Move to Jagran APP

बचपन की सहेली गुडिय़ा रानी

बचपन के खेलों में वीडियो गेम्स और इलेक्ट्रानिक खिलौनों ने जगह बनाई है लेकिन गुडिय़ों का क्रेज आज भी कायम है..

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 07 Nov 2016 11:20 AM (IST)Updated: Mon, 07 Nov 2016 11:35 AM (IST)

बचपन में नन्हें-मुन्नों का कोई दोस्त होता है तो वह है गुडिय़ा। इस नन्हीं दुनिया में नजर डालें तो बच्चों की लाड़ली गुडिय़ा हाईटेक जरूर हुई है लेकिन दिल से दूर नहीं। सच कहें तो बचपन की परिभाषा बिना गुडिय़ा के अधूरी रह जाती है। यद्यपि बचपन के खेलों में वीडियो गेम्स और बे-ब्लेड ने जगह बनाई है लेकिन गुडिय़ों का क्रेज आज कायम है। बात लड़कियों की करें तो इनकी पहली सहेली गुडिय़ा रानी होती है। अपनी खूबसूरती और साज-सज्जा के कारण यह सभी का मन मोह लेती है।

loksabha election banner

दिल के है करीब

मनोचिकित्सक डॉ. उन्नति कुमार कहते हैं, 'खेलने के लिए न सही, सजावट के लिए ही सही, गुडिय़ा से बेहतर भला क्या हो सकता है? रोते हुए बच्चों को रिझाने के लिए मां गुडिय़ा को ही चुनती हैं। पुराने कपड़ों से तैयार गुडिय़ा हो या किसी ब्रांडेड कंपनी की बनी, इसमें बच्चों को दोस्त जैसा अहसास होता है। तभी वे गुडिय़ा को नहलाने, सुलाने और चुप कराने से लेकर खाना खाने तक में अपना साथी बनाते हैं।'

बच्चों की पहली पसंद

बिग-बाजर के सेल्स एक्जीक्यूटिव सुनील कहते हैं, 'दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों के बीच गुडिय़ा आज भी पहली पसंद है। कई ब्रांडेड ट्वॉयज निर्माता कंपनियों ने गुडिय़ों के विभिन्न मॉडल्स बाजार में उतारे हैं। इनमें करीना डॉल्स, ओरिजिनल बेबी, कैंडी डॉल्स, बार्बी आदि प्रमुख हैं। मॉडल्स के हिसाब से विशेषताएं भी हैं। ओरिजनल बेबी को छूकर आप धोखा खा सकते हैं। देखने में यह किसी नवजात शिशु जैसी है।

इसी तरह म्यूजिकल डॉल तो मानों बच्चों के इशारे पर नाचती है। तरह-तरह की अवाजें निकालना व ताली बजाने पर ठहाके लगाना इसकी विशेषता है।'

बच्चों की सच्ची दोस्त

तीन वर्षीया त्रिशा की मां जानकी कहती हैं, 'मेरी बेटी अपनी गुडिय़ा के साथ बातें करती है। अपनी ही दुनिया में मग्न रहने के लिए गुडिय़ा उसकी सबसे अच्छी दोस्त है। गुडिय़ों में बच्चों को अपना बचपन नजर आता है। वह इसके साथ बुदबुदाकर अपनी अभिव्यक्ति प्रदर्शित करती है।

इसके साथ उसके सारे कार्य व्यवहार वैसे ही होते हैं, जैसा हम उसके साथ करते है। इससे बेटी में बोलने की आदत और मानसिक क्षमता काफी बढ़ रही है।

READ: ज्यादा टीवी देखने वाले बच्चे हो जाते हैं आक्रामक

बच्चों में भी बड़ों की तरह होती है फैसले लेने की क्षमता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.