मुंबई, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल को विशेष एसीबी अदालत ने बुधवार को जमानत दे दी। लेकिन कुछ अन्य मामलों में भी आरोपी होने के कारण उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना होगा।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत ने बुधवार को छगन भुजबल एवं उनके भतीजे समीर भुजबल को महाराष्ट्र सदन एवं कालीन भूखंड मामलों में 50 हजार रुपयों के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। लेकिन धन शोधन के मामले में उन्हें अभी जमानत नहीं मिली है। इसलिए उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। छगन भुजबल को मनी लॉन्ड्रिंग एवं दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन निर्माण घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने 14 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह तभी से मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद हैं। बता दें कि भुजबल कई बार खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अदालत में जमानत की अर्जी लगा चुके हैं। अदालत ने उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए जे.जे.अस्पताल के डॉक्टरों का एक पैनल भी गठित किया था। जो अपनी रिपोर्ट भी अदालत को सौंप चुका है। भुजबल के गृहनगर नासिक के येवला क्षेत्र में भुजबल की रिहाई के लिए एक महापूजा का भी आयोजन किया गया था। जिसमें 51 जोड़ों ने यज्ञ में आहुति दी।
विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात के अनुसार विशेष अदालत ने 15 जून को दोनों आरोपियों के लिए पेशी वारंट जारी किया था। घरात के अनुसार अदालत ने भुजबल के बेटे पंकज के वकीलों द्वारा दायर माफी का आवेदन भी स्वीकार कर लिया है। जबकि सरकारी वकील द्वारा अदालत से पंकज के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करने की अपील की गई थी। हालांकि अदालत ने पंकज को अगली तारीख पर हाजिर रहने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को हो सकती है। एसीबी ने इसी साल फरवरी में भुजबल सहित 17 लोगों के विरुद्ध विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। महाराष्ट्र की पिछली संप्रग सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री रहे छगन भुजबल पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण के समय ठेकेदारों को लाभ पहुंचाकर अपने परिवार के लिए संपत्ति जुटाई। सरकारी नियमानुसार ठेकेदारों को सिर्फ 20 फीसद लाभ कमाने का अधिकार है। लेकिन इस मामले में ठेकेदारों ने 80 फीसद तक लाभ कमाया है।