क्या आपके बच्चों को भी आते हैं रात में डरावने सपने, अपनायें ये टिप्स
अंधेरे में असाधारण चीजें देख लेने पर किसी का भी डर जाना स्वाभाविक है। लेकिन बच्चों के साथ ऐसे मामले में सावधानी बरतनी बहुत जरुरी है। क्योंकि उनका दिल नाजुक होता है।
बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। आसाधारण चीजों से वे डर जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की ये जिम्मेदारी बनती है कि वे उनके डर को खत्म कर उन्हें निडर बनायें। भूलकर भी उनके साथ डरावनी बातें ना करें ना ही उन्हें डरावनी कहानियां सुनायें। हमेशा उनके साथ पॉजीटीव बातें करें और उन्हें सेफ फील कराने की कोशिश करें। ऐसी परिस्थिति आने पर क्या करें और क्या नहीं जानें..
अपनी साहसिक और मोटिवेशनल कहानियां सुनायें
उन्हें साहसी और निर्भीक रहने को कहें। उन्हें पॉजीटीव सोचने को कहें। उन्हें अपनी कहानियां बतायें जब आपके साथ ऐसा हुआ था तो आपने उनसे कैसे साहसिक रुप से डील किया था। बच्चों को साहसिक कहानियां भी पढ़कर सुनायें जिनमें वे डर कर भी डर के उपर काबू पा लेते हैं। अंधेरे से उन्हें फैमिलियर करायें। उनके साथ अंधेरे में भी मस्ती करें।
अंधेरे से डरायें नहीं फैमिलियर करायें
अंधेरे से उन्हें फैमिलियर बनाने के लिए उनके साथ अंधेरे में गेम खेलें। किसी चीज को छुपा कर रखें और उन्हें ढ़ूंढ़ कर लाने को कहें। इस दौरान अपनी कल्पनाशीलता का प्रयोग करें और क्रियेटिव रहें। मॉन्स्टर की तरह कल्पनाशीलता की मदद से डर से उन्हें लड़ना सिखायें। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं कि उन्हें सोते समय अपने बेड पर उनका प्यारा पालतू पेट्स होना चाहिए जिन्हें वे बहुत प्यार करते हैं। उन्हें अपनी फीलींग्स पर कंट्रोल करने की ट्रेनिंग दें।
सुरक्षा के सामान
सोते समय उनके बेड के पास सुरक्षा के सामान साथ में रखने की सलाह दें। इस तरह की एक्टिविटी उन्हें रिलैक्स फील कराएगी साथ ही वे चैन की नींद सो पायेंगे। नाइटलाइट ऑन रखने को कहें। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आपका बच्चा किस बात से डर रहा है, नाइट बल्ब उनके सोने में किसी तरह का बाधा नहीं पहुंचाता है। उनके कमरे का दरवाजा खुला रहने दें ताकि वे घर पर खुद को रात में अकेला महसूस ना करें।
हॉरर सीरीज ना देखने दें
रात में डरावनी टीवी सीरीज देखने ना दें। ऐसे टीवी कंटेंट, वीडियो और कहानियों से उन्हें दूर ही रखें जो उनके डर को और बढ़ाता है। डर की बातें कभी भी रात में नहीं बल्कि दिन के समय में करें। इसी समय उनके सेल्फ कॉंफिडेंस को बढ़ाने का प्रयास करें। अगर वे दिन में खुद को सेफ और सिक्योर फील करते हैं तो वे रात में भी सेफ फील करेंगे। उन्हें प्रोत्साहित करने का काम करें। उन्हें याद दिलायें कि रात में उन्हें ना ही रोना है और ना ही चिल्लाना है।
रिलैक्शेसन ट्रेनिंग
उन्हें इस प्रकार की ट्रेनिंग दें कि वे इस तरह की कलपना में डूब जायें जो उन्हें रिलैक्स देने वाला हो और उन्हे सूकून देने वाला हो। जैसे कि वे किसी समुद्री बीच पर लेटे हों और सनसेट नजारे का आनंद ले रहे हों। उन्हें बेड पर ही रहने को प्रोत्साहित करें। उन्हें इस बेड से उतरकर भागने के लिए प्रोत्साहित ना करें। उन्हें बेड पर ही रहकर एहसास करने दें कि वे सेफ हैं और ऐसे में वे डर से लड़ने की शक्ति पायेंगे।
उनके साथ समय बितायें
अगर वे अकेले सोने में घबरा रहे हों तो उनके साथ कुछ देर तक साथ में सोयें। लेकिन लगातार ऐसा ना करें ये उन्हें आप पर निर्भर बना देता है। उन्हें छोड़ देने से अच्छा है कि उन्हें 5-10 मिनट के अंतर में देखते रहें। ऐसे में उनका डर कम होगा। उन्हें कहें कि आपको उन पर काफी गर्व है और वे काफी ब्रेव हैं।