लहलहा उठा लातूर, हुई दाल की बंपर पैदावार
दाल की अच्छी पैदावार से इलाके की दाल मिलें भी चल पड़ी हैं और लोगों को रोजगार मिलने लगा है।
मुंबई। सालों से सूखे की मार थी, किसान आत्महत्या कर रहे थे, सिंचाई की बात तो बहुत दूर, लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा था, लेकिन एक साल की अच्छी बारिश ने सबकुछ बदल दिया। यह कहानी है महाराष्ट्र के लातूर जिले की। अब तक लातूर चर्चा में था कि वहां ट्रेन से पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन अब वहां की दालों की लहलहाती फसलें चर्चा में हैं।
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दाल की अच्छी पैदावार से इलाके की दाल मिलें भी चल पड़ी हैं और लोगों को रोजगार मिलने लगा है। मालूम हो, पिछले साल मराठवाड़ा में अच्छी बारिश हुई थी। फसलें कितनी जोरदार रही हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2016 में तुअर की आवक का जो आंकड़ा 4.44 लाख टन था, वो इस बार बढ़कर 20.35 लाख टन हो गया है।
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लातूर के व्यापारी और दाल मिल मालिक नितिन कालंत्री कहते हैं, लातूर एक बार फिर दाल का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। 2015 में व्यापार 20 फीसदी गिरा था, 2016 में गिरावट का आंकड़ा बढ़कर 40 फीसदी हो गया, लेकिन इस बार व्यापार बढ़ा है।
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लातूर और आसपास करीब 90 दाल मिलें हैं, जिनमें से पिछले दो साल से 40 ही चल पा ही थीं। अब सभी चालू हैं। यहां 35 से 37 हजार क्विंटल दाल हर दिन प्रोसेस हो सकती है। पिछले साल के अच्छे मानसून से यह संभव हुआ है।