उत्तर भारतीयों को रिझाने में जुटी शिवसेना
मुंबई। बीते लोकसभा चुनाव में मुंबई व आसपास के इलाकों के उत्तर भारतीयों का वोट हासिल करने वाली शिवसेना विधानसभा चुनाव में उत्तर भारतीयों को टिकट तो नहीं देना चाहती पर उनके वोट जरूर चाहती है। इसके लिए शिवसेना ने अपने गिने-चुने हिंदीभाषी नेताओं को हिंदीभाषियों से जोड़ने की मुहिम शुरू करने की जिम्मेदारी दी है। आमतौर पर मुंबई और आसपास के इलाकों में रहने वाले हिंदीभाषी कांग्रेस के परम्परागत मतदाता माने जाते हैं। मनसे व शिवसेना जैसे दलों से दूरी बनाकर रहते हैं।
बीते लोकसभा चुनाव में उत्तारभारत में चली मोदी लहर का असर यहां भी दिखाई दिया। हिंदीभाषी मतदाताओं ने भाजपा के साथ-साथ शिवसेना उम्मीदवारों को भी वोट देने से परहेज नहीं किया। इससे उत्साहित शिवसेना ने अब विधानसभा चुनाव के लिए भी हिंदीभाषियों को जोड़ने की मुहिम शुरू की है।
शिवसेना के विद्यार्थी सेना कोर कमेटी के सदस्य राजेश दुबे ने बताया कि पार्टी ने हमें विधानसभावार हिंदीभाषियों की बैठक आयोजित करने की जिम्मेदारी दी है। अब तक 10 विधानसभा क्षेत्रों में बैठक आयोजित की जा चुकी है। गणेशोत्सव के बाद अब अन्य स्थानों पर भी इस तरह की बैठके होंगी।
उन्होंने बताया कि हम इन सम्मेलनों में हिंदीभाषी मतदाताओं से उनकी समस्याओं और शिवसेना को लेकर उनकी सोच के बारे में चर्चा करते हैं। दुबे कहते हैं कि शिवसेना हमेशा राष्ट्रीयता व हिंदुत्व की बात करती रही है और मुंबई व आसपास के इलाकों के हिंदीभाषी भी राष्ट्रीयता में विश्वास रखने वाले हैं।
सूत्रों के अनुसार मुंबई की एक-दो विधानसभा क्षेत्रों में कुछ हिंदीभाषियों ने शिवसेना की उम्मीदवारी मांगी है। शिवसेना के मुख पत्र हिंदी सामना के संपादक प्रेम शुक्ल कहते हैं कि हिंदीभाषियों का शिवसेना से पुराना संबंध रहा है। हिंदीभाषियों ने हमेशा शिवसेना का साथ दिया है।
उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी से उम्मीदवारी नहीं मांगी है। यदि किसी और हिंदीभाषी को शिवसेना की तरफ से उम्मीदवारी मिली तो हमें खुशी होगी और हम उसका भरपूर समर्थन करेंगे।