बिना पासपोर्ट-वीजा फ्रांस घूमना हो तो पुडुचेरी जाइए, यहां फिजा में है फ्रांस की महक
भारत से कई हजार मील पर बसे फ्रांस को देखना हो तो यूरोप जाने की जरूरत नहीं। आप अपने ही देश के पुडुचेरी में इसकी झलक बखूबी पा सकते हैं।
फ्रांस जैसा नजारा है यहां का
विन्सेंट दी पॉल स्ट्रीट, विक्टोरिया सिमोनेल स्ट्रीट, दा मॉस स्ट्रीट, लॉ दी लुइसटेर स्ट्रीट, फ्रेंकोईस मार्टिन स्ट्रीट। ये फ्रेंच नाम सिर्फ यहां की गलियों के ही नहीं, बल्कि यहां के घरों, कैफे और होटलों आदि में भी फ्रांस की छाप देखी जा सकती है। सडक़ मार्ग को इंगित करने वाले संकेत भी फ्रेंच और तमिल में लिखे हुए हैं। तमिल, अंग्रेजी, मलयालम और तेलुगू भाषा के साथ-साथ यहां के लोग फ्रेंच भी धाराप्रवाह बोल सकते हैं। वैसे, केवल फ्रांस ही नहीं, यह शहर कई सभ्यताओं का संगम है। यह शहर चेन्नई से तकरीबन 162 किलोमीटर दक्षिण में बसा है। बंगाल की खाड़ी के निकट कोरोमंडल तटीय इलाका है। यहां पहाड़ और जंगल नहीं हैं। केवल समंदर के शहर के रूप में आप इसे देख सकते हैं।
ख़ूबसूरत चर्च के चर्चे
पुडुचेरी मशहूर है अपने फ्रेंच कनेक्शन के लिए और इसी से जुड़े हैं यहां के कई खूबसूरत चर्च। यहां तकरीबन 32 चर्च हैं। इनमें लेडी ऐंजल्सं चर्च, डुप्लेक्स चर्च, बेस्लिका ऑफ सैक्त्रेड हार्ट ऑफ जीजस जैसे चर्च के चर्चे दूर-दूर तक हैं। इनकी गिनती बड़े व पुराने चर्च में की जाती है। एक चर्च बीच रोड से लगा हुआ ही है, दूसरा चर्च ब्लैक टाउन में है। तीसरा सैक्त्रेड हार्ट चर्च ऑफ जीसस यहां रेलवे स्टेशन के नजदीक पांडिचेरी के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण चचरें में से एक है। यह चर्च वास्तुकला की गोथिक शैली में डिजाइन किया गया है। इस चर्च की सबसे आकर्षक और आसानी से नजर आने वाली खास विशेषता है इसकी स्टेन्ड कांचयुक्त खिड़कियां जो कि यीशु के जीवन के समय को दर्शाती हैं।
हर बीच की अपनी पहचान
पुडुचेरी में कई बीच हैं और सबकी अलग-अलग पहचान है। प्रोमेनेड बीच के नाम से प्रसिद्ध पांडिचेरी बीच यहां का प्रमुख आकर्षण है। शाम के समय तट पर ट्रैफिक की आवाजाही बंद कर दी जाती है, जिससे समंदर किनारे टहलने वालों को सहूलियत हो। प्रोमेनेड बीच 1.5 किमी. में फैला है। शहर के सभी प्रमुख आकर्षण स्थील इसके आसपास ही हैं। यहां महात्मा गांधी की विशाल मूर्ति है। एक पुराना लाइट हाउस भी है। यहीं थोड़ा आगे प्रथम विश्र्वीयुद्ध में शहीद सैनिकों की स्मृति में एक स्मारक भी है। इससे थोड़ी दूरी पर स्टैच्यू ऑफ डुप्लेक्स है, जो जोसेफ फ्रांस्कोकसिस की याद में बनाया गया था। सेरेनिटी बीच पर बैठ कर सूरज की पहली किरण देखना बहुत लुभावना है। यहां सुबह-सुबह ही चहल-पहल शुरू हो जाती है। कुछ लोग मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं तो कोई पत्थरों पर बैठ कर ध्यान लगा रहा होता है।
समुद्र के अंदर पैराडायस बीच
कौन कहता है कि बैकवॉटर का मजा केवल केरल में ही लिया जा सकता है! इसके लिए पुडुचेरी भी बेहतरीन है। नजदीक ही पैराडाइज बीच पर इसका आनंद लेते लोग देखे जा सकते हैं। यह बंगाल की खाड़ी से लगा यह एक ऐसा बीच है जो कि समुद्र के अंदर है। शहर से 8 किलोमीटर दूर पैराडाइज बीच जमीन की एक सूखी पट्टी है जिसके चारों ओर पानी है। यहां फेरी से जाना पड़ता है। ऐसा बहुत कम लोग जानते होंगे कि इस बीच का नाम 'चुनामबर बीच' भी है लेकिन यहां की खूबसूरती को देख कर इसका नाम पैराडाइज बीच पड़ा। जितना शांत यह बीच है उतनी ही सुन्दर इस तक पहुंचने की यात्रा है। छोटी बड़ी बोट सैलानियों को स्टैण्ड से बिठाती हैं और बीच तक छोड़ती हैं। स्टैण्ड से बीच तक का रास्ता बहुत सुन्दर है। नीला आसमान और साफ स्वच्छ पानी आपका मन मोह लेंगे। बैक वॉटर के दोनों और नारियल के झाड़ आपका स्वागत करेंगे। कहते हैं पांडिचेरी आकर अगर पैराडाइज बीच नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। साफ सुन्दर बीच अपने में समेटे हुए है कई सारी खूबियां, जैसे यहां रेस्टॉरेंट में सी फूड का आनंद या समुद्र की लहरों में अटखेलियां करने का मन हो जी भर के यहां समय गुजारें। सुनहरी रेत और नीले पानी के बीच पर घंटों समय गुजारें, स्वर्ग यहां नहीं तो और कहां हो सकता है?
स्कूबा डाइविंग
स्कूबा डाइविंग का मजा लेने के लिए अब आपको मालदीव या थाईलैंड जाने की जरूरत नहीं है। आप का यह शौ? पॉन्डिचेरी में भी पूरा हो सकता है। जी हाँ अब पांडिचेरी में भी आप वर्ल्ड क्लास स्कूबा डाइविंग का आनंद उठा सकते हैं। वह भी प्रोफेशिवल स्कूबा डाइविंग स्कूल के साथ। तो फिर देर किस बात की भारत के ईस्ट कोस्ट पर समुद्र के अंदर की सजीली दुनिया देखने को तैयार हो जाएं।
अरविंदो आश्रम
पुडुचेरी का एक खास आकर्षण है अरबिंदो आश्रम। स्वतंत्रता सेनानी श्री अरबिंदो द्वारा वर्ष 1926 में स्थापित किया गया था। आश्रम में श्री अरबिंदो व उनकी सहयोगी मीरा अल्फासा (जिन्हें मदर के नाम से भी जाना जाता है) की समाधियां है। साथ में एक समृद्घ पुस्तकालय भी है। आश्रम के कुछ नियम हैं जैसे शांति बनाए रखनी है। इसी के तहत 3 साल से काम आयु के बच्चों को ले जाना मना है और फोटोग्राफी की भी मनाही है। वाइट् टाउन में श्री अरबिन्द्रो आश्रम का डाइनिंग हॉल, पुस्तकालय व कई गेस्ट हॉउस स्थित हैं।
पुडुचेरी संग्रहालय
शहर की पुरानी यादों और दक्षिण भारत के इतिहास को बहुत खूबसूरती से संजोए हुए है यह। यहां एक गैलरी में अनेक मूर्तियां और अरिकामेडु रोमन व्यवस्था के समय की अनेक महत्वपूर्ण पुरातत्वीय वस्तुएं रखी गई हैं। यह संग्रहालय प्राचीनकाल की दुर्लभ कलाकृतियों का भंडारगृह है। यहां प्रस्तुत की गई संग्रह में चोल और पल्लव राजवंश की अनेक दुर्लभ पीतल की मूर्तियाँ तथा पत्थर सम्मिलित हैं।
यहां क्या-क्या मिलता है खाने को
मिमोसा और चेट्टीनाड का निराला स्वाद-अंदाज शहर कई सभ्यताओं का संगम है तो यह प्रभाव खानपान पर कैसे न पड़े। कहते हैं जिस जिस के कदम पुदुच्चेरी में पड़े हैं उनके खानों की छाप यहाँ की पाक कला पर पड़ी।इसलिए यहां खाने पीने की विविधता देखने को मिलती है। शुद्घ दक्षिण भारतीय शाकाहारी भोजन से लेकर, चेट्टीनाड मांसाहारी भोजन, उत्तर भारतीय भोजन और फ्रैंच फूड तो है ही। जैसे कि फ्रांस में पारम्परिक तरीके से लकडिय़ां जला कर बड़े से तन्दूर में पिज्जा बेक किया जाता है वैसे ही पिज्जा यहां एक्टेसी कैफे में चखने को मिल जाती हैं। महात्मा गाँधी स्ट्रीट पर कई छोटे बड़े रेस्टॉरेंट हैं जोकि शुद्ध शाकाहारी दक्षिण भारतीय भोजन परोसते हैं। साथ ही कई रेस्टोरेंट हैं जो कि चेट्टिनाड मासाहारी व्यंजनों के लिए मशहूर हैं। जहां केले के पत्ते पर चेट्टिनाड भोजन परोसा जाता है।
कैसे पहुंचें?
यहां आप सभी मार्गों से आ सकते हैं। चेन्नई एयरपोर्ट से यहां पहुंच सकते हैं। चेन्न्ई, बेंगलुरू और तिरूचिरापल्ली से यहां अबाधित बस सेवा उपलब्ध है। विलुपुरम और चेन्नई दो रेलवे लाइन से भी यह जुड़ा है।