कांग्रेस-राकांपा अलग-अलग लड़ सकते हैं चुनाव
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान यदि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच सीटों का समझौता न हो सका तो दोनों दल 1999 की तरह अलग-अलग चुनाव लड़ सकते हैं।
कांग्रेस और राकांपा 1999 से महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार चला रहे हैं। 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव दोनों दल मिलकर लड़े थे लेकिन 1999 में दोनों दल अलग-अलग लड़कर भी सरकार बनाने के लिए एक साथ आ गए थे। हालांकि अभी तक दोनों दल मिलकर ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की बात करते दिख रहे हैं।
दोनों दलों के निचले स्तर के कार्यकर्ता भी अपने-अपने नेतृत्व पर अलग-अलग लड़ने का ही दबाव बना रहे हैं ताकि कार्यकर्ताओं को अपनी राजनीतिक क्षमता दिखाने का मौका मिल सके। बता दें कि 1999 में कांग्रेस से टूटकर राकांपा का कुछ माह पहले ही गठन हुआ था। उस समय एक तरफ शिवसेना-भाजपा गठबंधन एवं दूसरी तरफ कांग्रेस लड़ते हुए भी वह 58 सीटें जीती थी। तब कांग्रेस को 75 सीटें हासिल हुई थीं।
बता दें कि हाल के लोकसभा चुनाव में राकांपा कम सीटें लड़कर भी कांग्रेस से अधिक सीटें जीतने में सफल रही हैं। कांग्रेस 27 सीटों पर लड़कर सिर्फ दो सीटें जीत सकी, जबकि राकांपा 21 सीटें लड़कर चार सीटें जीतने में सफल रही। स्थानीय निकायों में भी राकांपा की स्थिति कांग्रेस के मुकाबले बेहतर मानी जाती है। इन्हीं कारणों का हवाला देकर राकांपा अक्टूबर में होने जा रहे राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से अधिक सीटों की मांग करने लगी है। 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 170 एवं राकांपा 113 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। इस बार राकांपा बराबरी का हिस्सा चाहती है।
राकांपा सूत्रों के अनुसार यदि कांग्रेस सीट बंटवारे के पुराने फार्मूले पर ही अड़ी रही तो राकांपा 1999 की तरह अकेले लड़ने में संकोच नहीं करेगी।