Move to Jagran APP

यूरी गागरिन का स्पेस में पहला कदम

आज इंसान 'चांद' पर पहुंच चुका है और 'मंगल' ग्रह पर बस्तियां बनाने की सोच रहा है। भारत भी अंतरिक्ष में इंसान भेजेगा। लेकिन वह कौन था, जिसने सबसे पहले स्पेस में कदम रखा? सात बार फ्लाइट टेस्ट के बाद 'वोस्ताक-1' स्पेस में इंसान को ले जाने के लिए तैयार था। 12 अप्रैल,1961 को 27 वष

By Edited By: Published: Fri, 11 Apr 2014 12:50 PM (IST)Updated: Fri, 11 Apr 2014 12:50 PM (IST)

आज इंसान 'चांद' पर पहुंच चुका है और 'मंगल' ग्रह पर बस्तियां बनाने की सोच रहा है। भारत भी अंतरिक्ष में इंसान भेजेगा। लेकिन वह कौन था, जिसने सबसे पहले स्पेस में कदम रखा?

loksabha election banner

सात बार फ्लाइट टेस्ट के बाद 'वोस्ताक-1' स्पेस में इंसान को ले जाने के लिए तैयार था। 12 अप्रैल,1961 को 27 वर्षीय सोवियर एयर फोर्स के पायलट ने अंतरिक्ष में कदम रख कर इतिहास रच दिया। वह पायलट कोई और नहींरूस के यूरी गागरिन थे।

अंतरिक्ष में इंसान

अगर एक मामूली बढ़ई के बेटे ने आसमान के पार उड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई होती, तो शायद अंतरिक्ष हमारे लिए रहस्य ही होता। पहली बार 12 अप्रैल, 1961 को पूर्व सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन ने 'वोस्ताक-1' में बैठ कर अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी। इसी दिन की याद में हर साल 12 अप्रैल को इंटनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मनाया जाता है। तुम्हें जानकार थोड़ी हैरानी हो सकती है कि गागरिन से पहले 3 नवंबर, 1957 को अंतरिक्ष में फीमेल डॉग 'लाइका' को भेजा गया था। हालांकि वह अंतरिक्ष में केवल छह घंटे ही जीवित रह सकी। चैंबर का तापमान ज्यादा होने की वजह से उसकी मौत हो गई थी। राकेश शर्मा पहले भारतीय थे, जो अप्रैल 1984 में अंतरिक्ष में पहुंचे थे। उनके बाद रवीश मल्होत्रा, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं।

यूरी अलेक्सेयेविच गागरिन

यूरी अलेक्सेयेविच गागरिन का जन्म 9 मार्च, 1934 को हुआ था। वे बेहद साधारण परिवार से थे। पिता बढ़ई थे और मां एग्रीकल्चर फार्म में काम करती थीं। अपने माता-पिता की चार संतानों में यूरी तीसरे थे। उनका परिवार पश्चिमी रूस में क्लूशीनो नाम के जिस गांव में रहता था, वह बेलारूस की सीमा के पास है। 1955 में सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग तकनीक में डिप्लोमा प्राप्त किया। साथ ही, वहां के फ्लाइंग क्लब में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे। बाद में सोवियत सेना में भर्ती हो गए। गागरिन ने अंतरिक्ष में 108 मिनट की उड़ान भरी थी। जैसे ही रॉकेट छोड़ा गया गागरिन ने कहा, 'पोयेखाली', इसका मतलब होता है 'अब हम चले'। एक मजेदार तथ्य यह भी है कि यूरी को इस अभियान के लिए उनकी कम ऊंचाई के कारण ही चुना गया था। उनकी ऊंचाई मात्र पांच फुट दो इंच थी। इसके कारण वे अंतरिक्ष यान की कैप्सूल में आसानी से फिट हो सकते थे।

अंतरिक्ष में भारत

मंगलयान के बाद भारत अंतरिक्ष में अपने दम पर इंसान भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पहले अंतरिक्ष में इंसान की बजाय करीब साढ़े तीन टन का क्रू कैप्सूल भेजा जाएगा। इस मिशन को इस साल जून-जुलाई के पहले हफ्ते में अंजाम दिया जाएगा। अगर यह सक्सेस होता है, तो बाद में इंसान को भेजने की योजना बनाई जाएगी। इसके लिए जीएसएलवी-मार्क 3 का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि 19 अप्रैल, 1975 को स्वदेश निर्मित उपग्रह आर्यभ˜ के प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष सफर की शुरुआत की थी। 22 अक्टूबर, 2008 मून मिशन की सफलता के बाद भारत का लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है।

कुछ खास बातें

-4 अक्टूबर, 1957 को रूस ने सबसे पहला मानव निर्मित सैटेलाइट स्पुतनिक-1 को अंतरिक्ष में छोड़ा था। बास्केट बॉल के आकार का यह सैटेलाइट 183 पाउंड (लगभग 83 कि.ग्रा.) वजनी था। स्पुतनिक को पृथ्वी का चक्कर लगाने में 98 मिनट का वक्त लगता था।

-अमेरिका ने अपोलो-11 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर 20 जुलाई, 1969 को उतारा था।

-अभी तक रूस और अमेरिका के बाद चीन ने ही अंतरिक्ष में अपने दम पर अंतरिक्ष यात्री भेजे हैं।

-गागरिन जब धरती पर लैंड कर रहे थे, तो वे वेहिकल में नहींथे। करीब 7000 मीटर की ऊंचाई पर ही वे वेहिकल से अलग हो चुके थे और पैराशूट के जरिए उन्होंने लैंड किया। यह सेफ्टी रीजन को ध्यान में रख कर किया गया था। हालांकि इस बात को सोवियत यूनियन ने दशकों तक छुपाए रखा था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.