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एनजीओ को भी बताना होगा हिसाब-किताब

भोपाल [ब्यूरो]। गैर सरकारी संगठन [एनजीओ] को आमदनी, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सहित अन्य गतिविधियों को सार्वज

By Edited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 04:55 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 02:28 AM (IST)

भोपाल [ब्यूरो]। गैर सरकारी संगठन [एनजीओ] को आमदनी, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सहित अन्य गतिविधियों को सार्वजनिक करना होगा। सूचना के अधिकार के तहत आवेदनों के जवाब भी देना होंगे। इसके लिए राज्य सूचना आयोग पूरे प्रदेश में मुहिम चलाकर सूचना का अधिकार कानून लागू करवा रहा है। दो-तीन सूचना आयुक्तों ने तो कमिश्नर और कलेक्टरों को नोटिस थमाकर एनजीओ का ब्यौरा मांग लिया है। प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन को पत्र लिखकर एक्ट का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कहा है।

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शासन से अनुदान प्राप्त एनजीओ को आरटीआई के दायरे में शुमार करने के बाद भी इसका पालन नहीं हो रहा है। सूचना आयोग को भी इस पर शासन की ओर से कोई सूचना नहीं है। एक भी मामले में शिकायतकर्ता ने आयोग में अपील नहीं की। जिला कार्यालयों में ऐसे एनजीओ की सूची तक नहीं है जिन्हें शासन से अनुदान या अन्य प्रकार की सुविधाएं मिल रही हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के 2009 के नियम के मुताबिक 50 हजार रपए से अधिक सालाना अनुदान प्राप्त करने वाली संस्थाओं को कानून के दायरे में लिया है। सरकार से रियायती दर पर भूमि प्राप्त करने वाली संस्थाएं भी नियमानुसार इसमें शुमार हैं।

सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने अपील दायर कर शिकायत की थी। इस पर सूचना आयुक्त गोपाल कृष्ण दण्डोतिया, हीरालाल त्रिवेदी और आत्मदीप ने कमिश्नर और कलेक्टरों को नोटिस जारी कर एनजीओ का ब्यौरा मांग लिया है।

ये मांगी जानकारी

सूत्रों के मुताबिक सूचना आयुक्तों ने कमिश्नर और कलेक्टरों से वित्तीय अनुदान की मात्रा, सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत की जाने वाले कार्यवाइयों के पालन और संस्था द्वारा सूचना का अधिकार कानून का पालन न किए जाने पर कार्रवाई को लेकर जानकारी मांगी गई है।

जीएडी को 20 नवंबर को बुलाया

मुख्य सूचना आयुक्त केडी खान के यहां इस मुद्दे पर शासन से जवाब तलब करने के लिए 20 तारीख को सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों को बुलाया गया है। दरअसल, विभाग को ही सुनिश्चित करना था कि शासन की ओर से जिन्हें अनुदान दिया जा रहा है उन संस्थाओं में आरटीआई का पालन हो रहा है या नहीं।

पालन नहीं तो सजा

एनजीओ कानून का पालन नहीं कर रहे होंगे और जानकारी नहीं देंगे तो उन्हें दण्डित किया जाएगा। एक सूचना आयुक्त ने बताया कि कमिश्नर और कलेक्टरों की भी जिम्मेदारी है कि वे इसे गंभीरता से देखें। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही सामने आई ते आयोग सख्त कदम उटाएगा।

आरटीआई मौलिक अधिकारों के समतुल्य

गोपाल कृष्ण दण्डोतिया, राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना का अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों के समतुल्य माना है। अनुदान प्राप्त एनजीओ में भी इसका पालन होना चाहिए। इसी कड़ी में कमिश्नर और कलेक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किए गए हैं।


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