पीसीसी ने मंजूर किए इस्तीफे, नेताओं में मची खलबली
भोपाल [ब्यूरो]। टिकट वितरण से खफा होकर इस्तीफा देने की पेशकश करना अब नेताओं को भारी पड़ने लगा है। प्र
भोपाल [ब्यूरो]। टिकट वितरण से खफा होकर इस्तीफा देने की पेशकश करना अब नेताओं को भारी पड़ने लगा है। प्रदेश कांग्रेस ने ऐसे सभी पदाधिकारियों के इस्तीफे मंजूर करने का फैसला किया है। इस कदम से युवा कांग्रेस, एनएसयूआई और अल्पसंख्यक विभाग के नेताओं में खलबली मच गई है। पांसा उलटा प़़डने पर प्रभावित नेता अब पीसीसी के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल उठाने लगे हैं। सभी का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ] केवल संबंधित संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को अपना पक्ष बता सकते हैं। वहीं, प्रदेश कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि दवाब की राजनीति अब नहीं चलेगी।
युवा कांग्रेस अध्यक्ष कुणाल चौधरी, एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष विपिन वानखे़़डे और अल्पसंख्यक विभाग के राज्य समन्वयक मोहम्मद सलीम ने टिकट वितरण से नाराज होकर इस्तीफे की पेशकश की थी। सलीम का इस्तीफा तो सोशल मीडिया पर भी आ गया। इससे पार्टी के भीतर मची खींचतान सतह पर आ गई और संदेश ये गया कि टिकट वितरण में मनमानी हुई है। इसके मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस ने तय किया है कि प्रदेश में कहीं भी किसी भी स्तर के नेता ने इस्तीफे की पेशकश की है तो उसे मान्य कर लिया गया है। इस खबर के पीसीसी से बाहर निकलते ही संबंधित नेताओं में खलबली मच गई। मोहम्मद सलीम ने तो इस प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने मीडिया में कहा कि अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुर्शीद अहमद ने इस्तीफा नामंजूर कर काम करते रहने के निर्देश दिए हैं। किसी और को इस्तीफा मान्य करने का अधिकार ही नहीं है। सलीम ने भोपाल के वार्ड 8 से अपने भाई मोहम्मद जहीर के लिए टिकट मांगा था।
अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं
इस एक फैसले से प्रदेश कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अनुशासनहीनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यही वजह है कि बुरहानपुर नगर निगम चुनाव में पार्टी विरोधी काम करने वाले जिला पंचायत के सदस्य ठाकुर सुरेन्द्र सिंह को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। साथ ही जिला अध्यक्षों से उन कार्यकर्ताओं की सूची मांगी गई है जो निकाय चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। ऐसे सभी लोगों को पार्टी की सदस्यता से निष्कासित किया जाएगा।
मिला इस्तीफा
निखिल द्विवेदी, प्रदेश प्रभारी, एनएसयूआई ने कहा कि एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष का इस्तीफा हमें मिला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही ये अधिकार है कि वे इसे मंजूर करें या नामंजूर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से इस्तीफा मान्य करने की जो सूचनाएं आ रही हैं वो उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है।
केशवचंद्र यादव, प्रदेश प्रभारी, युवा कांग्रेस ने बताया कि कुणाल चौधरी ने पेशकश की थी, पर उसी दिन हमने ये साफ कर दिया था कि संगठन ने इस्तीफे को मंजूर नहीं किया है। अब ये बात दोबारा क्यों सामने आई, समझ से बाहर है। जहां तक बात इस्तीफा मंजूर करने की है तो पीसीसी सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना मत लिखकर दे सकती है।
केके मिश्रा, मुख्य प्रवक्ता, मप्र कांग्रेस ने कहा कि कतिपय नेता और कार्यकर्ता सुर्खियों में बने रहने के लिए मीडिया का दुरपयोग कर इस्तीफा देने की पेशकश करके वातावरण को दूषिषत करने का काम कर रहे हैं। पार्टी ने सख्त निर्णय लेते हुए मीडिया में प्रकाशित खबरों को ही आधार मानकर इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं।