वेस्ट मटेरियल से बनी जूलरी ने न्यूयॉर्क फैशन वीक तक बनाई अपनी पहचान
कुछ अलग करने की जिद में आंचल ने जेवरात यानी ज्वेलरी को एक नए अवतार के रूप में पेश करने की ठानी।
दिल्ली की औरतों को बनाव-सिंगार का उतना ही शौक रहा है जितना कि जगत-भर की औरतों को। दरअसल बनाव सिंगार औरतों की एक स्वाभाविक रुचि है। लिबास, खुशबू और खासकर जेवरात उनकी खूबसूरती का एक अहम हिस्सा है।
आंचल भी खूबसूरती के इस आकर्षण से इस शौक से इस मोह से कैसे अछूती रह सकती थीं। बस कुछ अलग करने की जिद में आंचल ने जेवरात यानी ज्वेलरी को एक नए अवतार के रूप में पेश करने की ठानी। अब ठानी तो ऐसी कि कुछ दिन पहले हुए न्यूयॉर्क फैशन वीक में उनकी ज्वेलरी पर हर कोई फिदा हो बैठा। न्यूयॉर्क फैशन वीक में धमाल आंचल सुखीजा की ज्वेलरी डिजाइन में कोई हीरे-मोती नहीं जड़े हैं और न ही कोई सोने-चांदी। बात सादगी की है। आप घर से निकलने वाला प्लास्टिक या धातु का कोई भी वेस्ट जिसे आप-हम कबाड़ कहते समझते हैं उसे फेंक देते हैं या कबाड़ी को बेच देते हैं। लेकिन मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली आंचल इस मामले में ज्यादा स्मार्ट निकली। उन्होंने बर्तन धोने वाला जूना, एसी का फिल्टर, बिजली फिटिंग वाला पाइप, माचिस की डिब्बी जैसी चीजों को कभी वेस्ट नहीं होने दिया। ये सब कूड़ा-कबाड़ा लगने वाली चीजें अब आपके गले का हार बन रही हैं, कानों की आकर्षक बालियां बन रही हैं।
न्यूयॉर्क फैशन वीक तक में धमाल मचा रही हैं। आंचल ने अपनी डिजाइनर दोस्त वैशाली एस, को जब पहली बार स्टील के जूने से बनीं ज्वेलरी दिखाई तो उन्हेंवह बेहद पसंद आई। तब फिर क्या था वैशाली की सलाह पर आंचल ने अपने इस ज्वेलरी के नए एक्सपेरिमेंट को न्यूयॉर्क फैशन वीक तक पहुंचाया। आंचल बताती हैं मेरे लिए भी अविश्वसनीय था कि फैशन के इतने बड़े प्लेटफार्म पर मुझे इस ज्वेलरी के लिए इतनी सराहना मिलेगी। हम सुंदरता और आकर्षण के पीछे भागते हैं हम सोचते हैं कि अच्छा दिखने के लिए जब तक डायमंड, प्लेटिनम नहीं पहनेंगे तो तब तक रैंप पर हम लोगों को आकर्षित नहीं कर पाएंगे। यही सोच ड्रेस को लेकर भी होती है। जबकि बात सिर्फ आत्मविश्वास और एक अच्छी सोच और बड़े सपनों की होती है। ताकि सपनों की रेस जीत जाऊं नींद, सपने, मां-पापा, किताबें और भाई-बहन को अपनी जिंदगी में सबसे करीब मानने वाली आंचल बताती हैं कि हम जब तक सपने नहीं देखेंगे तब तक जिंदगी की शुरुआत नहीं होगी।
सपने देखना बहुत जरूरी है वे फिर पूरे हो या नहीं ये बाद की बात है लेकिन उनसे रेस जरूर लगाते रहिए। अब कोई भी इस बात की परिकल्पना कर सकता है कि स्क्रब यानी जूना जैसी चीज को भी यदि एक सुंदर ज्वेलरी का रूप दे दिया गया तो लोग उसे कितना पसंद करने लगे। सिर्फ जूना ही नहीं मेरी हर ज्वेलरी में मेरे लिए यही चुनौती होती है कि मैं इस कूड़े-कबाड़ से क्या ऐसा बना सकूं। सोने-चांदी, हीरा-प्लेटिनम इन सबसे ज्वेलरी डिजाइन करना आसान है। लेकिन चैलेंज तो वहीं है जब आप कबाड़ को भी आकर्षित बना दो। ये वही कबाड़ है जिसे हम और आप कहीं भी फेंक देते हैं और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक बनता है।
अपनी जिंदगी को एक रंगमंच की तरह मानने वाली आंचल कहती हैं कि हर मनुष्य अपनी जिंदगी का अभिनेता है क्योंकि उसे जीवन में बहुत सारे अभिनय और रोल अदा करने होते हैं।
कहीं तितली तो कहीं माचिस की डिब्बियां और कहीं एसी के फिल्टर, वायर और पाइप जैसी ही चीजों की ज्वेलरी तैयार करती हैं आंचल सुखीज।
- मनु त्यागी
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