क्या आपके बच्चे भी हकलाते हैं, ऐसे सुधारें उनकी आदत
अक्सर बच्चों में हकलाने की आदत पाई जाती है। लेकिन इसके पीछे के कारण जानने की कोशिश की है। ये कैसे होता है और इसेक सॉल्युशन क्या है जानें।
क्या आप भी अपने बच्चे के हकलाने की आदत से परेशान हैं। क्या आपको ऐसा लगता है कि ये आदत उन्हें पूरी लाइफ के लिए परेशान कर सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि बच्चों को ये आदत कैसे लग जाती है और उनके परमानेंट सॉल्युशंस क्या हैं।
ये साधारणत: दो से पांच साल के बच्चों में पाया जाता है। ये तब होता है जब बच्चे कोई नई भाषा सीखने का प्रयास करते है और बिना पूरी तरह से सीखे ही वे उस भाषा का प्रयोग करना शुरु कर देते हैं। ऐसे में वे किसी के भी सामने जैसे अपनों के बीच या अपने क्लासफ्रेंड्स के सामने भी ऐसे ही बात करना शुरु कर देते हं जिससे उन्हें खुद के इंसल्ट होने का डर बना रहता है। इसके पीछे कुछ कारण हैं जो ये हैं-
फैमिली में किसी को पहले से आदत हो
ये अनुवांशिंक भी हो सकता है। ये अपने फैमिली के किसी सदस्य से जुड़ा हो सकता है। मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार 60 पर्सेंट बच्चों में ये आदत अपनी ही फैमिली के किसी मेंबर से आती है।
पारिवारिक उम्मीदें और ओवरऑल पैरेंटिंग कंफर्ट
चाइल्ड एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब पैरेंट्स बच्चों से कुछ ज्यादा उम्मीदें रखने लगते हैं तो ऐसे में बच्चे हकलाना शुरु कर देते हैं। उम्मीदों का दबाव पड़ने से उनमें सेल्फ कॉंफिडेंस की कमी हो जाती है और परिणामस्वरुप उनमें हकलाने की आदत पनपने लगती है। अगर परिवार में बराबर कोई क्लेश होता हो या फिर किसी बहुत करीबी की डेथ हो चुकी हो तो इसका भी प्रभाव इस रुप में पड़ सकता है।
कैसे मदद करें
अगर आप बच्चों में ऐसी आदत नोटिस करते हैं तो इन तरीकों को आजमायें। ये काफी हद तक उनकी इस आदत से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करेगा।
इंतजार करें और देखें
जब वे कुछ नए शब्द बोलने का प्रयास कर रहे हों तो उन्हें वॉच करें। गुस्सा होने, चिड़चिड़े होने, डरने, दुखी या किसी बात को लेकर कंफ्युज होने पर भी वे ऐसा करते हैं तो आप इन बातों का विशेष ध्यान रखें। और आगे से उन्हें प्यार से टोकें और सुधारने की कोशिश करें।
एक्सपर्ट की सलाह लें
अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके बच्चे अपनेआप को एक्सप्रेस करने में हिचक रहे हैं तो उन्हें एक्सपर्ट के पास लेकर जायें। छह महीने के बाद भी अगर उनमें कोई बदलाव नजर नहीं आ रहे हैं तो उन्हें स्पीच थेरेपिस्ट के पास लेकर जायें। यहां उन्हें साउंड्स ट्रीटमेंट्स और गेम जैसे फन ट्रीटमेंट कराये जाते हैं जो उन्हें काफी हद तक मदद करता है।
घरेलु उपचार
घर पर उनके साथ धीरे-धीरे बात करें ऐसे में वे आपको भी देखकर वैसे ही बोलना शुरु कर देंगे। उन्हें जल्दी-जल्दी अपने सवालों के जवाब देने के लिए फोर्स ना करें। उन्हें पहले उनकी बात पूरी कर लेने दें इसके बाद ही अपनी दूसरी बात रखें। उनसे बात करते समय प्रॉपर फेशियल एक्स्प्रेशन और बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग करें। अपनी बात कहते रहने की बजाए ज्यादा से ज्यादा उनकी भी बातों को सुनें। उन्हें हमेशा ये एहसास करायें कि आप उनसे कितना स्नेह रखते हैं और आपको उन पर कितना गर्व है।