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कांग्रेस-राकांपा ने उतारे पांच हैवीवेट मंत्री

By Edited By: Published: Fri, 21 Mar 2014 02:35 AM (IST)Updated: Fri, 21 Mar 2014 01:53 AM (IST)
कांग्रेस-राकांपा ने उतारे पांच हैवीवेट मंत्री

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। भाजपा -शिवसेना गठजोड़ से चुनाव में टक्कर लेने को महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा ने राज्य के पांच हैवीवेट मंद्दियों को चुनाव मैदान में उतारा है। दोनों पार्टियां इन मंद्दियों के सहारे लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत रखना चाहती हैं।

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कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए दो मंद्दियों को टिकट दिया है, जबकि राकांपा ने तीन। राकांपा अपने एक और मंद्दी जयंत पाटिल को पश्चिम महाराष्ट्र की हातकडंगले सीट से चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन वह तैयार नहीं हुए। राज्य सरकार में सबसे तेजतर्रार माने जानेवाले मंद्दी छगन भुजबल भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। लिहाजा नासिक से उनके भतीजे समीर भुजबल को टिकट दिया गया है। इस सीट पर 2009 का लोकसभा चुनाव पार्टी 22 हजार मतों से जीती थी। पार्टी अब भुजबल पर दांव लगाकर मोदी लहर में भी यह सीट अपने पास बनाए रखना चाहती है।

भुजबल की तरह ही एक और हैवीवेट मंद्दी सुनील तटकरे को उनके क्षेद्दरायगढ़ से टिकट दिया गया है। 2009 में इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता अब्दुर्रहमान अंतुले करीब डेढ़ लाख मतों से हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने यह सीट राकांपा के गले मढ़ दी है। अब राकांपा उप मुख्यमंद्दी एवं शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के भरोसेमंद सुनील तटकरे के जरिए इस सीट पर जीत दर्ज कराना चाहती है।

राकांपा ने भाजपा के हैवीवेट गोपीनाथ मुंडे के विरुद्ध भी राज्य सरकार के एक मंद्दी सुरेश धस को उतारा है। धस मराठा हैं, जबकि मुंडे वंजारी। राकांपा पिछड़ा-मराठा कार्ड खेलकर यह सीट जीतना चाहती है। राकांपा की तरह ही कांग्रेस ने भी अपने दो मंद्दियों को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है। संजय देवतले को चंद्रपुर से एवं राजेंद्र गावित को पालघर से उम्मीदवार बनाया गया है। चंद्रपुर में कांग्रेस पिछला चुनाव करीब 33000 मतों से हारी थी। देवतले के जरिए वह इस अंतर को पाटकर जीत हासिल करना चाहती है। इसी तरह आदिवासी बहुल आरक्षित सीट पालघर में दूसरे मंद्दी राजेंद्र गावित को लड़ाकर कांग्रेस तीसरे स्थान से पहले स्थान पर पहुंचने का सपना देख रही है।

सबसे वरिष्ठ सांसद का विजयरथ रोकने की तैयारी

विशेष संवाददाता, मुंबई। भाजपा ने महाराष्ट्र की नंदुरबार सीट से हिना गावित के नाम की घोषणा कर लोकसभा चुनाव के बाद सबसे वरिष्ठ सांसद का तमगा पाने की उम्मीद लगाए बैठे माणिकराव गावित का विजयरथ रोकने की तैयारी कर ली है। गावित एक ही सीट से लगातार नौ बार लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बना चुके हैं।

नंदुरबार सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। यही कारण है राजनीति में पूरी तरह सक्रिय होने के बाद सोनिया गांधी की पहली आम सभा 1996 में नंदुरबार में ही आयोजित की गई थी। केंद्रसरकार में सामाजिक न्याय राज्यमंद्दी माणिकराव गावित 1981 से इस क्षेद्द का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। यदि इस बार वह यहां से चुनाव जीतते हैं तो लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सांसद वही होंगे। लेकिन भाजपा इस बार माणिकराव का विजयरथ रोकना चाहती है। यही कारण है कि इस बार उसने राज्य सरकार में राकांपा कोटे के वरिष्ठ मंद्दी डॉ. विजयकुमार गावित की पुद्दी हिना गावित को लोकसभा टिकट दिया है। यह अलग बात है कि हिना को टिकट मिलते ही डॉ. विजयकुमार गावित की मंत्रिमंडल से छुंट्टी कर दी गई।

26 वर्षीया हिना स्वयं डॉक्टर हैं और मुंबई के जेजे अस्पताल से एमडी की पढ़ाई भी कर रही हैं। हिना ने शरद पवार की सांसद पुद्दी सुप्रिया सुले की शागिर्दी में राजनीति में कदम रखा और नंदुरबार के आदिवासियों के बीच पिछले दो साल से सामाजिक कार्य करती आ रही हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में 1,95,987 वोट पाकर भी तीसरे स्थान पर रही भाजपा की नजर हिना की सामाजिक सक्रियता एवं उनके पिता के राजनीतिक जनाधार पर थी। 2009 में डॉ. गावित ने अपने भाई शरद गावित को समाजवादी पार्टी से टिकट दिलवाकर चुनाव लड़वाया था। तब शरद 2,35,093 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा को उम्मीद है कि डॉ. गावित के जनाधार एवं भाजपा के पारंपरिक वोट सहारे इस बार नंदुरबार की सीट उसकी झोली में आ सकती है।


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