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दिल्‍ली के इन खूबसूरत पार्कों में सुबह की सैर करने का अलग ही है मजा

राजधानी के कुछ ऐसे ही खूबसूरत हेरिटेज पार्क जहां विरासत भी है प्रकृति का भरपूर सौंदर्य भी है और सेहत भी :

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 02:43 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 12:50 PM (IST)
दिल्‍ली के इन खूबसूरत पार्कों में सुबह की सैर करने का अलग ही है मजा

सुबह होने के साथ ही कदम तेजी से उस बगीचे की तरफ हो लेते हैं जहां विरासत और प्रकृति का सौंदर्य बसता है। जी हां, लोदी गार्डन एक ऐसा पार्क है जहां इन दिनों लोग बड़ी संख्या में सुबह की सैर करने आते हैं। हाई प्रोफाइल लोग, ब्यूरोक्रेट्स और रोजाना आने वाले कुछ जॉगर्स ग्रुप भी यहां सेहत की दौड़ लगाते हैं। यह नजारा आम भी है और खास भी। खास इसलिए क्योंकि इस पार्क में पांच ऐसे स्मारक हैैं जिसके इर्द गिर्द लोग रोजाना सेहत बनाते नजर आते हैैं। लोगों को इस पार्क में खास होने की अनुभूति भी होती है क्योंकि कभी यह स्थान राजा महाराजाओं के लिए खास हुआ करता था। लोदी गार्डन, गेट नंबर एक और चार के बीच से गुजरने का एहसास अविस्मरणीय है। फाउंटेन से रिमझिम बरसती ठंडे पानी की बूंदों के साथ पेड़ों पर बैठे पक्षियों की मधुर बोली मानों बूंदों की धुनों पर तान दे रही हो। पार्क के बाकी हिस्सों में भी पक्षियों के सुर छिड़े हुए हैं लेकिन इस इधर पक्षियों की आवाज कुछ ज्यादा ही मधुरी संगीत जैसी प्रतीत होती है। इससे आगे बढऩे पर आठ पुला, शीश गुंबद मुहम्मद शाह का मकबरा, बड़ा गुंबद जैसे स्मारक भी देखे जा सकते हैं।

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करीब सवा दो किलोमीटर की सैर में प्रकृति के अनूठे सौंदर्य के बेहद करीब होने की अनुभूति होती है। साथ ही वर्तमान की खूबसूरत सैर करते हुए ऐतिहासिक धरोहर से भी मुखातिब होने का सुअवसर होता है। आज से करीब छह सौ साल पहले के ऐतिहासिकपलों से मुलाकात फिर 75 साल पहले लगाए गए कुछ तरुवर के झोंकों से ठंडी हवा का एहसास दिन बनाने के लिए काफी होता है। इसके साथ इन दिनों तो यहां बॉगेनविलिया के फूलों का फेस्ट, रोज गार्डन में खिले फूलों से भी मुलाकात की जा सकती है। तभी तो सुबह में लोग नोएडा, गुरुग्राम से भी सेहत की ऐसी खूबसूरत सैर करने चले आते हैं। 

बावलियों के ईर्द-गिर्द : 

महरौली के आर्कियोलॉजिकल पार्क के ऊंचे नीचे हरे भरे टीले के बीच कई ऐतिहासिकस्मारकों के खंडहर भी दिल के करीब महसूस होते हैं। यहां राजाओं की बावली भी हैं जहां कभी राजमिस्त्री के परिवार वाले स्नान किया करते थे। इनकी सीढिय़ों पर बैठकर उन दिनों की कारीगरी की चर्चाएं थके कदमों को मानों ऊर्जा देती सी प्रतीत होती हैं। इस पार्क में कई ऐतिहासिक स्मारक और बावलियों के अलावा गुमनाम स्मारक भी हैैं। इस पार्क को कुछ बीस साल पहले ही विकसित किया गया है। इससे पहले यहां जंगल ही हुआ करता था।  

खंडहरों के बीच झील का दृश्य :

डीडीए द्वारा विकसित हौज खास का डियर पार्क, यहां के जॉगिंग ट्रैक भी रोचक कहानियों से भरे हैं। इस पार्क में जहां बाग-ए-आलम का गुंबद, कली गम्टी, टूहफेवाला गुंबद है तो फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित मदरसा भी है। इन स्मारकों के खंडहरों के बीच से झील देखना भी सुखद है। पानी के इस स्रोत को अलाउद्दीन खिलजी ने हौज-ए-अलाई नाम दिया था लेकिन फिरोजशाह तुगलक ने इस नाम को बदल कर हौज-ए-खास कर दिया। इसी के नाम से इस पॉश इलाके का नाम आज भी बरकरार है। 

जहांपनाह और बेगमपुर की सैर  :

सुबह की शुरुआत हेरिटेज और प्रकृति की खूबसूरती के साथ हो, ऐसी ख्वाहिश हर कोई करता है। कुछ लोग अपनी इस इच्छा को रोज पूरा कर पाते हैैं, तो कुछ लोग इसे हेरिटेज वॉक के जरिये पूरा करते हैं। हेरिटेज वॉक के लिए वैसे तो लोदी गार्डन मेरा काफी पसंदीदा स्थान है लेकिन पंचशील और हौज खास में भी काफी कुछ खास है। इन दिनों लोग लोदी गार्डन, पंचशील पार्क, हौज खास पार्क में खूब जाना पसंद करते हैैं। शनिवार और रविवार को सुबह हेरिटेज वॉक आयोजित होते रहते हैैं। वैसे तो स्मारकों के बाहर उसके बारे में कई रोचक बाते लिखी होती हैैं लेकिन लोग इसके बारे में रोचक तरीके से सुनना भी पसंद करते हैैं।

स्वपना लिडल, इंटैक हेरिटेज वॉक 

दिन की अच्छी शुरुआत :

दिल्ली में अब कई पार्क विकसित हो गए हैैं जिसमें लोग बड़ी संख्या में सुबह सैर करने जाते हैैं। लेकिन ऐतिहासिक धरोहर वाले पार्कों की एक अलग ही पहचान है। अगर दिल्ली के इतिहास में झांके तो यहां पहले सात शहर बसे थे जिसमें से एक महरौली था। यहां आने पर आज की महरौली और एक हजार साल पहले की महरौली के इतिहास के पन्ने एक एक करके खुलने लगते हैैं। दिल्ली के सबसे पहले और पुराने किले लालकोट के अवशेष भी यहां देखे जा सकते हैैं, तो फिर खिलजी शासन, तुगलक शासन, लोदी शासन, दिल्ली सल्तनत, मुगल और ब्रिटिश शासन के स्मारक भी देखने को मिलेंगे। बीस साल से आर्कियोलॉजिकल पार्क में घूमने की अनूठी अनुभूति कर रहा हूं। मेरे लिए तो यह स्थान हमेशा से दिल के करीब है। जब भी मैं दिल्ली में होता हूं तो मेरी सुबह की शुरुआत इसी पार्क की सैर से होती है। इस स्थान का जिक्र मेरी किताबों में भी है। 

विलियम डेलरेंपल, इतिहासकार

सेहत की सुहानी दौड़ :

 

लोदी गार्डन की खूबसूरती के कारण लोग यहां सैर करने के लिए दूर दूर से आते हैैं। इस पार्क में अब तो कई जॉगरर्स क्लब बन गए हैैं। इनके सदस्य यहां मिलते-जुलते हैं, हंसी ठिठोली करते हैैं। फ्लैट्स में रहने वाले लोग यहां गाडिय़ों में आते हैैं और रोजाना सवा दो किलोमीटर पैदल चलते हैं। यहां सुबह की सैर इसलिए भी खास होती है क्योंकि वर्तमान की खूबसूरती और इतिहास साथ-साथ चलते हैं। बहुत कम लोगों को ही यह पता है कि यहां पहले दो गांव हुआ करते थे। लेकिन ब्रिटिश राज के समय उस समय के गर्वनर जनरल मार्क ऑफ विलिंगडन ने अपनी पत्नी लेडी विलिंगडन के लिए यहां पार्क विकसित करवाया। 1936 में बने इस पार्क का नाम लेडी विलिंगडन पार्क रखा गया और इसे जापानी विशेषज्ञों ने विकसित करवाया था। आजादी के बाद इसका नाम लोदी गार्डन कर दिया गया। फिर 1969 में पार्क को दोबारा से संवारा गया। इस पार्क में सिंकदर लोदी और मोहम्मद शाह के समय के खूबसूरत स्मारक भी हैैं। इसके अलावा यहां कई पेड़ 75 साल पुराने हैैं। इनके बीच रोजाना समय बिताना एक सुखद अनुभूति है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। 

ललित अग्रवाल, ग्रीन सर्कल, मॉर्निंग   वाकर समूह 

पेड़ों से छन कर आती शुद्ध हवा :

लोदी गार्डन में करीब 200 किस्मों के पेड़ हैैं। इसमें पीपल, नीम, बरगद, सेमल, गुलमोहर, अमलताश, चिलखन, पिलखन के पेड़ हैैं जिनकी खूबसूरती भी आंखों के साथ मन को भी तरावट देती नजर आती हैैं। दिन भर की भागदौड़ के लिए सैर बेहद जरूरी है। बायोडायविर्सटी पार्क हो या फिर कोई भी विकसित पार्क, यहां की हवा शहर से कई गुना बेहतर होती है। दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में खुद को तरोताजा रखने के लिए सैर के साथ व्यायाम भी बेहद जरूरी है। 

फयाज खुदसर, पर्यावरणविद् 

प्रस्तुति : विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली 

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