैं कि दसवीं के छात्रों की रुझान परीक्षा लिया जाना सरकार का एक अच्छा कदम है। लेकिन ये लोग भी प्रमाणपत्र पर शिक्षामंत्री की फोटो और संदेश छापे जाने को शिक्षामंत्री का पब्लिसिटी स्टंट करार देते हैं।