Move to Jagran APP

राज्यपाल की शिकायतों में तथ्य कम, राजनीति ज्यादा

By Edited By: Published: Sun, 07 Sep 2014 02:25 AM (IST)Updated: Sun, 07 Sep 2014 02:01 AM (IST)
राज्यपाल की शिकायतों में तथ्य कम, राजनीति ज्यादा

मुंबई। नए राज्यपाल सी विद्यासागर राव की कार्यशैली को लेकर राज्य सरकार के मंत्रियों में ही गंभीर मतभेद नजर आ रहे हैं। राज्य विधानमंडल के पीठासीन अधिकारियों व आदिवासी विकास विभाग से जुड़े मंत्रियों ने उच्चस्तरीय बैठक में राज्यपाल की जमकर तारीफ की तो दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में उनकी कड़ी आलोचना की गई। वैसे राजभवन के अधिकारियों का दावा है कि राज्यपाल की अब तक की कार्यशैली संवैधानिक परंपराओं व नियमों के अनुरुप ही रही है। एक हफ्ते पहले शपथ लेने वाले राज्यपाल राव ने आदिवासी विकास विभाग के कामकाज व मौजूदा स्थिति को लेकर मंत्रियों व अधिकारियों की बैठक बुलाई थी।

loksabha election banner

विभाग के मंत्री मधुकरराव पिचड़, राज्यमंत्री राजेंद्र गावित, सामाजिक न्याय मंत्री शिवाजीराव मोघे , खेल मंत्री पद्माकर वलवी, विधानसभा उपाध्यक्ष वसंत पुरके व आदिवासी इलाकों के विधायक मौजूद थे। सभी मंत्रियों ने राज्यपाल की पहल की तारीफ की। कहा- अकसर आदिवासियों की समस्याओं को प्राथमिकता नहीं मिलती। आपने इस विभाग क समीक्षा से शुरुआत की जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है। राज्यपाल ने बोगस आदिवासियों का पता लगाने व उनके नाम पर नौकरी हथियानेवालों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।

फाइल लौटाने पर नाराजगी

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक एक तरफ राज्यपाल की तारीफ हो रही थी तो दूसरी तरफ मंत्रिमंडल की बैठक में कुछ मंत्री उनकी निंदा कर रहे थे। राज्य के नए चुनाव के रूप में पूर्व मुख्य सचिव जेएस सहारिया की नियुक्ति संबंधी फाइल लौटाने से मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण समेत कई मंत्री नाराज थे। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से राजभवन फाइल भेजी गई थी जिसे राज्यपाल ने यह कहकर लौटाया कि इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में पास करके भेजा जाए। दरअसल हाल में पटना हाईकोर्ट ने चुनाव आयुक्त संबंधी प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में पास करके राजभवन भेजने का फैसला दिया था।

इस लिहाज से राज्यपाल के कदम को गलत ठहराया नहीं जा सकता। मंत्रियों की दूसरी शिकायत विवादास्पद सिंचाई परियोजनाओं के बारे में अधिकारियों से जानकारी लेने को लेकर थी।

राजभवन के सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने अपने अधिकारों के तहत ही यह जानकारी हासिल की थी। संवैधानिक अधिकारों के तहत विकास संबधी बैकलॉग व निधि वितरण का अधिकार राज्यपाल को ही है। इससे पहले भी राज्यपालों की तरफ से यह जानकारी ली जाती रही है। तीसरी शिकायत यह थी कि राव ने पुलिस महानिदेशक व पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की। इसे भी प्रशासनिक स्तर पर सही बताया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल की कार्यशैली को लेकर की गई आपत्तिायों में तथ्य कम है, राजनीति ज्यादा है। लंबे अरसे से कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया जाता रहा है। बरसों बाद गैर कांग्रेसी नेता को मुंबई के राजभवन में मौका मिला है। इसके चलते आघाड़ी सरकार की ओर से उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.