सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में राजस्थान के पूर्व मंत्री बरी
मुंबई। सीबीआई की विशेष अदालत ने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में भाजपा क
मुंबई। सीबीआई की विशेष अदालत ने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। उनके साथ ही मार्बल व्यापारी विमल पाटनी को भी बरी कर दिया गया। विशेष सीबीआई जज एमबी गोसावी ने दोनों को मामले में दोषमुक्त करते हुए कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बाद कटारिया भाजपा के दूसरे वरिष्ठ नेता हैं, जिनके नाम दोनों मामलों की चार्जशीट में थे, लेकिन कोर्ट से राहत मिलने के बाद उनके खिलाफ सुनवाई नहीं होगी। घटना के वक्त गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री रहे शाह को कोर्ट ने 30 दिसंबर को बरी किया था।
सीबीआई चार्जशीट के अनुसार गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख जबरन बसूली का रैकेट राजस्थान में फैलाना चाहता था। उसने पाटनी से 24 करोड़ रपए की मांग की थी। इसके बाद पाटनी ने कटारिया से मदद मांगी और कटारिया ने कथित रूप से शाह से चर्चा की। बाद में उन्होंने गुजरात पुलिस की मदद से पूरे ऑपरेशन की योजना बनाई। इसमें आरोप लगाया गया था कि कटारिया ने पाटनी और शाह के मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। हालांकि विशेष जज ने पाटनी और कटारिया के बीच संबंधों के कोई सबूत नहीं पाए और दोनों को बरी कर दिया।
गवाहों के बयान किए खारिज
जज ने कहा कि मुठभेड़ के संबंध में कटारिया और शाह की मुलाकात के कोई सबूत नहीं है। साथ ही कहा कि सीबीआई के पास पाटनी और कटारिया के खिलाफ हत्या और साजिश रचने का मामला दर्ज करने के लिए कोई सबूत नहीं थे।
जज ने मामले में सीबीआई के गवाह प्रजापति और आजम खान के बयानों को भी खारिज कर दिया, जिसके आधार पर सीबीआई ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। जज के अनुसार दोनों के बयान महज झूठे थे, इसलिए इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कटारिया और पाटनी ने खुद को निर्दोष करार देते हुए पिछले साल एक याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें जांच एजेंसी ने फंसाया है।