RIGHT DECISION फॉर एडमिशन
करियर के लिए हमारा यह डिसीजन सही होगा कि नहीं, इस तरह के क्वैश्चंस उन लोगों के मन में ही उठते हैं जो बिना किसी होमवर्क के डिसीजन लेते हैं। डिसीजन सोच-समझ कर ही लेना चाहिए ताकि किसी भी तरह का कंफ्यूजन न क्रियेट हो..
एडमिशन फॉर्म फिल करते समय सब्जेक्ट के कॉलम पर आकर हममें से बहुतों की कलम रुक सी जाती है। हम दुविधा में पड जाते हैं कि जिस सब्जेक्ट को चूज किया है, वह करियर के लिए राइट डिसीजन है भी या नहीं? आमतौर पर ऐसा उन स्टूडेंट्स के साथ होता है, जो सब्जेक्ट चूज करने से पहले उसकी ग्रोथ रेट, मार्केट में वैल्यू, जॉब कंडीशन आदि का पता नहीं लगा पाते। दरअसल, सब्जेक्ट सेलेक्शन से पहले ही हमें उससे संबंधित सभी पहलुओं के बारे में होमवर्क कर लेना चाहिए।
स्ट्रीम-सब्जेक्ट पर फोकस
सब्जेक्ट चुनने से पहले स्ट्रीम को लेकर होने वाला कंफ्यूजन दूर कर लेना चाहिए। आज साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स सभी स्ट्रीम्स में बहुत से कोर्स अवेलेबल हैं। किसी स्ट्रीम में अपनी पसंद का कोर्स चुनकर बेटर करियर की राह पर आगे बढा जा सकता है। स्ट्रीम तय कर लेने के बाद सब्जेक्ट पर फोकस करें।
इंट्रेस्ट को समझें
स्ट्रीम और सब्जेक्ट अपने इंट्रेस्ट के बेस पर चूज करना ही बेस्ट रहेगा। फ्रेंड्स या मार्केट ट्रेंड्स को देखकर आगे बढने की बजाय खुद की पसंद पर ध्यान दें और उससे संबंधित स्ट्रीम और कोर्स का ही सेलेक्शन करें। इसका फायदा करियर में एंट्री करने पर दिखेगा, जब आप अपने प्रोफेशन को एंज्वॉय करेंगे और तरक्की सीढियां भी तेजी से चढेंगे। अपने इंट्रेस्ट को जज करने के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट का भी सहारा ले सकते हैं। इससे पॉजिटिव और निगेटिव दोनों ही पहलू सामने आ जाएंगे। जिसमें पॉजिटिव प्वाइंट शो हों, उसी स्ट्रीम या सब्जेक्ट में करियर तलाशें।
काउंसलर गाइडेंस
एप्टीट्यूड टेस्ट से अपनी स्ट्रेंथ और इंट्रेस्ट जज कर लेने के बाद यह पता लगाना जरूरी है कि जिस सब्जेक्ट या कोर्स को आप चूज कर रहे हैं, उसमें स्कोप कितना है? इससे रिलेटेड इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट कैसी है? इन क्वैश्चंस का आंसर एक अच्छा काउंसलर ही दे सकता है। उससे कांटैक्ट करें और स्ट्रीम, सब्जेक्ट या फिर कोर्स को लेकर उनसे गाइडेंस लें। काउंसलर आपके क्वैश्चंस का टु द प्वाइंट आंसर देंगे।
इंटर्नशिप
करियर की दिशा तय कर लेने के बाद संबंधित फील्ड के बारे में इन्फॉर्मेशन हासिल करने की दिशा में कदम आगे बढाएं। इसके लिए मस्ट है कि ग्राउंड लेवल पर जाकर वर्क किया जाए। कोर्स करने के तुरंत बाद रिलेटेड इंडस्ट्री में आप कुछ दिन इंटर्नशिप भी कर सकते हैं। इंडस्ट्री को करीब से देखने का यह बेस्ट ऑप्शन माना जाता है। इससे प्रैक्टिकल वर्क कल्चर, सैलरी स्ट्रक्चर, क्लाइंट, टारगेट ऑडियंस, मार्केट सभी के बारे में प्रॉपर नॉलेज हो जाएगी। इससे करियर की शुरुआत करते समय आप कॉन्फिडेंट रहेंगे।
लर्न फ्रॉम एक्सपर्ट्स
कोर्स और इंटर्नशिप के दौरान आपको अपने प्रोफेशन से रिलेटेड बेसिक्स जानने में मदद मिलती है, लेकिन खुद को अपडेट रखने के लिए उस फील्ड के एक्सपर्ट्स की एडवाइज बडे काम की हो सकती है। एक्सपर्ट अपने एक्सपीरियंस के आधार पर ऐसी तमाम बारीकियां आपको बता सकता है, जिससे आपको इंडस्ट्री में अपनी परफॉर्मेस और पहचान बनाने में मदद मिल सकती है। ऐसे एक्सपर्ट्स से कांटैक्ट करें और उनके अनुभव से लर्न करें।
इंप्रूव योर सेल्फ
किसी भी फील्ड में सक्सेस के लिए जरूरी है कि उससे रिलेटेड स्किल्स भी हम लगातार इंप्रूव करते रहें। कोई भी काम पूरे कमिटमेंट के साथ करें और अपने प्रोफेशन से रिलेटेड हर नई चीज लर्न करें। नॉलेज जितनी इंप्रूव होगी, आपको ग्रोथ भी उतनी ज्यादा मिलेगी। तो फिर क्यों न इसे आज, बल्कि अभी से शुरू कर दें..।
जेआरसी टीम