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देश में पहली बार एक वक्त ,एक जगह दो ट्रेनें हुईं बेपटरी, 29 की मौत

मध्य प्रदेश के हरदा जिले में मंगलवार देर रात हुए भीषण ट्रेन हादसे में दो ट्रेनों के 17 डिब्बे और एक इंजन पटरी से उतरकर माचक नदी के पानी में जा गिरे। हादसा एक पुलिया के पास पटरियों के नीचे से अचानक मिट्टी बह जाने के कारण हुआ।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2015 03:29 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2015 03:37 AM (IST)

भोपाल, हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा जिले में मंगलवार देर रात हुए भीषण ट्रेन हादसे में दो ट्रेनों के 17 डिब्बे और एक इंजन पटरी से उतरकर माचक नदी के पानी में जा गिरे। हादसा एक पुलिया के पास पटरियों के नीचे से अचानक मिट्टी बह जाने के कारण हुआ। इसमें 29 लोगों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए। इनमें 11 एक ही परिवार के हैं। दोनों ट्रेनें करीब 2 मिनट के अंतराल से गिरीं, जिससे जोरदार धमाका हुआ जो तीन किमी दूर तक सुनाई दिया। रेलमंत्रालय और मप्र सरकार ने मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए की अलग अलग सहायता की घोषणा की है। देश में एक ही जगह एक ही वक्त पर दो ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का यह पहला मामला है।

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हादसा रात करीब 11.30 बजे रेलवे के खंडवा-इटारसी सेक्शन के खिरकिया और भिरंगी स्टेशनों के बीच हुआ। मुंबई से वाराणसी जा रही कामायनी एक्सप्रेस के 10 कोच और पटना से मुंबई जा रही जनता एक्सप्रेस ट्रेनों के 7 कोच कुछ मिनिट के अंतराल में पटरी से उतर गए। हादसे के कारण 50 ट्रेनों के संचालन में बाधा आई है। आसपास के ग्रामीणों ने पहुंचकर लोगों को बचाया। बुधवार सुबह तक इटारसी,खंडवा ,भुसावल और जबलपुर से विभिन्न टीमों ने पहुंचकर तेजी से राहत कार्य शुरू किया।

तीन किमी तक बहे शव

कामायनी एक्सप्रेस माचक नदी के पुल पर से गुजर गई थी और इसी नदी से लगे नाले के पास दुर्घटना का शिकार हुई। माचक और नाले में बाढ़ इतनी जबर्दस्त थी कि दोनों मिल गए थे। पानी रेलवे ट्रैक तक आ गया था। मारे गए लोगों के शव बहकर तीन किमी दूर तक भी मिले। सभी शव हरदा अस्पताल ले जाए गए हैं।

40 किमी की स्पीड से ट्रेन ले गए दोनों ड्राइवर

रेलवे के एक उच्च पदस्थ अधिकारी के अनुसार हादसे के जिम्मेदार दोनों ड्राइवर हैं। ट्रेन ड्राइवर के पास हर पुल पुलिया की जानकारी होती है। पानी भरा होने की स्थिति में ट्रेन आगे नहीं ले जाना था भले ही पिछले स्टेशन से आगे जाने की अनुमति मिली हो। ऐसे में भी दोनों ट्रेनों के ड्राइवर 40 किमी की स्पीड से ट्रेन ले गए जो इस इलाके में सामान्य स्थिति की गति होती है। वहीं पश्चिम रेलवे के जी एम रमेशचंद्रा ने कहा पुल पर अचानक पानी बढऩा इसका कारण रहा।

मृतक संख्या को लेकर दावे

29 मृत -अनुपम राजन, मप्र सरकार के प्रवक्ता

25 मृत-शिवराजसिंह चौहान, मुख्यमंत्री

12 मृत-रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने संसद में बताया।

कितने कोच पटरी से उतरे?

21 कोच-मप्र सरकार

जनता एक्सप्रेस के 7 कोच और इंजिन और कामायनी एक्सप्रेस के 10 कोच -रेलवे डीआरएम

कामायनी एक्सप्रेस के 7 कोच और जनता एक्सप्रेस के 3 कोच और इंजिन-पीयूष माथुर, मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी।

आठ मिनट पहले दो ट्रेनें गुजरी थीं

रेलवे के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने कहा कि हादसे के आठ मिनट पहले दो ट्रेनें इस सेक्शन से गुजरी थीं। उनके ड्रायवरों ने किसी परेशानी की शिकायत नहीं की।

10 ट्रेनें रद्द

मध्य रेल्वे ने हादसे के चलते 10 ट्रेनें दो दिनों के लिए रद्द कर दी हैं। गुरवार को 12167 एलटीटी वाराणसी सुपरफास्ट, 51187 भुसावल कटनी पैसेंजर,12165 एलटीटी वाराणसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस रद्द रहेंगी।

खतरनाक हिस्सा नहीं था

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए के मित्तल ने कहा कि जिस रेल सेक्शन में हादसा हुआ, वहां हादसे की आशंका नहीं थी। रेलवे हर साल मानसून के पहले ऐसे हिस्सों की पहचान करता है। उन्होंने कहा कि अचानक आई बा़$ढ हादसे का कारण हो सकता है। सेंट्रल जोन के रेलवे सुरक्षा कमिश्नर हादसे की जांच करेंगे।

एक ही परिवार के 11 की मौत

नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में रहने वाले एक ही परिवार के 14 में से 11 लोगों की मौत हादसे में हुई है। यह परिवार श्रीधाम रेलवे स्टेशन से जनता एक्सप्रेस से शिर्डी जा रहा था। जिन लोगों की मौत हुई उनमें दीपचंद रजक [40], दीप्ति [35], गिंदाबाई [65], राजकुमारी [25], रानू बाथरे [21], संगीता [17], अंश [3], अंशी [6], सुन्नाबाई [55], जीजीबाई [70], सुशीलाबाई [40] शामिल हैं। परिवार के घनश्याम बाथरे, प्रेमबाई, धर्मेंद्र बाथरे सुरक्षित हैं।

-दो यात्रियों की रेलवे की बिजली लाइन की चपेट में आने से मौत हुई।

-घटना के दस मिनट पहले पुल से कटनी-भुसावल पैसेंजर ट्रेन गुजरी थी।

-हादसे में मृत और घायलों को जिला अस्पताल हरदा ले जाया गया।

-राज्य सरकार और रेलवे के कई अधिकारी भी मौके पर पहुंचे।

भिरंगी स्टेशन के डिप्टी स्टेशन मास्टर संतोष कुमार ने बताया कि जनता एक्सप्रेस मंगलवार की रात 11.20 मिनट पर भिरंगी स्टेशन से निकली। मेरी 12 घंटे की ड्यूटी पूरी हो चुकी थी, इसलिए मैं घर जाने की तैयारी कर रहा था, तभी वॉकी-टॉकी पर कामायनी एक्सप्रेस के गार्ड की आवाज सुनाई दी। गार्ड चिल्ला कर बोला-गाड़ी रोको। मैं घबरा गया, मैंने पूछा क्या हुआ। उसने कहा-ट्रेन पटरी से उतरकर गई है। उसने बताया कि हादसा ब़$डा है। हर तरफ पानी ही पानी है। कामायनी के डिब्बे जमीन में धंस रहे हैं। मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैंने कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव को फोन लगाया। उनसे कहा कि दो ट्रेन हादसे हो गए हैं। आप जो कर सकते हैं, करिए। डीआरएम आलोक शर्मा को फोन किया। बात करते-करते मैं दो किमी दूर घटनास्थल की ओर रवाना हो गया। हर तरफ पानी और कीचड़ होने से रास्ते दुर्गम हो चुके थे फिर भी घटना के पंउगह मिनट के भीतर मौके पर पहुंच गए। चीख-पुकार मची थी, जो लोग बहे, उनके परिजन उन्हें बचाने नदी में कूद रहे थे। कुछ लोग मेरे सामने बह गए। ट्रेनों के डिब्बे धीरे-धीरे धंसकर पलट रहे थे। ड्राइवर और गार्ड से चर्चा कर फैसला लिया कि कामायनी और जनता एक्सप्रेस के सुरक्षित डिब्बों को हटाना ठीक होगा। तत्काल इंजिन बुलाकर डिब्बे हटाए। गांव के लोगों ने राहत कार्य में मदद की। 3 बजे इटारसी से पहली राहत ट्रेन पहुंची।

हादसे की दास्तां : प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी

गिरीश मिश्रा, इलाहबाद, यात्री कामायनी एक्सप्रेस ने कहा कि मैं जिस बोगी में सवार था उससे आगे वाली बोगी पलट गई। इसमें से काफी लोग बचकर निकल गए लेकिन कई लोग सदमे में बेहोश भी हो गए।

रामसुशील पटेल, सतना, यात्री जनता एक्सप्रेस ने कहा कि हम दस लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ट्रेन से बाहर निकले। सीने तक ट्रेन में भी पानी भर गया था। ग्रामीणों ने बहुत मदद की। सरकारी अमला तो बहुत देर से आया।

तुलसीराम मीणा, नीमसराय गांव के बचाव दल का सदस्य ने बताया कि मैं और कई साथी ट्रैक पर चलकर बोगियों तक पहुंचे। किसी को हाथ पकड़कर तो किसी को रस्से से बांधकर बाहर निकाला। कई लोग बह भी गए।

महेश हनोतिया, डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट होमगार्ड खंडवा ने कहा कि तेज बारिश की वजह से बचाव कार्य करने में परेशानी आई। इसके बाद भी मेरी टीम ने 14 लोगों को ट्रेन से सुरक्षित निकाला। एक मासूम बालक बाथरूम में था, जिसे सुरक्षित निकाला गया।

ट्रेन आने से पहले पेट्रोलिंग ही नहीं हुई!

जबलपुर। सूत्र बताते हैं कि बारिश का पानी पुलिया से तकरीबन 3 फीट नीचे था। सबसे बड़ा सवाल है कि यदि बाढ़ का पानी पुलिया पर आया तो पेट्रोलिंग के दौरान इस बात पर क्यों गौर नहीं किया गया। रेलवे सूत्रों के मुताबिक इस मामले में पेट्रोलिंग में ही लापरवाही सामने आई है।

नियम के मुताबिक ये होता है

दो स्टेशनों के बीच हर एक किमी की दूरी पर एक ट्रैकमैन होता है जो ट्रैक पर नजर रखता है।

-यह हर स्टेशन में तैनात पीडब्ल्यूआईडी के निर्देशन में काम करता है।

-ट्रैकमैन ट्रेन आने से पहले ट्रैक को ओके कर स्टेशन पर मैसेज देता है। इसके बाद ही ट्रेन निकाली जाती है।

यदि किसी वजह से उससे संपर्क नहीं हो सका तो ट्रेनों को कॉशन ऑर्डर [धीमी गति से] जारी कर निकाला जाता है।

चेकिंग हुई होती तो ये होता-

मौसम खराब होने के बाद यदि ट्रैकमैन ने ट्रैक चेक किया होता तो वह स्टेशन पर जानकारी दे देता कि ट्रैक के ऊपर पानी भरा है।

ट्रैक के नीचे मिट्टी धंसने की बात भी अधिकारियों को पहले ही पता चल गई होता, जिसके बाद दो ट्रेनों को तो वहां से नहीं निकाला जाता।

-खिरकिया स्टेशन पर जिस पीडब्ल्यूआई को तैनात किया, उसने एक साल से यह पद संभाला ही नहीं है।


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