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अंग्रेजों का वाररूम हुआ करता था राजभवन का बंकर ?

तीन तरफ अरब सागर से घिरे खुबसूरत राजभवन के नीचे मिले 13 कमरों के बंकर को अंग्रेजों का ‘वाररूम’ होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2016 05:16 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2016 05:22 AM (IST)
अंग्रेजों का वाररूम हुआ करता था राजभवन का बंकर ?

मुंबई, राज्य ब्यूरो तीन तरफ अरब सागर से घिरे खुबसूरत राजभवन के नीचे मिले 13 कमरों के बंकर को अंग्रेजों का वाररूम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। करीब 5000 वर्गफुट में फैले इस बंकर का खुलासा 12 अगस्त को इसके मुहाने पर बनी एक दीवार गिराने के बाद हुआ। कुछ वर्ष पहले मुंबई जीपीओ के नीचे एवं 15 दिन पहले मुंबई के ही छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन के एक हिस्से में भी सुरंगें पाई जा चुकी हैं।

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राजभवन के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विलास मोरे ने राज्यपाल सी.विद्यासागर राव को राजभवन के एक कोने में खड़ी अस्थायी दीवार के पीछे रहस्यमयी सुरंग होने की जानकारी दी थी। मोरे ने अपने बुजुर्ग पिता से सुन रखा था कि इस दीवार के पीछे एक सुरंग है, जिसे करीब 100 साल पहले बंद कर दिया गया था। यह सुनकर राज्यपाल विद्यासागर राव के मन में उत्सुकता जगी तो उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को वह रहस्यमयी दीवार गिराने के आदेश दे दिए। दीवार गिराने पर एक नया रहस्यलोक सामने था। 20 फुट ऊंचे प्रवेशद्वार के अंदर करीब 150 फुट लंबा रास्ता और रास्ते के दोनों ओर पत्थर के बने छोटे-बड़े आकार के 13 कमरे। हालांकि राज्यपाल ने पुरातत्व विभाग से इस तहखाने के इतिहास का पता लगाने को कहा है, लेकिन अधिकारियों का अनुमान है कि ये तहखाना करीब 200 साल पुराना हो सकता है।

तहखाने में बने कमरों के नाम अंग्रेजी में शेल स्टोर, गन शेल, कार्ट्राइज स्टोर, शेल लिफ्ट, पंप, वर्कशॉप इत्यादि लिखे हुए हैं। माना जा रहा है कि तीन तरफ समुद्र से घिरी इस भूमिगत संरचना का निर्माण वाररूम के रूप में किया जाता रहा होगा। समुद्री मार्ग से आने वाले हथियारों को उतारने एवं रखने के लिए ही इस भूमिगत संरचना का निर्माण किया गया होगा। पत्थर के बने हुए कमरे और बरामदे आज करीब 200 साल बाद भी मजबूत स्थिति में दिखाई देते हैं। राज्यपाल के अनुसार अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इसका निर्माण पुर्तगालियों ने करवाया या अंग्रेजों ने। इसके इतिहास की तह में जाने की जरूरत है। यदि सुरक्षा संबंधी कोई अड़चन न हो तो राज्यपाल इस तहखाने को आमजनता के दर्शनार्थ खोलने या यहां कोई संग्रहालय बनाने का भी मन बना रहे हैं। मंगलवार को ही राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी राजभवन के तहखाने में मिले इस बंकर को देखा।


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