विवादों में घिरी फिल्म 'उड़ता पंजाब' के प्रदर्शन की अनुमति मिली
मुंबई उच्च न्यायालय ने विवादों में घिरी फिल्म 'उड़ता पंजाब' के प्रदर्शन की अनुमति दे दी है। न ही यह फिल्म नशीले पदार्थों का महिमामंडन करती दिखाई देती है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। मुंबई उच्च न्यायालय ने विवादों में घिरी फिल्म 'उड़ता पंजाब' के प्रदर्शन की अनुमति दे दी है। उच्च न्यायालय ने साफ कहा है कि फिल्म में देश या राज्य के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है, न ही यह फिल्म नशीले पदार्थों का महिमामंडन करती दिखाई देती है।
अभिषेक चौबे निर्देशित फिल्म उड़ता पंजाब 17 जून को प्रदर्शित होने जा रही है। प्रदर्शन से पहले ही यह विवादों में आ गई क्योंकि फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने इसके दृश्यों एवं संवादों पर आपत्ति करते हुए इसमें से 89 दृश्य हटाने के निर्देश दे दिए थे। बोर्ड के इस फैसले को अनुचित बताते हुए इसके विरुद्ध फिल्म के निर्माता अनुराग कश्यप ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगने के बाद प्रमाणन बोर्ड ने दो दिन पहले फिल्म से सिर्फ 13 दृश्य हटाकर उसे 'ए' प्रमाण के साथ प्रदर्शित करने की अनुमति दे दी थी। लेकिन आज उच्च न्यायालय ने कश्यप की याचिका पर फैसला सुनाते हुए फिल्म को सिर्फ एक कट के साथ प्रदर्शित करने की अनुमति प्रदान कर दी। बता दें कि यह फिल्म पंजाब में युवाओं के बीच तेजी से फैल रही नशीले पदार्थों की लत पर बनाई गई है, जिसे आज पंजाब में एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पंजाब में बढ़ती नशाखोरी एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गई है। इस समस्या पर काबू न कर पाने का आरोप सत्तारूढ़ दल पर लग रहा है।
न्यायालय ने कहा कि फिल्म से कुछ खराब शब्दों को हटाए जाने की जरूरत है। कुछ फिल्मों में गालियों को अनुमति दे दी गई इसका मतलब ये नहीं कि उड़ता पंजाब में भी इसे अनुमति दी जानी चाहिए। हर डॉयलाग में गाली डालने की जरूरत नहीं है। कोर्ट का मानना है कि एमपी, एमएलए और संसद जैसे शब्द सामान्य शब्द हैं। ये किसी संगठन के बारे में नहीं है, ये सामान्य राजनीतिक शब्दों को दर्शाते हैं।
ड्रग लेने के एक दृश्य के बारे में कोर्ट का कहना है कि इस एकमात्र दृश्य से किसी आदेश का उल्लंघन होता दिखाई नहीं देता। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है कि फिल्म में ड्रग्स की लत को उभारकर दिखाया गया है। इस लत को रोकने के लिए जिन लोगों को तैनात किया गया है, वे अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं, यह चिंता का विषय है। फिल्म के सभी किरदार इस समस्या को बखूबी पेश करते दिखाई देते हैं। फिल्म से पंजाब शब्द हटाने के प्रमाणन बोर्ड के निर्देश को भी कोर्ट ने गैरजरूरी करार दिया है।