शनि शिंगणापुर में अब पुरुष भी चबूतरे पर चढ़कर नहीं कर सकेंगे शनि की पूजा
महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की बैठक पुरुषों के अधिकार कम करने पर खत्म हुई। मामला शनि शिंगणापुर मंदिर में पुरुषों के ही समान महिलाओं को चबूतरे पर चढ़कर तेल चढ़ाने और पूजा करने का अधिकार दिलाने के लिए रविवार को हुई बैठक का है।
मुंबई। महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की बैठक पुरुषों के अधिकार कम करने पर खत्म हुई। मामला शनि शिंगणापुर मंदिर में पुरुषों के ही समान महिलाओं को चबूतरे पर चढ़कर तेल चढ़ाने और पूजा करने का अधिकार दिलाने के लिए रविवार को हुई बैठक का है।
श्रीश्री रविशंकर के साथ शिंगणापुर ट्रस्ट और भूमाता ब्रिगेड के साथ लंबी बैठक चली। श्रीश्री ने जहां बैठक में विवाद सुलझाने का दावा किया है, वहीं भूमाता ब्रिगेड ने बैठक को बेनतीजा बताया है। उनका कहना है कि महिलाओं को अधिकार नहीं देना चाहते, इसलिए ऐसा निर्णय लिया जा रहा है। बैठक के बाद निर्णय हुआ कि अब पुरुषों को भी पवित्र चबूतरे पर चढ़ने नहीं दिया जाएगा।
चबूतरे पर चढ़कर सिर्फ पुजारी ही जा सकेंगे। मीडिया से बात करते हुए रविशंकर ने कहा कि सहमति बन गई है, अब पुरुष और महिला दोनों ही चबूतरे पर नहीं चढ़ेंगे। यहां तक कि शिला पर तेल अब मशीन द्वारा चढ़ाया जाएगा। वहीं, 11 हजार रुपए देकर चबूतरे पर चढ़ने की पुरानी व्यवस्था बनी रहेगी।
नाकाम रही बैठक
भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति ने कहा कि बैठक नाकाम रही है। हमारी मांग महिलाओं को चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने की इजाजत देने को लेकर थी। बेनतीजा बैठक में अब यह कहा गया कि स्त्री-पुरुष बाहर से दर्शन करेंगे। इतने सालों से पुरुष चबूतरे पर जाकर पूजा कर रहे थे, महिलाओं को अधिकार न मिलें, इसलिए पुरुषों को भी बैन कर दिया।
भेदभाव नहीं, सभी बराबर : श्रीश्री
उधर, रविशंकर ने बताया कि इस नई व्यवस्था पर सभी पक्ष राजी हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सामने दो मॉडल हैं, एक काशी विश्वनाथ और दूसरा बालाजी मंदिर। यहां सभी बराबर हैं, सभी को मंदिर में प्रवेश का समान अधिकार है।