10 जंगल जो आपको लाएंगे प्रकृति के करीब
जंगल में हर ओर हरियाली दिखाई देती है। हम आप को आज दस ऐसे जंगलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाने के बाद आप खुद को प्रकृति के बेहद करीब पायेंगे।
1- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वों में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। खुले घास के मैदान यहां की विशेषता हैं। बांस और टीक के वृक्ष इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहां काला हिरण, यहां काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एकसाथ देखा जा सकता है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, गौर, भैंसे, सियार आदि हजारों पशु और पक्षियों का झुंड है। यह राष्ट्रीय उद्यान 1945 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र घोड़े के खुर के आकार का है। सतपुड़ा पर्वत की घाटियों से घिरा यह क्षेत्र बेहद हरा-भरा है। इन पहाड़ियों की ऊंचाई 450 से 900 मीटर तक है।
2- काजीरंगा राष्ट्रीय अभयारण्य
काजीरंगा राष्ट्रीय अभयारण्य गुवाहाटी से 250 किलोमीटर पूर्व और जोरहट से 97 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मध्य असम में 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इसे यूनेस्को ने अपनी धरोहर में शामिल कर रखा है। यह उद्यान एक सींग वाले भारतीय गैंडे राइनोसेरोस, यूनीकोर्निस का निवास है। काजीरंगा को वर्ष 1905 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। सर्दियों में यहां साइबेरिया से कई मेहमान पक्षी भी आते हैं। काजीरंगा में विभिन्न प्रजातियों के बाज, विभिन्न प्रजातियों की चीलें और तोते आदि पाये जाते हैं।
3- सुंदरवन अभयारण्य
सुंदरवन अभयारण्य पश्चिम बंगाल में खानपान जिले में स्थित है। इसकी सीमा बांग्लादेश के अंदर तक है। सुंदरवन भारत के 14 बायोस्फीयर रिजर्व में से एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है। इस उद्यान को भी विश्व विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। कई दुर्लभ और प्रसिद्ध वनस्पतियों और बंगाल टाइगर के निवास स्थान सुंदरवन को सुंदरबोन भी कहा जाता है। यह भारत तथा बांग्लादेश में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा भी है। बंगाल की खाड़ी में हुगली नदी के मुहाने शरत से मेघना नदी के मुहाने बांग्लादेश तक 260 किमी तक विस्तृत एक व्यापक जंगली क्षेत्र है। जो गंगा डेल्टा का निचला हिस्सा बनाता है। यह 100-130किमी में फैला अंतर्स्थलीय क्षेत्र है। भारत तथा बांग्लादेश में यह जंगल 1,80,000 वर्ग किलोमीटर तक फैला है।
4- रणथम्भौर राष्ट्रीय वन्यजीव उद्यान
रणथम्भौर राष्ट्रीय वन्यजीव उद्यान ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जहां पहले आबादी से भरपूर मजबूत रणथम्भौर किला था। रणथम्भौर किला समुद्र की सतह से 401 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है। इस किले के कारण ही इस जंगल को णथम्भौर का जंगल कहा जाता है। यहां बाघ के अलावा तेंदुआ, हिरण, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर और कई तरह के पक्षी बड़ी संख्या में हैं। सन् 1192 में पृथ्वीराज चौहान के पोते गोविंदा ने इस पर राज किया था। बाद में उसके बेटे बागभट्ट ने किले में बसे शहर को खूबसूरत बनाया। सन् 1282 में चौहान वंशीय राजा हमीर यहां सत्तारूढ़ थे।
5- गिर वन्यजीव अभयारण्य
गिर वन राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य गुजरात राज्य व पश्चिम-मध्य भारत में स्थित है। 1424 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में शेर, सांभर, तेंदुआ और जंगली सूअर प्रमुखता से पाए जाते हैं। गिर वन राष्ट्रीय उद्यान में तुलसी-श्याम झरने के पास भगवान कृष्ण का एक छोटा सा मंदिर भी है। जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभयारण्यों में से एक है। गिर के जंगल को सन् 1965 में वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया और 6 वर्षों बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया।
6- जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत में एक महत्वपूर्ण पार्क है। यह पार्क उत्तरांचल का अभिन्न अंग है। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के सुंदर-सुंदर पुष्प और वन्यजीव पाए जाते हैं। यहां के सुरक्षित प्राकृतिक स्थलों में हाथी, चीता, शेर आदि रहते हैं। पार्क में 110 प्रकार के पेड़, 50 स्तनपायी नस्ल के प्राणी, पक्षियों के 580 जातियां 25 प्रकार के रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं। यह पार्क प्रोजेक्ट टाइगर का एक अभिन्न अंग है। रघुराई तथा जगदीप, राजपूत जो कि जाने-माने फोटोग्राफर हैं ने वन्य जीवन के सौंदर्य को अपने चित्रों में केंद्रित किया है। यहां पहाड़ों की गोद में चीते दिखाई देते हैं।
7- बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। एक समय यह मैसूर राज्य के महाराजा की निजी आरक्षित शिकारगाह थी। यहां के कई शेरों और चीतों का शिकार किया गया। सन् 1931 में मैसूर राज्य के महाराजा ने इस अभयारण्य को वेणुगोपाल वन्यजीव पार्क नाम दिया था। उस वक्त यह करीब 90 वर्ग किलोमीटर में फैला था। सन् 1973 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लिया गया और इसका इसका क्षेत्रफल लगभग 800 वर्ग किलोमीटर बढ़ाकर इसे बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इस अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, भालू, ढोल, सांबर, चीतल, काकड़, भारतीय चित्तीदार मूषक, मृग तथा लोरिस पाए जाते हैं। यहां पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियां निवास करती हैं। इस अभयारण्य को पशु-पक्षियों के प्रेमी के लिए स्वर्ग कहा जाता है।
8- कैम्पबॅल बे राष्ट्रीय उद्यान
यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के केंद्रशासित राज्य अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर स्थित है। यह द्वीप समूह हिन्द महासागर यानी बंगाल की खाड़ी में स्थित है। निकोबार द्वीप समूह के सबसे बड़े द्वीप ग्रेट निकोबार पर स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। जिसे सन् 1992 में भारत के एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिकृत किया गया। अब यह ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है। पार्क का कुल क्षेत्रफल लगभग 426.23 वर्ग किमी है। एक 12 किमी चौड़े वन बफर जोन से छोटे गैलेथिआ राष्ट्रीय उद्यान से अलग होता है। गैलेथिआ राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल लगभग 110 वर्ग किमी है।
9 - इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है। यह दुर्लभ जंगली भैंसे की अंतिम आबादी वाली जगहों में से एक है। इसका कुल क्षेत्रफल 2799.08 वर्ग किलोमीटर है। यह राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र टाइगर रिजर्व है। इंद्रावती नदी के किनारे बसे होने के कारण इसका नाम इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान है। इंद्रावती को 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ। 1983 में भारत की प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर नामक योजना के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यहां प्रमुख रूप से जंगली भैंसे, बारहसिंगा, बाघ, चीते, नीलगाय, सांभर, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर, उड़ने वाली गिलहरियां, साही, बंदर और लंगूर आदि अन्य अनेक जीव-जंतु पाए जाते हैं।
10- ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के 1,171 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला जंगल है। शेष क्षेत्र ईको जोन में आता है। 23 जून 2014 को इसे प्राकृतिक विश्व धरोहर घोषित किया गया। कुल्लू और मनाली घाटियां विश्वप्रसिद्ध हैं। यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र भी है। इस उद्यान में पर्वत श्रृंखला रखुंडी टॉप, घुमतराओ, तीर्थन, पातल, मुझोणी, खोलीपोई, चादनीथाच आदि मनोरम स्थान आते आते हैं। इस उद्यान में काला भालू, भूरा भालू, कस्तूरी मृग, बर्फीला तेंदुआ, घोरल के अतिरिक्त मुर्ग प्रजाति के अति दुर्लभ पक्षी जाजुराना व मोनाल, कोकलास सहित पशु-पक्षियों की कुल 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां सैकड़ों दुर्लभ पशुओं का बसेरा है। दुर्लभ प्रजाति के सुगंधित और औषधीय गुणों से भरपूर पौधे भी यहां मौजूद हैं।