आपके बच्चे को भी है डिहाईड्रेशन की समस्या, इस तरह रखें उनका खयाल
छोटे बच्चों में डिहाईड्रेशन की समस्या आम हो जाती है। ऐसे में उन्हें जरुरत से ज्यादा केयर की जरुरत पड़ती है।
इस सीजन में बच्चों में स्वेटिंग और युरिन में अनियमितता की समस्या आम होती है और ऐसे में उनमें डिहाईड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपके बच्चे के बॉडी को डिहाईड्रेशन से बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा नमी की जरुरत पड़ती है। अगर एक बार बच्चे को डिहाईड्रेशन की समस्या हो गई इसका मतलब है उसकी बॉडी में पर्याप्त पानी की मात्रा में कमी हो चुकी है। ऐसे में उन्हे गंभीर बीमारियों जैसे डायरिया भी हो सकता है। बैक्टीरीयल इन्फेक्शन या वायरल इन्फेक्शन की वजह से इस तरह की बीमारी हो सकती है। बहुत ज्यादा स्वेटिंग या बहुत ज्यादा युरिन डिस्चार्ज होने से भी इस तरह की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के लक्षण इस प्रकार के हो सकते हैं। उनकी फोरहेड पर कुछ स्पॉट बन जाते हैं। वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। युरिन में कमी हो जाती है। वे जब रोते हैं तो उनके आंसु भी नहीं निकलते है। जब ऐसे लक्षण दिखाई दें तो क्या करना चाहिए।
ट्रीटमेंट
सबसे पहले टार्गेट ये होना चाहिए कि उनकी बॉडी में कभी पानी की कमी ना होने पाए। इस प्रोसेस को फ्लुईड रिप्लेसमेंट कहते हैं। ओआरएस का घोल उन्हें डॉक्टर की सलाह पर समय समय पर देते रहें।
सिकनेस के दौरान उन्हे ब्रेस्टफीडींग रोकने की कोई जरुरत नहीं है। आप उन्हें बॉटल की मदद से दूध देते रहें। कार्बोनेटेड सोडा ड्रिंक को अवॉइड करें ये उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। जूस की जगह उन्हें डायल्युटेड वॉटर दें। ध्यान रखें कि जब वे बीमार हों उनकी बॉडी में पानी की कमी ना होने पाए। डायरिया से पीड़ीत बच्चे पानी की कमी की वजह से लगातार उल्टियां करते हैं। ऐसे में जूस देना उनके लिए और भी बुरा साबित हो सकता है।
डॉक्टर से कब कंसल्ट करें
-जब उन्होंने पिछले छह घंटों से युरिन डिस्चार्ज नहीं किया है।
-माउथ ड्रायनेस
-सूखी आंखें
-24 घंटे से लगातार हल्के हरे रंग की उल्टियां
-फीवर 103 डिग्री से भी ज्यादा
-पेट में दर्द और कमजोरी फील करना
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