दही-हांडी उत्सव में सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना
मुंबई और ठाणे में गुरुवार को कुछ स्थानों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का तरह-तरह से उल्लंघन किया गया। आयोजकों के विरुद्ध पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। मुंबई और ठाणे में गुरुवार को कुछ स्थानों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का तरह-तरह से उल्लंघन किया गया। ऐसे आयोजकों के विरुद्ध पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
‘गोविंदा’ के नाम से मुंबई का दही-हांडी उत्सव पूरे देश में मशहूर रहा है। जन्माष्टमी के अवसर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव में मानव पिरामिड बनाकर काफी ऊंचाई पर लटकाई गई दही हांडी फोड़ी जाती है। यह उत्सव युवकों में खेल भावना का तो विकास करता है, लेकिन इस त्यौहार के दौरान गिरने से कई युवकों को जान तक गंवानी पड़ी है। इसीलिए इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने दही-हांडी की अधिकतम ऊंचाई 20 फुट एवं मटकी फोड़नेवाले प्रतियोगियों की न्यूनतम उम्र सीमा 18 वर्ष निर्धारित कर दी थी। लेकिन कई आयोजकों को न्यायालय का यह प्रतिबंध रास नहीं आया। खासतौर से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना एवं शिवसेना ने खुलकर सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश की आलोचना की ।
ठाणे में ‘जय जवान’ नामक एक मंडल ने नौ स्तरीय मानव शंकु बनाया लेकिन मटकी नहीं फोड़ी । इस शंकु की ऊंचाई करीब 42 फुट थी। जोकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के दोगुने से भी अधिक रही। यह शंकु बनवानेवाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक कार्यकर्ता का कहना था कि सर्वोच्च न्यायालय ने मटकी न फोड़ने के निर्देश दिए थे। इसलिए हमने शंकु बनाया लेकिन मटकी नहीं फोड़ी। यह शंकु बनाने वाले मंडल के विरुद्ध स्थानीय पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। ठाणे के पुलिस उपायुक्त पराग मनेरे के अनुसार पुलिस यह शंकु बनानेवाले सभी लोगों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने पर विचार कर रही है।
बता दें कि मनसे नेता राज ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के तुरंत बाद ही इसका उल्लंघन करने की घोषणा कर दी थी। आज उनके कार्यकर्ता हम कानून तोड़ेगे लिखी टी-शर्ट पहन कर दही-हांडी का आयोजन करते एवं मटकी फोड़ते दिखाई दिए। विरोधस्वरूप कई स्थानों पर गोविंदा काले कपड़े लहराकर मटकी फोड़ते देखे गए। शिवसेना ने सरकार से अध्यादेश लाकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को बदलने का आग्रह किया है। शिवसेना समर्थित एक मंडल में आज गोविंदाओं ने सर्वोच्च न्यायालय के विरोधस्वरूप दादर में चार स्तरीय पिरामिड बनाकर काला कपड़ा लहराया, उसके बाद सीढ़ी लगाकर मटकी फोड़ी। दही-हांडी उत्सव के इतिहास में ऐसा पहली बार होते देखा गया।