एक जैसे नाम से प्रत्याशी परेशान, नई मुंबई की कई सीटों पर समस्या
मुंबई। विरोधी उम्मीदवार से मिलते जुलते नाम वाले उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारकर मतदाताओं को भ्रमित
मुंबई। विरोधी उम्मीदवार से मिलते जुलते नाम वाले उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारकर मतदाताओं को भ्रमित करने की चाल इस बार भी चली जा रही है। उन जगहों पर यह चाल निर्णायक हो सकती है जहां मुकाबला बेहद कड़ा और हार जीत का अंतर कम होगा। इसका कितना असर होगा यह तो परिणामों के बाद ही साफ होगा लेकिन यह बात सो साफ है कि नेता चुनाव जीतने के लिए साम-दाम-दंड-भेद जैसी सभी नीतियों को आजमाने में जुटे हुए हैं।
नई मुंबई के मुरबाड, ऐरोली और बेलापुर सीटों पर इस हथियार का इस्तेमाल हो रहा है। मुरबाड में राकांपा के गोटीराम पवार, शिवसेना के वामन म्हात्रे, ऐरोली में भाजपा उम्मीदवार वैभव नाईक और शिवसेना के विजय चौगुले, वहीं बेलापुर विधानसभा क्षेत्र से मंदा म्हात्रे के मिलते जुलते नाम के निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।
यही वजह है कि प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को अपने नाम के बजाय अपने चुनाव चिन्ह पर जोर देना पड़ रहा है। ये सभी उम्मीदवार प्रचार के दौरान बार-बार मतदाताओं को अपने चुनाव चिन्ह के बारे में बताते हैं। मुरबाड विधानसभा सीट से भाजपा की ओर से किसन कथोरे, शिवसेना की ओर से वामन बरकू म्हात्रे जबकि राकांपा की ओर से गोटीराम पदू पवार मैदान में हैं। लेकिन इसी सीट से गोटीराम गणू पवार और वामन पुंडलिक म्हात्रे नाम के दो निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
ऐरोली सीट से भाजपा ने वैभव तुकाराम नाईक को टिकट दिया है इसी सीट से वैभव वसंत नाईक नाम का निर्दलीय भी चुनावी मैदान में है। वहीं शिवसेना की तरफ से विजय लक्ष्मण चौगुले मैदान में हैं तो विजय दादासाहेब चौगुले नाम का निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में है। बेलापुर सीट से गणेश नाईक के सामने भाजपा की मंदा विजय म्हात्रे मैदान में हैं लेकिन इसी सीट से मंदाताई म्हात्रे नाम की निर्दलीय उम्मीदवार ने भी पर्चा दाखिल किया है। शुरूआत में तो कई इस तरह के मिलते जुलते नाम वाले उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन मान मनौव्वल के बाद कइयों ने अपना नाम वापस ले लिए।