काबिल बनेंगे, तभी मजबूत होगा इंडिया..
मेक इन इंडिया का शोर देश से लेकर न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वॉयर तक सुना गया और आने वाले दिनों में भी इस शोर के जरा भी कम होने की संभावना नहीं है। ऐसा होना भी नहीं चाहिए। देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने और दुनिया में अलग पहचान दिलाने के इरादे से केंद्र सरकार ने जिस तत्परता से अपार संभावनाओं वाले 25
मेक इन इंडिया का शोर देश से लेकर न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वॉयर तक सुना गया और आने वाले दिनों में भी इस शोर के जरा भी कम होने की संभावना नहीं है। ऐसा होना भी नहीं चाहिए। देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने और दुनिया में अलग पहचान दिलाने के इरादे से केंद्र सरकार ने जिस तत्परता से अपार संभावनाओं वाले 25 हॉट सेक्टर्स का चुनाव किया है, उससे सरकार और खासकर हमारे प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच का पता चलता है। 2022 तक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 10 करोड़ नौकरियां पैदा करने की बात कोई अजूबा नहीं है, बशर्ते देश और दुनिया की कंपनियां उत्पादों को 'भारत में बनाने' के लिए अपनी हिचक छोड़कर आगे आएं। हालांकि उनका संशय दूर कर उन्हें प्रोत्साहित करने की पहल सबसे पहले सरकार को ही करनी होगी और उन्हें इस बात की गारंटी भी देनी होगी कि भारत में उनका निवेश असुरक्षित कतई नहीं होगा। इसके अलावा चुनौतियां कई और भी हैं।
60 करोड़ से ज्यादा की अपनी जिस विशाल युवा आबादी को प्रधानमंत्री दुनिया में अपने देश की ताकत बता रहे हैं, उसे काबिल बनाए बिना हम अपने सपनों को पंख कतई नहीं लगा सकते। देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का संकल्प जताने के साथ सरकार को इन युवाओं को भी स्किल्ड बनाने का संकल्प लेना होगा। और सिर्फ संकल्प ले लेने भर से भी काम नहीं चलेगा। हमें दृढ़ता के साथ अपने एजुकेशन सिस्टम में भी कुछ इस तरह के कारगर बदलाव करने होंगे, जिससे कि युवाओं को तराश कर हीरा बनाया जा सके। जरा सोचें, ऐसा न होने की सूरत में हम दुनिया की जिन जानी-मानी कंपनियों को अपने देश आमंत्रित कर रहे हैं, क्या उन्हें स्किल्ड वर्कफोर्स की सप्लाई कर सकेंगे? फिलहाल हमारे देश में हर साल जिस तादाद में अनस्किल्ड युवाओं की भीड़ कॉलेजों-विश्वविद्यालयों से निकल रही है, मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी कपनियां उनका क्या करेंगी? अगर उन्हें अपना संसाधन भर्ती होने वाले यूथ को जरूरी प्रशिक्षण देने पर भी लगाना पड़े, तो क्या इससे उनका उत्पादन प्रभावित नहीं होगा? अगर हम अपनी युवा-शक्ति का सदुपयोग करना चाहते हैं, तो क्यों नहीं कुछ ठोस उपाय करते। कुछ ऐसा जिससे कि कंपनियों को पर्याप्त संख्या में सीधे कॉलेजों-संस्थानों से ही ट्रेंड युवा मिलने लगें, जो भर्ती होने के साथ ही क्वालिटी आउटपुट में योगदान कर सकें। सरकार को इस मिशन के तहत प्राथमिकता के आधार पर एजुकेशन सिस्टम, कोर्स और करिकुलम को दुरुस्त और व्यावहारिक बनाने के लिए कमर कसनी होगी। कोर्सो को प्रैक्टिकल बनाने और इंडस्ट्री से रेगुलर इंटरैक्शन के साथ करिकुलम बनाते-बदलते समय उसकी रिक्वायरमेंट पर भी ध्यान देना होगा। देश के युवा काबिल होंगे, तभी तो बनेगा मजबूत इंडिया..
संपादक
दिलीप अवस्थी