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मप्र की शीर्ष संवैधानिक संस्थाएं वेंटिलेटर पर

मध्य प्रदेश में इन दिनों सभी बड़ी संवैधानिक संस्थाएं वेंटिलेटर पर हैं। प्रदेश के संवैधानिक मुखिया यानी राज्यपाल व्यापमं के आरोपों से घिरे हैं, पद पर बने इसलिए हैं कि केंद्र सरकार ने अभयदान दिया हुआ है। भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वाली संस्था लोकायुक्त संगठन सरकार के रहमो-करम पर है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2015 01:43 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2015 01:49 AM (IST)
मप्र की शीर्ष संवैधानिक संस्थाएं वेंटिलेटर पर

भोपाल [धनंजय प्रताप सिंह]। मध्य प्रदेश में इन दिनों सभी बड़ी संवैधानिक संस्थाएं वेंटिलेटर पर हैं। प्रदेश के संवैधानिक मुखिया यानी राज्यपाल व्यापमं के आरोपों से घिरे हैं, पद पर बने इसलिए हैं कि केंद्र सरकार ने अभयदान दिया हुआ है। भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वाली संस्था लोकायुक्त संगठन सरकार के रहमो-करम पर है। कार्यकाल खत्म होने के बाद एक साल तक पद पर बने रहने का तोहफा राज्य सरकार ने दिया हुआ है। तीसरी संस्था है मप्र विधानसभा, जहां आम जनता के हितों की बात करने के बजाए हमारे विधायक सिर्फ हंगामा कर रहे हैं, बांहें चढ़ाकर, सत्ता पक्ष-विपक्ष दोनों ने ही अपने संवैधानिक जिम्मेदारी व संसदीय गरिमा को भुला दिया है। इसके अलावा भी अन्य संवैधानिक संस्थाएं महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग खाली पड़े हैं। यहां शिकायतें सुनने वाला कोई नहीं है। मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन तैनात नहीं किया गया है।

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प्रशासनिक शिथिलता

व्यापमं घोटाले की जद्दोजहद में इन दिनों पूरी सरकार व्यस्त है। सरकार अपने मंत्रियों को व्यापमं के हमले से निपटने की ट्रेनिंग दे रही है। सत्ताधारी दल अपने विधायकों, प्रवक्ताओं को प्रशिक्षण दे रहा है कि व्यापमं के आरोपों का क्या जवाब देना है। विपक्षी दल भी पीछे नहीं है, उसने अपने विधायकों को विधानसभा में हंगामा करने की पूरी ट्रेनिंग दी है। इन हालातों का परिणाम ये हुआ कि पूरे प्रदेश में प्रशासनिक शिथिलता छा गई है। यही हाल लोकायुक्त संगठन के हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली प्रदेश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था खुद उपकृत है।

राजभवन में सन्नाटा

राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ एफआईआर होने के बाद से ही राजभवन का प्रशासनिक काम-काज ठंडा पड़ा है। लंबे समय से प्रदेश के विश्वविद्यालयों के काम-काज की समीक्षा नहीं हुई। शिक्षा परिसरों पर लगाम कसने वाला राजभवन खुद संदेहों से घिरा है। बीते छह दिनों से तो राज्यपाल ने सामान्य मुलाकातें भी बंद कर रखी हैं। राजभवन के प्रवक्ता राजेंद्र सिंह कहते हैं कि स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद राज्यपाल ने आफिस में बैठना शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे मेल-मुलाकात सहित सब कुछ सामान्य हो जाएगा।

विधानसभा में सिर्फ शोर-शराबा

विधानसभा के मानसून सत्र में उम्मीद बनी थी कि सदन में आम आदमी के मुद्दों पर चर्चा होगी, सार्थक बहस होगी, लेकिन हुआ इसके विपरीत। सवाल-जवाब, सार्थक बजट से लेकर विधेयक तक किसी पर एक मिनट की चर्चा भी नहीं हुई।

ये परिचायक है लोकतंत्र का : विस अध्यक्ष

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा कहते हैं कि जैसा दिख रहा है, वैसा है नहीं। ये सब परिस्थितिजन्य है। गवर्नर के खिलाफ एफआईआर नहीं है। आरोप तो किसी पर भी लगते हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में आरोप कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी पर भी हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी सीबीआई जांच चल रही है।

डॉ. शर्मा कहते हैं कि मुट्ठी भर लोग हल्ला और हंगामा कर रहे हैं, उससे ये कहना कि व्यवस्थाएं ठीक नहीं गलत होगा। बाकी जो थोड़ी बहुत अव्यवस्थाएं कहें या डिस्टरवेंस दिख रहा है, वो एक अच्छे लोकतंत्र का परिचायक है।

सब सामान्य है : नरोत्तम मिश्रा

सारी संवैधानिक संस्थाओं का सरकार सम्मान करती है। विधानसभा की गरिमा को भी सरकार ने बनाए रखा है। लोकायुक्त अभी हैं। कुछ अन्य संस्थाओं में भी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। राजभवन में भी कामकाज सामान्य हो रहा है।


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